वेलकम टू हेतमपुरः जहां हर दीवार, हर ईंट कहती है इतिहास की कहानी…!!
चंदौली का अद्भुत किला, जो अपने भीतर समेटे हुए है इतिहास और पर्यटन की अनकही गाथा
आलेख एवं फोटोग्राफः मुकेश बेवफा
नया साल आने वाला है, और अगर आप इस बार कुछ नया, अनछुआ और ऐतिहासिक जगहों पर घूमने का मन बना रहे हैं, तो चंदौली जिले का हेतमपुर आपके लिए बेहतरीन विकल्प हो सकता है। चंदौली जिले में कई ऐसे ऐतिहासिक और पर्यटन स्थलों की भरमार है, जो न केवल अपनी विरासत को सहेजे हुए हैं, बल्कि इनसे स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी मिल सकते हैं। लेकिन, सरकारी उदासीनता और संरक्षण के अभाव के कारण यह धरोहरें धीरे-धीरे अपनी पहचान खोती जा रही हैं। इन्हीं धरोहरों में से एक है हेतमपुर का ऐतिहासिक किला, जो लगभग 600 वर्ष पुराना है और आज भी इतिहास के झरोखों से हमें अतीत में झांकने का मौका देता है।
सकलडीहा-कमालपुर मार्ग पर स्थित धानापुर विकास क्षेत्र के हेतमपुर गांव में यह किला स्थित है। यह स्थान अपने आप में इतिहास की कहानियों को समेटे बैठा है। माना जाता है कि शेरशाह सूरी के जागीरदार हेतमखां ने इस किले का निर्माण करवाया था। इस किले में तीन कोर्ट बनाए गए थे, जिन्हें पूर्वी कोर्ट, पश्चिमी कोर्ट और मध्य कोर्ट के नाम से जाना जाता है।
भूलैनी कोर्ट की रोचक कहानी
गांववालों की मान्यता के अनुसार, किले के एक हिस्से को ‘भूलैनी कोर्ट’ के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि एक बार किसी गांव से आई बारात इस किले के अंदर गई और फिर कभी बाहर नहीं निकल पाई। इस घटना के बाद इस कोर्ट को भूलैनी कोर्ट के नाम से जाना जाने लगा। यह कहानी किले के रहस्यमय सुरंगों और इतिहास से जुड़े अनसुलझे पहलुओं को दर्शाती है।
लंबे समय तक उपेक्षित रहने के बाद, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI), पटना ने इस किले को संरक्षित करने की जिम्मेदारी ली। पिछले पांच वर्षों से किले के जीर्णोद्धार का काम चल रहा है। किले को इसकी मूल अवस्था में बनाए रखने के लिए लाखौरी ईंटों का उपयोग किया जा रहा है। संरक्षण कार्यों का उद्देश्य इसे न केवल इतिहास का प्रतीक बनाए रखना है, बल्कि इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर युवा पीढ़ी को इसकी महत्ता से परिचित कराना भी है।
गांववालों का मानना है कि किले में कई गुप्त सुरंगें हैं, जो राजा को धानापुर तक पहुंचाती थीं। किले के अंदर बड़े-बड़े कमरे हैं, जिनमें विशालकाय ताले लगे हुए हैं। कई बार लोगों ने रात में खुदाई का प्रयास किया, लेकिन अंदर दम घुटने की वजह से उन्हें वापस लौटना पड़ा। यह किला न केवल ऐतिहासिक महत्व का है, बल्कि रहस्यमय कहानियों और रोमांचक अनुभवों से भरा हुआ है।
हेतमपुर का किला चंदौली पर्यटन का प्रमुख केंद्र बन सकता है। इसके लिए सरकार और स्थानीय प्रशासन को इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की दिशा में प्रयास करने चाहिए।
इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास: पर्यटकों के लिए अच्छे सड़क मार्ग, साइनबोर्ड और गाइड की सुविधा उपलब्ध कराई जाए।
स्थानीय रोजगार: किले के आस-पास स्थानीय लोगों के लिए गाइड, दुकानें और हस्तशिल्प केंद्र जैसे रोजगार के अवसर पैदा किए जा सकते हैं।
सांस्कृतिक कार्यक्रम: किले में सांस्कृतिक कार्यक्रमों और स्थानीय त्योहारों का आयोजन कर इसे आकर्षण का केंद्र बनाया जा सकता है।
इस नए साल पर, क्यों न इतिहास और संस्कृति के इस खजाने की सैर की जाए? हेतमपुर का किला न केवल आपको अपने भव्य अतीत से रूबरू कराएगा, बल्कि आपको एक अनोखा अनुभव भी देगा। तो तैयार हो जाइए इस ऐतिहासिक यात्रा के लिए और इसे अपने पर्यटन की सूची में शामिल करना न भूलें।