ऊसर भूमि में उगायें धान, कमाएं मुनाफा

ऊसर भूमि में उगायें धान, कमाएं मुनाफा

ऊसर भूमि में धान उगाने की तरकीब

विजय विनीत

ऊसर भूमि में धान की खेती करके किसान भारी मुनाफा कमा सकते हैं। सहनसील प्रजाति होने के कारण धान की खेती करने पर नमक ऊपर नहीं आ पाता है। ऊसर भूमि में धान की खेती करने के लिए कई महत्वपूर्ण बिंदुओं को ध्यान में रखना पड़ता है।

ऐसे करें खेत की तैयारी

ऊसर सुधार के बाद जिस जमीन में पहली बार धान की खेती की जा रही है उसमें जिप्सम मिलाने के बाद कल्टीवेटर से 7.8 सेमी गहराई तक जुताई करते हैं। इसके बाद खेत में दस दिनों कर 10 से 15 सेमी पानी भरते हैं। बाद में पानी को नाली से निकाल देते हैं। नमकयुक्त पानी को खेत से निकालने के बाद साफ पानी भरकर सीधे धान की रोपाई करते हैं। जिन खेतों में ऊसर सुधार का कार्य पिछले साल हुआ था उसमें ढैंचा की खेती कर हरी खाद तैयार करनी चाहिए। ऊसर भूमि में धान की ऐसी प्रजातियों का चुनाव करना चाहिए जो क्षारीयता के प्रति बेहद सहनशील हो।

रोपाई का समय और उर्वरक

ऊसर भूमि में धन की रोपाई जून से लेकर मध्य जुलाई तक हर हाल में कर दी जानी चाहिए। ऊसर क्षेत्र में 30-35 दिन पुरानी नर्सरी की रोपाई करते हैं। मतलब यह है कि धान की नर्सरी डालने में अब तनिक भी देर नहीं की जानी चाहिए।
ऊसर भूमि में जैविक पदार्थ और नत्रजन की विशेष कमी होती है। यदि संभव हो तो 20 से 25 टन गोबर की खाद और कंपोस्ट खाद का प्रयोग करना चाहिए। क्षारीय भूमि में 264 किग्रा यूरिया का प्रयोग किया जाता है। यूरिया की आधी मात्रा 132 किग्रा रोपाई के पहले खेत में मिलाना चाहिए। बाकी भाग को दो बराबर भागों में बांटकर पहली मात्रा कल्ला निकलने के समय यानी रोपाई के तीन हफ्ते बाद और दूसरी गांठ बनने के समय देनी चाहिए।

टाप ड्रेसिंग के समय यदि खेत में पानी भरा हो तो यूरिया को मिट्टी में मिलाकर 48 घंटे में रखने बाद मिट्टी सहित प्रयोग करना चाहिए। ऊसर भूमि में यदि 37.5 किग्रा जिंक सल्फेट का प्रयोग रोपाई से पहले बेसल ड्रेसिंग के रूप में कर दिया जाए तो इससे जिंक की कमी दूर हो जाती है। ऐसी स्थिति में धान पर खैरा रोग का प्रकोप नहीं होता है। नत्रजन, फास्फोरस और पोटाश की उपलब्धता बढ़ जाती है।

बीज की मात्रा और उपचार

ऊसर भूमि में रोपाई के लिए पौधों की संख्या अधिक रखनी चाहिए। ऊसर भूमि में 60 किग्रा बीज का उपयोग प्रति हेक्टेयर की दर से किया जाना चाहिए। नर्सरी डालने से पहलेबीज को तीन ग्राम थीरम अथवा 2 ग्राम कार्बेंडाजिम प्रति किग्रा की दगर से शोधित करना चाहिए। जिस क्षेत्र में झुलसा रोग की समस्या हो वहां अंकुरित बीज की नर्सरी डालनी चाहिए। नर्सरी हमेशा अच्छे खेत में डालनी चाहिए। ऊसर भूमि में 30-35 दिन वाली पौध की रोपाई करते हैं।

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