हार्ट अटैक को मात देगा बेर जूस

हार्ट अटैक को मात देगा बेर जूस

लीवर कैंसर व दिमाग की बीमारी में भी फायदेमंद

सेब और अंगूर से भी ज्यादा है विटामिन-प्रोटीन

विजय विनीत

त्रेता युग में सबरी के जिस जूठे बेर को भगवान राम ने खाया था वह कितना गुणकारी है, इसका पता अब चला है। बेर का जूस न सिर्फ लीवर कैंसर, बल्कि हार्ट अटैक को भी मात देता है। यह एलर्जी, इंसोमिया (दिमाग की बीमारी) के अलावा रक्त परिसंचरण की समस्या भी दूर करता है। साथ ही खून को थक्का बनने और लीवर को बढ़ने से रोकता है।

बेर का गुणकारी जूस तैयार किया है भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक डा.तन्मय कुमार कोले ने। डा.कोले के इस शोध पर तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने गोल्ड मेडल देकर सम्मानित किया था। इंडियन एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट (आईएआरआई) नई दिल्ली की प्रधान वैज्ञानिक चरनजीत कौर के नेतृत्व में यह शोध हुआ है।

एल्जाइमर और पार्किंसन की बीमारी का करता है खात्मा

शोध रिपोर्ट के मुताबिक बेर के 100 मिलीग्राम जूस में 400 मिलीग्राम जीएई पॉलीफेनाल मिलता है। यह तत्व हृदय रोग, दिमाग की बीमारियों के अलावा रक्त परिसंचरण संबंधी बीमारियों को रोकता है। साथ ही खून को थक्का बनने से रोकता है, जिससे दिल का दौरा पड़ने की संभावना कम हो जाती है। यह एल्जाइमर और पार्किंसन की बीमारी को भी ठीक करता है। इसी तरह बेर के सौ मिलीग्राम जूस में 12.5 मिलीग्राम सीई फ्लैबोनाइट मिलता है। यह तत्व दिल की बीमारियों को रोकता है।

इसी तरह प्रति सौ मिलीग्राम जूस में 70 मिलीग्राम विटामिन सी मिलता है। इससे ठंड से भी राहत मिलती है। बेर के जूस में एक अन्य तत्व मिलता है फ्लैबोनाइड। यह आक्सीकारक है। यह सूजन की बीमारी को भी नियंत्रित करता है। यह जीवाणुरोधी भी है। इतना रोग अवरोधी तत्व किसी न तो सेब में मिलता है और न ही अंगूर व अनार में। त्वचा रोग में भी बेर का जूस लाभकारी है। अपने गुणों के चलते इसे गार्जियन आफ हेल्थ पॉलीफेनाल कहा जाता है। साथ ही इसे स्टार न्युट्रिएंट ऑफ द मिलेनियम भी कहा जाता है। दूसरे फलों के मुकाबले बेर काफी सस्ती मिलती है। अलबेला गुणों के चलते अब बेर का च्वनप्रास बनाने की कवायद भी शुरू हो गई है।

ऐसे बनता है बेर का जूस

बेर को उबलाने के बाद गूदा निकालने वाली मशीन में डाला जाता है। इसके बाद इसका एंजाइम ट्रीटमेंट किया जाता है। बाद में 60 डिग्री तापमान पर गर्म किया जाता है। एक घंटे के अंदर गूदा शर्बत (जूस) जैसा हो जाता है। इसे मोटे कपड़े में डालकर हाइड्रोलिक प्रेस में डाला जाता है। इस प्रक्रिया के तहत निकलने वाले जूस में न रंग होता है और न ही कोई सुगंध। 100 मिलीग्राम पानी में 15 मिलीग्राम बेर जूस डालकर उसमें लेमन फ्लेवर डाला जाता है। इससे जूस गाजर के रंग का हो जाता है। जूस को मीठा करने के लिए चीनी का घोल डालना पड़ता है। बाद में इस जूस को पाश्चराइजेशन किया जाता है और उसमें बेंजोएट डालकर प्रिजर्व किया जाता है। इसके बाद छह से आठ महीने तक इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।

 

बेर की प्रमुख प्रजातियां : सनउर-5, जेडजी-3, एलाइची, रश्मि, गोला, कैथाली

 

‘बेर भले ही सस्ता फल है, लेकिन है बहुत गुणकारी। यह कई जानलेवा बीमारियों में रामबाण साबित हो सकता है। इसके महत्व को समझने की जरूरत है।’-डा.तन्मय कुमार कोले, आईआईवीआर

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