चंदौली में हाईटेक खेती की प्रयोगशाला बना नौली

चंदौली में हाईटेक खेती की प्रयोगशाला बना नौली

युवा किसानों ने लिखी तरक्की की नई इबारत, बरसने लगी दौलत

 जज्बा हो तो युवा किसान अनिल मौर्य और बृजेश मौर्य जैसा। चंदौली जिले के नौली गांव में पेशगी पर जमीन लेकर इन किसानों ने ताइवानी तरबूज और शिमला मिर्च की खेती शुरू की। कुछ नया कर गुजरने के हौसले से इन्हें ताकत मिली। वैज्ञानिक ढंग से सब्जियों की खेती शुरू की और चंद सालों में दोनों लखपति बन गए। साथ ही चंदौली के उन किसानों के लिए आदर्श बन गए जो खेती से मुंह मोड़ने लगे थे।
अनिल मौर्य चकिया ब्लाक के फिरोजपुर और बृजेश मौर्य धानापुर के निदिलपुर गांव के निवासी हैं। दोनों पुराने दोस्त हैं। दोस्ती उन दिनों से है जब वे एक बीमा कंपनी में साथ-साथ काम करते थे। इन युवाओं ने पहले हल की मूठ तक नहीं संभाली थी। जब बारिश और धूप में पसीना बहाना शुरू किया तो सबके आदर्श बन गए। एकलब्य कथा से प्रेरणा लेकर युवा किसानों ने नई तकनीक से खेती शुरू की तो सफलता इनका कदम चूमने लगी।

पेशगी की जमीन पर शुरू की ताइवानी तरबूज और शिमला मिर्च की खेती

चंदौली के दोनों किसानों ने सबसे पहले ताइवानी तरबूज मुस्कान की खेती शुरू की। इस तरबूज ने इनके चेहरे पर हमेशा के लिए मुस्कान ला दी। फूलों जैसी सुगंध, चीनी जैसी मिठास, गोल और सुडौल ताइवानी तरबूज से इन्होंने खूब कमाई की। इस साल मल्चिंग प्रणाली से इन्होंने मुस्कान की खेती की और तीन-चार महीने में करीब दो लाख रुपये कमा लिया। लगभग चार सौ कुंतल खरबूजा बाजार में बेचा। इन किसानों ने चंदौली में पहली बार बड़े पैमाने पर शिमला मिर्च की खेती की और खेत से बाजार तक धूम मचा दिया। इन किसानों के जुनून की बदौलत अब धानापुर प्रखंड का नौली गांव जिले किसानों के लिए प्रयोगशाला बन गया है। जिस गांव में कोई व्यावसायिक खेती करने की हिम्मत तक नहीं जुटाता था, वहां अब खेती से दौलत बरसने लगी है। लोग दोनों किसानों को एग्रीलीडर मानने लगे हैं। ये श्रमिकों के साथ खुद तपती धूप में काम करते हैं।

कमाया मोटा मुनाफा, अपनी मेहनत से चंद सालों में बन गए एग्रीलीडर

अनिल मौर्य बताते हैं कि रसीले और स्वादिष्ट ताइवानी तरबूज को चंदौली के किसान अपनी कमाई का उत्तम जरिया बना सकते हैं। मुस्कान को नदियों के किनारे अथवा बलुई दोमट मिट्टी में पानी की उपलब्धता के आधार पर मेड़ अथवा थालों में बोया जा सकता है। मुस्कान तरबूज की प्रचलित प्रजाति शुगर बेबी, दुगार्पुर केसर, एनएस 195 को भी मुस्कान मात दे रहा है।
प्रगतिशील किसान बृजेश और अनिल की मेहनत का नतीजा है कि अब ये चंदौली के फार्मरों के ब्रांड एंबेस्डर बन गए हैं। हर कोई इनसे सीख लेकर नई तकनीक से व्यावसायिक खेती में करके मोटा मुनाफा करना चाहता हैं। दोनों किसानों ने तरक्की की जो अलग जगाई है उससे किसानों श्रमिकों का अंधेरा मिटा है। धानापुर इलाका तरक्की की नई रोशनी से जगमग हुआ है।

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