मोहनी विद्या के रिन्यूवल में जुटी ‘टोनही’ नौकरशाही

मोहनी विद्या के रिन्यूवल में जुटी ‘टोनही’ नौकरशाही

 

पीएम नरेंद्र मोदी के आने पर सरकारी मशीनरी बन जाती है टेंपरोरी कल्पवृक्ष

विजय विनीत

मजमा खत्म होते ही लुट गई हरियाली

किसी जमाने में काशी नरेश जब जनता का हालचाल जानने निकलते थे तो उन्हें ऐसी ड्रेस डिजाइन करानी पड़ती थी कि कोई पहचान ही न पाए। बनारस के सांसद नरेंद्र मोदी (देश के राजा) जनता का हालचाल लेने धूम-धड़ाके के साथ काशी आ रहे हैं। उनके लिए पूरे शहर का भेष बदला जा रहा है। मोदी जब काशी में आते हैं तब सरकारी मशीनरी टेंपरेरी कल्पवृक्ष बन जाती है। शहर भले ही बदहाल रहे, पर डीरेका इलाके के लोग जो मांगते हैं, अफसर सब कुछ दे देते हैं। उनके लौटते ही सब कुछ वापस मांग लेते हैं।
पीएम नरेंद्र मोदी के काशी दौरे से शहर के लोग गदगद है। जिन रास्तों से मोदी को गुजरना है वहां रातो-रात पैबंद लग गया है। कुछ जानलेवा गड्ढे भर गए हैं, लेकिन पूरे शहर में नहीं। बदसूरत डिवाइडरों के दिन फिर गए हैं। इन्हें रंग-रोगन कर चमका दिया गया है। जहां सुअरों और कुत्तों का जमावड़ा लगता था, वहां बगिया उगा दी गई है। सिर्फ उन्हीं इलाकों में जहां से पीएम गुजर सकते हैं।
वैसे भी काशी के अफसरों को रातों-रात पेड़ लगाने, सब कुछ संवार देने का खासा तजुर्बा है। अपने शहर के अफसर काशी के सांसद को ‘पहुना’ बनाने के मूड में हैं। वे चाहते हैं कि ‘पहुना’ को अपना शहर चकाचक दिखे। समूची काशी भले ही बदसूरत हो…, बेहाल हो…, तिल-तिलकर मर रही हो…, पर अफसर दुनिया की सारी सुंदरता बटोरकर उन इलाकों में पोत देना चाहते हैं जहां से प्रधानमंत्री को गुजारना है। शायद इन्हें लगता है कि मोदी काम से भले ही न रीझें, लेकिन उनके ‘एक्ट्रा करीकुलम’ पर जरूर भौंचक्का हो जाएं। उनका प्रमोशन हो जाए।
शहर की अड़ियों पर यह सवाल जोर-शोर से उठ रहा है कि मोदी अबकी दिवाली के बाद क्यूं आ रहे हैं? इस पर खांटी बनारसियों का नजरिया हैरान कर देने वाला है। वे बताते हैं कि दिवाली और नवरात्र में मोहनी मंत्र अच्छी तरह जगती है। दिवाली बीत चुकी है और नवरात्र आने वाला है। ऐसे में तो ‘टोनही’ भी अपना लाइसेंस रिन्यू (जाटू-टोना जगाना) कराती है। तभी यह पता चलता है कि ‘टोनही’ को विद्या का नियम-कायदा मालूम है या भूल गई है। ऐसे मौकों पर ही अफसरों की काबिलियत का ट्रायल होता है। ये पास होते हैं तो कुछ दिनों के लिए बाबा की नगरी में लूटने-खसोटने के लिए इनके लाइसेंस का रिन्यूवल हो जाता है।
सरकारी मशीनरी के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मैक्रों की काशी यात्रा दिवाली के त्योहार सरीखा है। अपने शहर में हजारों पुलिस और प्रशासनिक अफसरों का रेला जुटा है। मोदी की यात्रा में सब के सब अपनी मोहनी विद्या का रिन्यूवल कराना चाहते हैं। इनका जादू दोतरफा चलता है। एक ओर जनता पर टोना करते हैं और दूसरी ओर प्रधानमंत्री को नजरबंद कर देते हैं। जहां पानी नहीं, वहां समुद्र दिखा देते हैं। जहां हरियाली नहीं, वहां पेड़ दिखा देते हैं। प्रधानमंत्री की यात्रा का फरमान आया नहीं, अफसरों की विद्या का ट्रायल शुरू हो जाता है। टोना की विद्या में फेल रहने वाले अफसर बाहर कर दिए जाते हैं।
काशी में ‘टोनही’ निरंतर रही है और उसे चैलेंज करने वाले ही मरते रहे हैं। अफसर वैसे ही बने रहते हैं, जैसे ‘टोनही’ अपनी जादू आजमाती रहती है। मोदी आ रहे हैं तो शेर, भालू, लोमड़ी, चीतल, सियार, सांप, बिच्छू के लिए भी सरकार का खजाना खुल गया है। काशी के लोग खुश हैं कि हुजूर आएं, लेकिन ‘टोनही’ नौकरशाही के ‘उच्चाटन’ से राहत दिला दें। उनकी मोहनी विद्या को बेअसर कर दें। कम से कम काशी के लोग भी साल भर धूल फांकने के बजाय ताजी हवा में सांस ले सकें। गंदगी से अटे-पटे शहर में सफेद और कलफदार कपड़े पहनकर घर से बाहर निकल सकें।

पुछल्ला—
काशी के सफेदपोशों में वफा ढूंढ रहे हो।
क्यूं फरेब सजाने का हुनर सीख रहे हो।।
हर बार टूटता है दिल इस कदर संग-दिल।
भरी जहर की शीशी में दवा ढूंढ रहे हो।।

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