पूर्वांचल में बारिश में भी फलेगी शिमला मिर्च

पूर्वांचल में बारिश में भी फलेगी शिमला मिर्च

आईआईवीआर के वैज्ञानिकों ने विकसित की नई प्रजाति

विजय विनीत

पूर्वांचल में शिमला मिर्च की खेती सर्द मौसम में होती है। अब इसकी खेती बारिश और कम गर्मी के दिनों में भी हो सकेगी। बनारस के वैज्ञानिकों ने इसकी नई प्रजाति ढूंढ ली है। खास यह कि शिमला मिर्च की यह नई प्रजाति मौजूदा समय में प्रचलित प्रजातियों पर भारी पड़ेगी। इससे रिकार्ड उत्पादन हासिल किया जाा सकता है।
पूर्वांचल में पिछले चार सालों में शिमला मिर्च की खेती का क्रेज बढ़ा है। इसकी वजह है बाजार में इस मिर्च की अच्छी कीमत मिलना। बारिश और गर्म मौसम में रिकार्ड उत्पादन देने वाली शिमला मिर्च की खोज की है भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (आईआईवीआर) के वैज्ञानिकों ने। शिमला मिर्च की नई प्रजाति के विकास के लिए वर्ष 2000 में वरिष्ठ वैज्ञानिक डा.संजीत कुमार ने शोध शुरू किया था। बाद में डा.राजेश कुमार के नेतृत्व में शोध सहायक डा.संजय कुमार सिंह ने इस अनुसंधान को आगे बढ़ाया।
आईआईवीआर के वरिष्ठ वैज्ञानिक राजेश कुमार के मुताबिक शिमला मिर्च की नई प्रजाति को फिलहाल पीटी 12-3 नाम दिया गया है। यह मिर्च की प्रजाति कैलिफोर्निया वंडर और सामान्य मिर्च (एलसीए-235) के संकरण के बाद सेलेक्शन विधि से नई प्रजाति विकसित की गई है। इसका उत्पादन 200 से 250 कुंतल प्रति हेक्टेयर है। उन्होंने बताया कि शिमला मिर्च की इस प्रजाति की खेती मई-जून को छोड़कर पूरे साल की जा सकती है। पूर्वांचल में आमतौर पर शिमला मिर्च की खेती सिर्फ जाड़े के सीजन में होती है।

शिमला मिर्च की हाईब्रिड प्रजाति भी हुई विकसित

 आईआईवीआर के वैज्ञानिकों ने शिमला मिर्च की एक हाईब्रिड प्रजाति भी विकसित की है। इस प्रजाति को पीटी-12-3 से बनाया गया है। इस मिर्च को विकसित करने के लिए दो साल पहले शोध शुरू हुआ था। इस प्रजाति को भी राष्ट्रीय स्तर पर परीक्षण किया जाएगा। इसे वीआरसीएच-1 नाम दिया गया है। इसका उत्पादन करीब 300 कुंतल प्रति हेक्टेयर है।

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