काशी की बेटी का वैश्विक सम्मान : श्रुति नागवंशी ने थाईलैंड में रचा इतिहास

काशी की बेटी का वैश्विक सम्मान : श्रुति नागवंशी ने थाईलैंड में रचा इतिहास

जब हाशिए की स्त्री बनी वैश्विक मंच की आवाज़ : अधिकार, आत्मसम्मान और आशा की प्रेरक कहानी

विशेष संवाददाता

बनारस। काशी की आत्मा सिर्फ उसके घाटों, मंदिरों और प्राचीनता में नहीं, बल्कि उन स्त्रियों में भी बसती है जिन्होंने अपनी आवाज़ से चुप्पियों को तोड़ा है। ऐसी ही एक आवाज़ हैं श्रुति नागवंशी। असाधारण संकल्पों से भरी महिला की यह यात्रा बनारस की गलियों से शुरू होकर अब विश्व के मंचों तक पहुंच चुकी है।

26 जुलाई 2025, फुकेट (थाईलैंड) की उस शाम जब रंगीन रोशनी और तालियों की गूंज के बीच “रेडियो सिटी बिज़नेस टाइटन्स अवार्ड 2025” की घोषणा हुई, तो वहां उपस्थित हर आंख में श्रुति नागवंशी के लिए सम्मान और गर्व का भाव था। यह पुरस्कार उन्हें “मानव गरिमा और सामाजिक नेतृत्व को बढ़ावा देने में उत्कृष्टता” के लिए मिला। जब ग्लोबल आइकन सोफी चौधरी ने उनके हाथ में सम्मान सौंपा तो जैसे बनारस की आत्मा ने वैश्विक पटल पर खुद को महसूस किया।

श्रुति नागवंशी, जनमित्र न्यास की संस्थापक न्यासी और पीपुल्स विथाउट वॉयस (PVCHR) की सह-संस्थापक हैं। वह पिछले दो दशक से दलितों, महिलाओं और बच्चों के लिए न्याय और गरिमा की लड़ाई लड़ती आ रही हैं। श्रुति उन आवाज़ों की प्रतिनिधि हैं जिन्हें अक्सर इतिहास के पन्नों में जगह नहीं मिलती। उनकी यह उपलब्धि किसी अकेले व्यक्ति की नहीं, बल्कि उन अनगिनत संघर्षशील स्त्रियों, मासूम सपनों और हाशिए पर पड़े परिवारों की सामूहिक विजय है। उनके शब्द समारोह में आत्मा को छूते हैं, यह पुरस्कार मेरा नहीं है। यह हर उस स्त्री का है जिसने चुपचाप संघर्ष किया, हर उस बच्चे का है जिसने गरिमा के साथ जीने का सपना देखा, और हर उस परिवार का है जिसने उम्मीद करना नहीं छोड़ा।

काशी का हृदय गर्व से भरा

श्रुति नागवंशी की कहानी सिर्फ सामाजिक सेवा की नहीं, बल्कि एक अदम्य साहस की है। उन्होंने अपने जीवन में जातिवाद, पितृसत्ता और व्यवस्था की जड़ों से लड़ा। वर्ष 1996 में पीवीसीएचआर की स्थापना और फिर 1999 में जनमित्र न्यास की नींव रखते हुए उन्होंने यह ठान लिया कि अब कोई भी आवाज़ दबेगी नहीं। उनके नेतृत्व में जो आंदोलन शुरू हुआ, उसने संवैधानिक साक्षरता, शिक्षा, स्वास्थ्य और लोकतांत्रिक भागीदारी को गांव-गांव पहुंचाया।

सासल 2017 में, CRY संस्था के साथ मिलकर जब श्रुति जी ने वाराणसी के 50 दूरस्थ गांवों में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने का बीड़ा उठाया तो यह सिर्फ एक स्वास्थ्य परियोजना नहीं, बल्कि जन-जागरण की शुरुआत थी। यह बदलाव बताता है कि कैसे श्रुति जैसे नेता जड़ों में रहकर भी शिखर को छूते हैं।

फुकेट से लौटते ही काशी में श्रुति नागवंशी का भव्य स्वागत हुआ। पीवीसीएचआर कार्यालय ढोल-नगाड़ों, पुष्पमालाओं और सम्मान गीतों से गूंज उठा। वरिष्ठ राजनेता दिलीप सोनकर ने उन्हें उनके निवास पर सम्मानित किया और कहा, श्रुति नागवंशी को इस अंतरराष्ट्रीय सम्मान के लिए हार्दिक शुभकामनाएं। बाबा विश्वनाथ और मां विंध्यवासिनी उनका मार्ग प्रशस्त करें।
रेडियो सिटी वाराणसी ने उनके साथ विशेष साक्षात्कार प्रसारित किया जिसमें उन्होंने भागीदारी आधारित विकास, नैतिक नेतृत्व और ज़मीनी संघर्ष के मूल्यों पर गहराई से प्रकाश डाला।

श्रुति नागवंशी की उपलब्धियां सिर्फ स्थानीय नहीं रहीं। उन्होंने G20 इंटरफेथ फोरम, PRIO और UN Women जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व किया है। साल 2024 में UN Women-Ford Foundation की रिपोर्ट “Hum: When Women Lead” में उन्हें “Transformative Leader” के रूप में पहचाना गया।
उनकी सहलेखिका डॉ. अर्चना कौशिक के साथ लिखी गई किताब “Margins to Centre Stage: Empowering Dalits in India” जाति, लोकतंत्र और सामाजिक बदलाव की गहन पड़ताल करती है।

न्याय और गरिमा सम्मान

पीवीसीएचआर संस्था ने श्रुति नागवंशी को इस सम्मान पर बधाई देते हुए लिखा, यह पुरस्कार सिर्फ श्रुति नागवंशी के कार्यों का नहीं, बल्कि उस जन-आधारित, न्यायपूर्ण और गरिमामय विकास की सोच का भी सम्मान है जिसे हम वर्षों से आगे बढ़ा रहे हैं।

जैसे-जैसे भारत विकसित भारत 2047 की ओर अग्रसर है, वैसे-वैसे श्रुति नागवंशी जैसी शख्सियत हमें यह याद दिलाती हैं कि असली परिवर्तन न नीतियों से आता है,  न नारों से। वह आता है ज़मीन से उगे नैतिक नेतृत्व से। उनकी यात्रा हमें बताती है कि संघर्षशीलता, संवेदना और समर्पण का संगम जब किसी महिला के हृदय में बसता है, तब वह पूरी दुनिया को बदलने की क्षमता रखती है। काशी की बेटी ने जो किया है, वह सिर्फ सम्मान पाना नहीं है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक उम्मीद का दिया जलाना है।

Related articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *