बीएचयू की धड़कन है ‘यायावर’ की ‘काशी टेल’

बीएचयू की धड़कन है ‘यायावर’ की ‘काशी टेल’

‘काशी टेल’ में है हॉस्टल लाइफ का अल्हड़पन व चुहलबाजी

विजय विनीत

देश के जाने-माने साहित्यकार नामवर सिंह ने कुछ साल पहले कि उपन्यास कम लिखे जा रहे हैं। बनारस तो इस मामले में खोखला होता जा रहा है। लगता है कि उनकी बात को युवा उपन्यासकार ओम प्रकाश राय ‘यायावर’ ने सिद्दत से सुना। यह साबित कर दिखाया कि जमाना बदल जाने से साहित्य नहीं बदलता। यायावर का उपन्यास ‘काशी टेल’ नए दौर के युवा पाठकों की धड़कन बन गया है। इनकी लेखनी में ऐसा जादू है जिससे जाति-धर्म और ऊंच-नीच की सीमाओं को लांघकर आर-पार किया जा सकता है।

युवा उपन्यासकार ओम प्रकाश राय ‘यायावर’

‘काशी टेल’ को उपन्यास न भी कहें, तो भी उपन्यास में यायावर की उपस्थिति समाज को बड़ा संदेश देती है। प्यार का..आस्था का और रिश्तों का…। लेखक का किस्सागोई अंदाज इस उपन्यास को खूबसूरत बनाता है। दरअसल ‘काशी टेल’ बनारस और बीएचयू की कथा है। इस उपन्यास में दिल को छू जाने वाला दिलचस्प रोमांस है तो हॉस्टल लाइफ का अल्हड़पन व चुहलबाजी भी। छात्र जीवन की शरारतें, गांव और हिल स्टेशन की नैसर्गिक खूबसूरती युवा पाठकों को दीवाना बनाती है।

बीएचयू और बनारस का जीवंत चित्रण, लचर शिक्षा व्यवस्था पर तंज और झीनी दार्शनिकता के पुट से सजा यह उपन्यास हमें अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनने विषम परिस्थितियों में भी जीवटता के साथ कर्तव्य पथ पर निरंतर डटे रहने की प्रेरणा देता है। साथ ही प्रेम की अलौकिक शक्ति को आत्मसात करने और अपने सपनों के साथ हर हाल में जीने की ताकत देता है।

‘काशी टेल’ में इलाहाबाद में पीसीएस की तैयारी करने वाले उस बिहारी लड़के निहाल पांडेय की कहानी है जो अपने पिता के उलाहने से आजिज आकर बीएड करने बीएचयू आता है। वहां उसकी मुलाकात एक मुस्लिम लड़की सदफ से होती है जो आईपीएस अधिकारी की बेटी रहती है। दोनों कॉलेज लाइफ का भरपूर लुत्फ उठाते हैं, लेकिन अचानक कुछ ऐसा होता है कि ये सुहाना सफर थम जाता है। बनारस और बीएचयू की पृष्ठभूमि पर लिखी गई यह किताब युवा मन को टटोलने का प्रयास करती है। आमफहम की भाषा में लिखी होने के चलते लोग बड़ी आसानी से काशी टेल से जुड़ाव महसूस करते हैं। ओम प्रकाश राय ‘यायावर’ एक युवा उपन्यासकार हैं। ‘काशी टेल’ इनका दूसरा उपन्यास है। यायावर फिलहाल बीएचयू में पत्रकारिता के छात्र हैं।

एक बेहद साधारण किसान परिवारमें पले बढ़े यायावर की दिलचस्पी शुरू से लेखन में थी। बेहद तंगहाली के दौर से गुजरते हुए भी अपने लेखन से कभी मुंह नहीं मोड़ा। ‘काशी टेल’ बेहद रोचक और दिलचस्प उपन्यास है, तभी इसके चार संस्करण एक साल में प्रकाशित हो चुके हैं। किताब अमेजन पर उपलब्ध है और बेस्ट सेलिंग की दौड़ में शामिल हैं।

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