होली की अल्हड़ मस्ती और हुल्लड़बाजी में बरतें एहतियात, पक्के रंगों को छुड़ाने की तरकीब भी जानिए
विजय विनीत
अल्हड़ मस्ती और हुल्लड़बाजी के रंगों में घुली बनारसी होली की बात ही निराली है। बनारस में भांग, पान और ठंडई की जुगलबंदी के साथ होली का सिलसिला रंगभरी एकादशी के दिन के साथ शुरू होकर बुढ़वा मंगल तक चलता है। फागुनी बयार सुहानापन की जीवंतता भरती है। काशी में मसाने की होली चिता की भस्म से खेली जाती है। होली के दिन तो शायद ही कोई बच पाता होगा जो रंगों से सरोबोर न हो। इस दिन जमकर रंग और अबीर-गुलाल का इस्तेमाल किया जाता है। कई बार केमिकलयुक्त रंग, नकली गुलाल-अबीर त्वचा को नुकसान पहुंचाते हैं। साथ ही आंखों पर भी विपरीत असर डालते हैं।
बनारस के भोजूबीर स्थित त्रिमूर्ति मल्टी सुपर स्पेशियलटी संस्थान के प्रबंध निदेशक डा. राममूर्ति सिंह कहते हैं कि होली स्वरूप दिनों-दिन बदरंग होती जा रहा है। ऐसे में यह जानना जरूरी है होली के दौरान पक्के और केमिकलयुक्त रंगों को कैसे छुड़ाएं और क्या एहतियात बरतें? वह कहते हैं, “होली खेलते समय इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि रंगों में मौजूद केमिकल आंखों की रोशनी भी छीन सकता है और त्वचा को बदरंग भी कर सकता है। होली खेलने से पहले सिर से पैर तक तेल का लेप लगाएं। सिर के नीचे भी तेल का इस्तेमाल किया जाए। शरीर में कोई चोट लगी हो तो उस पर बाइंडेज जरूर लगाएं। कोशिश यह होनी चाहिए कि शरीर के अंदर रंग कतई न घुसने पाए।”
डा.राममूर्ति यह भी कहते हैं, “आर्गेनिक रंगों से होली खेलना लाभकारी होता है। अगर आपके चेहरे पर कोई बीमारी है तो विशेष रूप से सावधानी बरती जानी चाहिए। जिनके चेहरों पर कील-मुंहासे अथवा फोड़ा फुंसी हो तो दवा लगाने के बाद तेल का इस्तेमाल करें। महिलाएं अपने नाखून में डार्क नेल पालिश लगाने के बाद होली खेलें। कोशिश यह की जानी चाहिए कि रंग नेल बेड में कतई न घुसने पाए। रंग खेलने से पहले पुरुषों और महिलाओं को कोई सनस्क्रीन लगा लेनी चाहिए। इसके बाद तेल का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।”
होली खेलने का तौर-तरीका समझाते हुए डा. राममूर्ति सिंह कहते हैं, “चश्मा लगाकर होली खेलना चाहिए। इसका फायदा यह होगा कि रंग आंखों तक नहीं पहुंचेगा और कोई नुकसान नहीं होगा। सामान्य तौर पर सूती कपड़े पहनकर होली खेली जानी चाहिए। कोशिश होनी चाहिए कि होली के दिन ऐसे कपड़े इस्तेमाल किए जाएं, ताकि उसे दोबारा प्रयोग में न लाया जा सके। कई बार रंगों से एलर्जी की समस्या भी हो सकती है। ऐसे रंग कई बार जी का जंजाल बन जाते हैं। ऐसी कोई समस्या हो तो रंगों को तत्काल पानी से धोएं और वहां बर्फ लगा लें। दही का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। एलोवेरा जेल भी काफी लाभकारी होता है।”
पक्के रोगों को छुड़ाने की तरकीब समझाते हुए डा. डा. राममूर्ति सिंह कहते हैं कि होली पर पक्का रंग लगने पर उसे छुड़ाने के लिए दही अथवा एलोवेरा जेल का इस्तेमाल करना चाहिए। जेल लगाने के 15-20 मिनट बाद नहाना चाहिए। अगर चेहरे पर रंग बचा है तब भी दही और एलोवेरा जेल के साथ धोएं। ब्यूटी पॉर्लर में ब्लीच कराने से बचना चाहिए। ब्लीच कराने पर कई बार रंगों के केमिकल त्वचा के अंदर पहुंच जाते हैं। होली बीतने के एक हफ्ते बाद ही महिलाएं ब्यूटी पॉर्लर की ओर रुख करें। होली खेलते समय शरीर में पानी का पर्याप्त मात्रा होनी चाहिए।