बनारस में सड़क से रिस रहे पानी से प्यास बुझा रहे बासफोर समुदाय के लोग

बनारस में सड़क से रिस रहे पानी से प्यास बुझा रहे बासफोर समुदाय के लोग

विशेष संवाददाता

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस में एक ऐसी बस्ती है जहां बासफोर समुदाय के लोग सड़क से रिसने वाले पानी से अपनी प्यास बुझा रहे हैं। बनारस का यह इलाका है हुकुलगंज यानी वार्ड नंबर-11। यहां बांसफोर समुदाय के लोग दशकों से सड़क के किनारे रह रहे है। सड़क पर फटी पाइपों से रिसने वाले पानी को पीकर वो जिंदा है। प्रशासन ने इनके लिए पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं की है। पीने के पानी के लिए इस समुदाय के लोग जहां-तहां भटकते हैं। कई बार सड़कों रिसने वाले पानी से खाना बनाते हैं और अपनी प्यास भी बुझाते हैं।

हुकुलगंज में करीब 20 दिनों से पीने के पानी का जबर्दस्त संकट है। सड़क के बीचो-बीच पेयजल की पाइल लाइन फटी हुई है। पानी के पाइप के फटने से बासफोर समुदाय के लोगों को थोड़ी राहत मिली है। महिलाएं और लड़कियां हर सुबह बाल्टी और कटोरी लेकर सड़क पर बैठ जाती हैं। दो से तीन घंटे में इन लोगों को प्यास बुझाने भर का पानी मिल जाया करता है। पूर्व पार्षद महेंद्र सिंह शक्ति कहते हैं कि बांसफोर समुदाय के लोग कई सालों से सड़क के किनारे रह रहे हैं। ये लोग इधर-उधर से पानी की व्यवस्था कर अपनी प्यास बुझाने को मजबूर हैं।

कठिन है जिंदगी

बांसफोर समुदाय के लोगों का कहन है कि मौजूदा बीजेपी पार्षद से पेयजल संकट और टूटी हुई पानी की लाइन को ठीक कराने के लिए कई बार शिकायत कर चुके हैं, लेकिन स्थिति जस की तस है। वार्ड नंबर-11 में रहने वाली पारो कहती हैं कि सड़क से निकलने वाला पानी हमारी प्यास बुझा देता है, क्या यही कम है। हम तो पूरे साल मटमैले और गंदे पानी से अपनी प्यास बुझा रहे हैं। हम गरीब लोग हैं और हमारी मुश्किलों पर गौर करने वाला कोई नहीं है।

पारो यह भी कहती हैं, “मैं हर सुबह 6 से 7 बाल्टी पानी इकट्ठा कर लेती हूं। शाम को भी इतना ही पानी नसीब जुटा लेती हूं। सड़क से निकलने वाले पानी में थोड़ी गंदगी होती है। पानी को जब गगरी में कुछ देर के लिए रख दिया जाता है तो गं गंदगी नीचे बैठ जाया करती है। बाद में वही पानी हमारे काम आता है। पानी के संकट के चलते हम लोगों की जिंदगी पहाड़ बन गई है।”

पड़ोसी हमें कब तक देंगे पानी?

हुकुलगंज के वार्ड नंबर-11 के निवासी कैलाश बताते हैं, “आसपास के लोगों ने कई साल तक पानी देकर हमारी मदद की। अब उन लोगों ने भी पानी देना बंद कर दिया है। कैलाश कहते हैं कि मदद एक हद तक की जाती है। पहले की अपेक्षा अब पानी का बिल आने लगा है। कोई हमारे लिए कितना जहमत उठाएगा? आसपास एक- दो सरकारी नल थे वह भी बंद हो गए या सूख गए हैं। अब हम पानी के लिए इसी तरह गुजर-बसर कर रहे हैं।” वार्ड नंबर 11 के पार्षद बृजेश चंद श्रीवास्तव कहते हैं कि यह समस्या मेरे संज्ञान में है। उस स्थान के लिए एक हैंडपंप पास हो चुका है। आचार संहिता के चलते काम बंद है। चुनाव के तत्काल बाद वहां हैंडपंप लगा दिया जाएगा। वहां सुलभ शौचालय बनाने की योजना बनाई जा रही है।

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