इस देवी के दरबार में नक्सली भी टेकते हैं मत्था

इस देवी के दरबार में नक्सली भी टेकते हैं मत्था

अमरा भगवती पूरी करती हैं सबकी मन्नत, सिद्धपीठ में होता है सबका भला, कोई नहीं लौटता खाली हाथ

जमीन से स्वत: निकली है मां की प्रतिमा, बीमारी, संतानहीनता का होता है निवारण

विजय विनीत

चंदौली जिले के नौगढ़ की सुरम्य वादियों में अमरा भगवती का मंदिर अगर मन को सुकून देता है तो दिल की मुराद भी पूरी करता है। मान्यता है कि देवी के दर्शन से हर किसी की मन्नतें पूरी होती हैं। मां भगवती सब ठीक करती हैं। रोग-व्याधि, संतानहीनता, गृह क्लेश। सब कुछ। मंदिर में पहुंचते ही सारी समस्याओं का समाधान हो जाता है। इलाके के बुजुर्गवार बताते हैं कि अमरा भगवती की प्रतिमा जमीन से स्वत: निकली है। स्थानीय भक्तों ने अब मंदिर को काफी भव्य स्वरूप दे दिया है।

अमरा भगवती मंदिर में हर तरह के लोग आते हैं। आम से खास सभी। जमाने को चलाने वाले नेता भी। चुनाव जीतने की आस लेकर। मां भगवती बड़ी उदार हैं। सबका मन भांप लेती हैं। सबकी कामना पूरी करती हैं। आप मंदिर में जाइए, बैठिये। सब समझ में आ जाएगा। मां भगवती सबके बारे में जानती हैं।

सबकी झोली में कुछ न कुछ जरूर डालती हैं मां

राजनीति में कितनी बेइमानी है। फिर भी अमरा भगवती ऐसे लोगों पर कृपा क्यों करती हैं? मंदिर के पुजारी भुवनेश्वर मिश्र कहते हैं, ‘प्रारब्ध है तो उन्हें मिलेगा ही। पिछले जन्म में जो पुण्य किया है, उससे वंचित कैसे कर दिये जाएं। प्रारब्ध पूरा होते ही मारे जाएंगे।’

भूत-प्रेत क्या है पुजारी जी? वह कहते हैं ‘अमरा भगवती का नाम लेने वालों को प्रेत बाधा सता नहीं सकती। वह सबकी झोली में कुछ न कुछ जरूर डाल देती हैं। यहां रोग-व्याधि से पीड़ित लोग आते हैं। संतान की आकांक्षा लिए लोग आते हैं। भूत-प्रेत से ग्रस्त लोग आते हैं। चुनाव जीतने की उम्मीद लिए नेता भी आते हैं। माथा टेकते हैं। चुनाव जीत जाते हैं। मां भगवती के दरबार में शादी-विवाह भी होता है। नक्सली भी आते हैं माथा टेकने।’

मां भगवती के मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यहां भक्त नौकरी, विवाह, रोग-व्याधि, परेशानी, परीक्षा में अच्छे नंबरों से पास होने की लालसा लेकर आते हैं। मंदिर में बगैर ताम-झाम के पूजा अर्चना होती रहती है। इसके बाहर हर समय पूरे दिन नारियल-चुनरी की दुकानें सजी रहती हैं। विक्रेता निध्यनाथ दुबे और रामजग कहते हैं, ‘मां भगवती के दरबार में सबकी मन्नत पूरी होती है। कोई खाली हाथ नहीं लौटता। रोजाना तीन से चार सौ लोग मां के दरबार में मत्था टेकते हैं। खास बात यह है कि यहां किसी जीव की बलि नहीं होती। मन्नत पूरी होने पर लोग नारियल की बलि देते हैं।’

भगवती के मंदिर में तेंदू का अद्भुत पेड़

मां अमरा भगवती के मंदिर में तेंदू का एक अद्भुत पेड़ देवी की महिमा का बखान करता है। इस पेड़ में पूरे साल तेंदू के फल लगते हैं। तेंदू का पका फल भी ऐसा कि खाने वाला वाह-वाह करता है। लेकिन फल सौभाग्यशाली लोगों को ही मिलता है। हरदवा (नौगढ़) निवासी रामेश्वर बताते हैं, ‘कुछ साल पहले मंदिर को भव्य बनाने के लिए तेंदू के पेड़ को काटने का निर्णय लिया गया। जैसे ही तेंदू के पेड़ पर कुल्हाड़ी चली तो खून का फव्वारा निकलने लगा। लोग हैरान हो गए। अनोखे पेड़ को काटने का इरादा त्याग दिया गया। तब से तेंदू का विशाल और अद्भभुत पेड़ मां के मंदिर में खड़ा है।’

ऐसे पहुंचें मां के दरबार में

वाराणसी से बस अथवा निजी वाहन से मुगलसराय होते हुए चकिया पहुंचें। वहां से विंध्य पर्वत की सुरम्य वादियों से होते हुए नौगढ़ जाएं। यहां राबर्ट्सगंज जाने वाली बस पकड़ें और मझगांवा उतरें। वहां से मां अमरा भगवती का मंदिर करीब साढ़े तीन किमी दूर है। निजी साधन अथवा पैदल मंदिर में पहुंचकर दर्शन-पूजन किया जा सकता है।

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