संकटमोचन मंदिर की वीथिका में मुस्लिम चित्रकार रिजवान की पेंटिंग ने बटोरी सुर्खियां

संकटमोचन मंदिर की वीथिका में मुस्लिम चित्रकार रिजवान की पेंटिंग ने बटोरी सुर्खियां

विशेष संवाददाता

बनारस के रिजवान एक ऐसे चित्रकार हैं जिन्हें कैनवास पर इंसानियत गढ़ना आता है। बनारस के संकटमोचन संगीत समारोह के दौरान मंदिर प्रांगण की वीथिका में रिजवान की पेंटिंग चर्चा में रही। अयोध्या में श्रीराम के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दौरान उन्होंने एक अनूठी पेंटिंग बनाकर खूब सुर्खियां बटोरी थी। संकटमोचन मंदिर की वीथिका में शक्तिबाण के आघात से मुर्छित लक्षमण और राम व हनुमान की पेंटिंग लगाई, जिसे काफी सराहा जा रहा है।

दरअसल, रिजवान ऐसे चित्रकार हैं जिन्हें कैनवास पर इंसानियत गढ़ने आती है। मुस्लिम होकर भी उन्होंने मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम   आदर्शों को आत्मसात किया है। रिजवान कहते हैं कि विचार और कल्पनाशीलता के बीज बचपन में मेरे भीतर पड़ गए थे। थोड़ा बड़ा हुआ तो मेरे पिता ने मेरे हुनर को पहचाना और बनारस की मशहूर चित्रकार सुश्री पूनम राय की संस्था बीआर फाउंडेशन के साथ जोड़ा। रिजवान अभी दसवी क्लास में पढ़ते हैं, लेकिन इंसानियत की भाषा गढ़ने में इनका कोई शानी नहीं है। रिजवान कहते हैं, “कलाकार अपनी कला के लिए समर्पित होता है। हमारी भावनाएं किसी राजनीतिक चश्मे से नहीं देखतीं। हम  अपनी कला को निखारकर विश्व पटल पर अपनी पहचान बनाना चाहते हैं।”

रिजवान कहते हैं कि कला वह भाव है जो आपके भीतर है जिसे कोई चुरा नहीं सकता। चित्रकार चिंतन करता है और समाज को नई राह दिखाता है। भगवान राम और हनुमान के जीवन पर हमने काफी पेंटिंग्स बनाई है। आज राम का जीवन समूचा विश्व आत्मसात करना चाहता है। हनुमान मेरे लिए एक सपने की तरह हैं। इंसानियत और भाईचारे को कैनवास पर उतरना मेरे लिए एक तपस्या है।  सच्ची लगन और सच्ची राह किसी भी चित्रकार के पड़ाव का साथी होती है। हम अपने हुनर को निखारने की कोशिश कर रहे हैं। प्रभु श्रीराम और लक्षमण-हनुमान का चित्र संकटमोचन मंदिर की वीथिका में प्रदर्शित करना हमारे लिए गौरव की बात है।

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