काशी में अब दारू से जवान हो रहींं फूलों की कलियां 

काशी में अब दारू से जवान हो रहींं फूलों की कलियां 

ज्यादा मुनाफे की लालच में सेहत और आस्था से खिलवाड़

विजय विनीत 

बनारस में फूलों की कलियां अब दारू से जवान हो रही हैं। सिर्फ गेंदे के फूल ही नहीं, कद्दूकुल की सब्जियां भी दारू से परवान चढ़ रही हैं। उत्पादन बढ़ाने के लिए किसान इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। एक खास ब्रांड की शराब में जिब्रेलिक एसिड मिलाकर फूलों और सब्जियों पर बड़े पैमाने पर छिड़का जा रहा है। दरअसल कमाल दारू का नहीं, जिब्रेलिक एसिड का है। यह वृद्धि नियामक हार्मोन है, जो सिर्फ अल्कोहल में ही घुलता है। इसलिए किसान इसे देसी दारू के साथ घोलकर फूल और सब्जियों पर छिड़क रहे हैं, जिससे उनका रंग-रूप चटकीला हो जाता है। साथ ही उत्पादकता बढ़ जाती है। जिब्रेलिक एसिड उत्प्रेरक का काम करता है।

वाराणसी जिले में करीब एक हजार हेक्टेयर में गेंदा और दो हजार हेक्टेयर में लौकी, टमाटर, खीरा, नेनुआ, मिर्च और कद्दू की खेती होती है। काशी विद्यापीठ, चिरईगांव और गंगा के तटवर्ती इलाकों में गेंदे के फूल और सब्जियों पर जिब्रेलिक एसिड के साथ दारू छिड़की जा रही है। किसानों का मानना है कि, इससे गेंदे की कलियां बड़ी और अधिक टिकाऊ होती हैं। हालांकि किसान नहीं चाहते कि, गेंदे पर दारू छिड़के जाने की बात सार्वजनिक हो, क्योंकि काशी के हजारों मंदिरों में गेंदे के फूल चढ़ाये जाते हैं। गेंदे की कलियां दारू से जवान हो रही हैं। यह बात सार्वजनिक होने पर लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंच सकती है।

अराजीलाइन के सब्जी पट्टी इलाके में जिब्रेलिक एसिड के साथ दारू छिड़कने का प्रचलन बढ़ता जा रहा है। पहले कुछ किसान धनिया, पालक आदि सब्जियों पर दारू का छिड़काव करते थे। अब अधिकतर किसान टमाटर, बैगन, मिर्च पर जिब्रेलिक एसिड के साथ दारू छिड़कने लगे हैं।

दारू में जिब्रेलिक एसिड मिला कर छिड़कने से रंग-रूप होता है चटकीला और बढ़ जाती है उत्पादकता

जक्खिनी इलाके के किसान कन्हैया राजभर, राजाराम, राजा राजभर, महेंद्र यादव, लालधर, गोपाल पटेल, राजेंद्र पटेल और काशी विद्यापीठ ब्लाक क्षेत्र के राजेंद्र, बिजयी, निहोर, जवाहिर, सदन, विक्रमा, लक्ष्मी, गौरी, होरी, कल्लू का कहना है कि, दारू के साथ पादप हार्मोन जिब्रेलिक एसिड छिड़कने पर फूल और सब्जियों के पौधे काफी हरे-भरे हो जाते हैं। साथ ही उत्पादन भी बढ़ जाता है। इसे छिड़कने से सब्जियों का रंग चमकदार हो जाता है।

वाराणसी के पूर्व जिला उद्यान अधिकारी लालजी पाठक के मुताबिक, जिब्रेलिक एसिड एक तरह का ग्रोथ हार्मोन है। इसकी नौ मिली ग्राम मात्रा दारू में घोलने के बाद 27 से 30 लीटर पानी में मिलाकर छिड़कनी चाहिए। किसानों को एक-दूसरे की देखा-देखी जिब्रेलिक एसिड छिड़कने का प्रयास नहीं करना चाहिए। उद्यानविदों से सलाह लेने के बाद ही इसे फूल और सब्जियों पर छिड़कना चाहिए। अगर जरूरी नहीं हो, तो अधिक मुनाफा कमाने की लालच में किसानों को इसका इस्तेमाल करने से बचना चाहिए।

 ‘अल्कोहल (दारू) के साथ घुलने वाला वृद्धि नियामक हार्मोन जिब्रेलिक एसिड फूल और सब्जियों की कोशिकाओं का आकार बढ़ा देता है। जिन सब्जियों में अधिक मात्रा में इस हार्मोन का इस्तेमाल होता है, उसे खाने से पाचन संबंधी विकार पैदा होता है। अनजाने में लोग दारू वाले गेंदे के फूलों को देवी-देवताओं पर भी चढ़ाते हैं।’

लालजी पाठक, पूर्व जिला उद्यान अधिकारी, वाराणसी

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