किसानों में बढ़ा कैंसररोधी ब्रोकली का क्रेज

शहर के स्टार होटलों में ब्रोकली की जबर्दस्त डिमांड
कैंसररोधी तत्व के साथ मिलता है ए,बी, सी, विटामिन
स्टार होटलों में बढ़ती डिमांड के चलते कैंसररोधी ब्रोकली की खेती का क्रेज बढ़ता जा रहा है। मुनाफा अधिक होने के कारण वाराणसी के अराजीलाइन, काशी विद्यापीठ और चिरईगांव ब्लाक में किसानों ने इसकी खेती शुरू कर दी है। ब्रोकली में प्रोटीन के अलावा विटामिन ‘ए’‘बी’और ‘सी’ प्रचुर मात्रा में पाई जाती है। कुछ वर्ष पहले जिले में इसकी खेती शुरू हुई है, लेकिन होटलों में इसका उपयोग बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। इसके चलते इसकी मांग बढ़ गई है। इसका उपयोग मुख्य रूप से सब्जी और सूप के रूप में किया जा रहा है। ब्रोकली गोभी वर्गीय सब्जियों में आती है, लेकिन इसके शीर्ष ठोस नहीं होते। छोटे-छोटे शीर्ष के पुंज रहते हैं।
सहमलपुर के प्रगतिशील किसान अमरजीत पांडेय, बड़ागांव ब्लाक के बीरशाहपुर के बासुदेव, काशी विद्यापीठ के रमना में महेंद्र सिंह, बृजनाथ, हाथी बरनी के नंदू पटेल, शिवलाल पटेल (सेवापुरी) पिछले सालोें से ब्रोकली की खेती करते हैं। वैसे अमरजीत पांड़ेय पूर्वांचल के पहले किसान हैं जो सबसे पहले ब्रोकली की खेती कर रहे हैं। इसकी खेती में बायो फर्टीलाइजर का इस्तेमाल करते हैं। इसलिए तारांकित होटलों में इनके द्वारा उगाई गई ब्रोकली की डिमांड बहुत अधिक हैं। श्री पांडेय कहते हैं, कि किसान गोभी के बजाए ब्रोकली खेती से अधिक मुनाफा हासिल कर सकते हैं, लेकिन रासायनिक खाद का इस्तेमाल कतई नहीं किया जाना चाहिए। ब्रोकोली की तीन प्रमुख किस्में हैं-श्वेत, हरी और बैगनी। इनमें हरे रंग की गंठी हुई शीर्ष वाली किस्में ज्यादा पसंद की जाती हैं। शहर से सटे ग्रामीण इलाकों में इसकी खेती का क्रेज बढ़ता जा रहा है।
उद्यान विभाग के उप निदेशक अनिल सिंह के मुताबिक अगेती किस्म की ब्रोकली 60-70 दिन में तैयार हो जाती है। इसकी अच्छी वृद्धि के लिए सर्दी का मौसम उपयुक्त होता है। डी सिक्को, ग्रीनाड और स्पाटिन आदि अगेती किस्में हैं। ग्रीन स्प्राइटिंग मिडियम की प्रजाति है जो करीब 100 दिन में तैयार होती है। पछेती किस्मों में ग्रीन स्प्राउटिंग लेट एक प्रमुख किस्म है जो 120 दिन में तैयार हो जाती है।
पौधशाला में बीज की बुआई का उपयुक्त समय अगेती के लिए मध्य अक्टूबर तक और मध्यावधि व देर से तैयार होने वाली किस्मों के लिए अक्टूूबर से मध्य नवंबर तक है। भूमि और भूमि की तैयारी, खाद, उर्वरक, सिंचाई आदि फूलगोभी की तरह होती है। एक हेक्टेयर ब्रोकली की खेती के लिए 500 ग्राम बीज की जरूरत पड़ती है। इसके पौध रोपण की उचित दूरी पंक्ति से पंक्ति की दूरी 45-50 सेमी और पौधों के बीच की दूरी 40-45 सेमी होनी चाहिए। पूर्वांचल में ब्रोकली की अगेती फसल की कटाई दिसंबर, मध्यावधि किस्मों की जनवरी से फरवरी और पछेती किस्में मध्य फरवरी के बाद तैयार हो जाती हैं। कटाई के समय यह ध्यान रखना चाहिए कि कलियां खिलना शुरू होने से पहले ही शीर्ष काट लेना चाहिए। शीर्ष काटते समय 15 सेमी डंठल अवश्य रखना चाहिए। इसकी औसत उपज 100 कुंतल प्रति हेक्टेयर है।