बवासीर है तो क्या, हरी मिर्च का स्वाद चखिए ना
आईआईवीआर ने विकसित की हरी मिर्च पाउडर बनाने की तकनीक
विजय विनीत
बावासीर, भगंदर और पाचन संबंधी विकार से पीड़ित लोगों के लिए खुशखबरी। इन रोगों से ग्रसित लोग भी अब हरी मिर्च का स्वाद ले सकते हैं। ऐसे लोगों को दिया जा सकता है हरे मिर्च का पाउडर। यह पाउडर खाने में स्वादिष्ट तो होगा ही, इसे पूरे साल सुरक्षित रखा जा सकता है। गर्मी के मौसम में मिर्च की अच्छी प्रजातियां नहीं होती हैं। ऐसे में इस पाउडर का इस्तेमाल किया जा सकता है।
हरी मिर्च से पाउडर बनाने की तकनीक इजाद की है भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (आईआईवीआर) के वैज्ञानिकों ने। मौजूदा समय में बाजार में सिर्फ लाल मिर्च का पाउडर की उपलब्ध है। यह पाउडर अल्सर, पाइल्स और पाचन संबंधी बीमारियों में मुसीबत साबित होता है। इन रोगों से पीड़ित लोगों को पेट के डाक्टर लाल मिर्च का पाउडर इस्तेमाल करने का अनुमति नहीं देते हैं। इसकी बड़ी वजह यह है कि इसमें विटामिन सी की मात्रा नहीं के बराबर होती है।
वाराणसी और मिजार्पुर समेत पूर्वांचल के गाजीपुर जिले में बड़े पैमाने पर हरे मिर्च की खेती होती है। जिस समय मिर्च की फलत अधिक होती है उस समय बाजार में मिर्च कौड़ियों के दाम बिकती है। ऐसे में किसान हरे मिर्च का पाउडर बनाकर काफी मुनाफा कमा सकते हैं। आईआईवीआर ने पिछले साल हरे मिर्च का पाउडर बनाने की तकनीक विकसित करने पर काम शुरू किया। महज एक साल में ही पाउडर तैयार करने में कामयाबी हासिल कर ली। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि हरे मिर्च के पाउडर में मिर्च जैसा ही तीखापन होता है। स्वयंसेवी संस्थाएं आईआईवीआर को रायल्टी देकर इस तकनीक को हासिल कर सकती हैं।
मिर्च का पाउडर बनाने की विधि
मिर्च को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर उबलते पानी में 8 से 10 मिनट तक रखते हैं। इसके बाद ड्रायर में 50 से 60 डिग्री तापमान पर 8 से 10 घंटे सुखाते हैं। जब नमी सिर्फ दो फिसदी रहती है तो उसे मिक्सी में डालकर पाउडर बना लेते हैं। पाउडर बनाने के लिए पोटैशियम मेटाबाक्साइट, सोडियम बाई काबोर्नेट (बेकिंग पाउडर) और मैगनिशियम आक्साइड की जररूत पड़ती है।