बीएचयू की चीफ प्राक्टर रोयना सिंह के प्रोफेसरशिप पर सवाल

दस साल पढ़ाया नहीं, बन गईं प्रोफेसर
योग्यता पर प्रश्न चिह्न
पशुपालन चिकित्सा विज्ञान संस्थान की डीन प्रो. रमा देवी के पास पढ़ाने का नहीं है अनुभव
दोनों प्रोफेसर पूरी नहीं करतीं अहर्ता, फिर भी बीएचयू प्रशासन ने पहना दिया चमचमाता ताज
वाराणसी के बीएचयू में पिछले रास्ते से कुर्सी कब्जाने वालों की एक लंबी फेहरिश्त है। इसमें अब रोज नए खुलासे हो रहे हैं। बीएचयू प्रशासन ने मनमानी का परिचय देते हुए प्रोफेसर पदों पर कई ऐसे शिक्षकों की तैनाती की है जो अहर्ता ही नहीं रखते। बीएचयू की चीफ प्राक्टर रोयना सिंह और पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान संकाय की डीन प्रो.रमादेवी निम्मनापल्ली की योग्यता भी सवालों के घेरे में है।
आरटीआई के सवालों के जवाब में बीएचयू प्रशासन की ओर से जो जानकारी दी गई है उसमें चिकित्सा विज्ञान संस्थान के एनोटोमी विभाग की प्रोफेसर एंड हेड चीफ प्राक्टर प्रो.रोयना सिंह और कृषि विज्ञान संस्थान के पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान संकाय की डीन प्रो.रमादेवी निम्मनापल्ली की नियुक्ति में गजब की धांधली उजागर हुई है। दोनों महिला शिक्षकों ने दस साल की शैक्षिक योग्यता पूरी किए बगैर प्रोफेसर की कुर्सी हासिल की है।
बीएचयू के चिकित्सा विज्ञान संस्थान में एनाटामी विभाग की प्रोफेसर डा.रोयना सिंह ने प्रोफेसर पद हासिल करने के लिए जिस समय आवेदन किया था, उस समय उनका शैक्षणिक अनुभव दस साल पूरा नहीं हो रहा था। तत्कालीन कुलपति प्रो.जीसी त्रिपाठी की इनपर मेहरबानी हुई और अहर्ता की अनदेखी करते हुए इन्हें प्रोफेसर बना दिया गया। रोयना सिंह ने 6 जनवरी 2014 को प्रोफेसर बनने के लिए अर्जी दी और बीएचयू प्रशासन ने इन्हें 14 फरवरी 2014 को प्रोफेसर बना दिया। जिस समय इन्हें यह ताज पहनाया गया उस समय शैक्षणिक अहर्ता दस साल से थोड़ी कम थी।
कृषि विज्ञान संस्थान के पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान संकाय की डीन प्रो.रमादेवी निम्मनापल्ली के पास बीएचयू में नियुक्ति से पहले भारत में पढ़ाने का कोई अनुभव ही नहीं था। जो था वह संविदा पर था और ऐसे शिक्षकों को नियुक्ति में कोई वेटेज नहीं दिया जाता है। यूजीसी के नियमों के तहत अगर कोई शिक्षक विदेश में संविदा पर पढ़ाता है तो भी उसके अनुभवों की गणना नियुक्ति में नहीं की जाती है। प्रो.रमादेवी निम्मनापल्ली ने 1 नवंबर 2006 से 13 जनवरी 2011 तक पीजी टीचिंग का अनुभव था। तत्कालीन कुलपति प्रो.लालजी सिंह ने कायदा कानून को ताक पर रखकर इन्हें उपकृत किया और प्रोफेसर बन गई। यही नहीं, बीएचयू प्रशासन ने इन्हें वेटनरी एंड एनीमल साइंस विभाग की डीन बना दिया। अगर इनके अनुबंध के शैक्षिक अनुभवों को भी नियुक्ति का आधार बनाया जाए तब भी वह दस साल टीचिंग की अहर्ता नहीं रखतीं। ऐसे में इन्हें प्रोफेसर पद का तोहफा कैसे मिला? यह मुद्दा यक्ष प्रश्न बना हुआ है।
अपनी नियुक्ति को अर्ह मानती हैं रोयना
बीएचयू की चीफ प्राक्टर रोयना सिंह अपनी योग्यता को प्रोफेसर पद के लिए अर्ह मानती हैं। दावा है कि प्रोफेसर बनने के समय तक इनके पास टीचिंग का 14 साल का अनुभव था। इनके पास ढेरों रिसर्च पेपर हैं, जो यूजीसी और एमसीआई के सभी जरूरी अहर्ताओं को पूरा करता है। दूसरी ओर, पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान संकाय की डीन प्रो.रमादेवी निम्मनापल्ली प्रोफेसर पद पर अपनी नियुक्ति के बारे में कोई भी जवाब देने से परहेज करती हैं। कहती हैं कि नियुक्ति के बारे में उन्हें कुछ भी नहीं कहना है। जिसे जानकारी चाहिए वह बीएचयू प्रशासन से ले।