सुभाष राय की तीन चर्चित कविताएं
एक—
सरकार बात कर रही है, बात करो
सरकार बात करती रहेगी, बात करते रहो
बात करते रहो और मरते रहो
सरकार के पास वायदे हैं
वायदे पूरे करने की गारंटी है
सरकार के पास आंसू गैस है
बेवजह रुला देने की गारंटी है
सरकार के पास कीलें हैं
सड़कें बंद कर देने की गारंटी है
सरकार के पास बंदूकें हैं
किसी को भी चुप करा देने की गारंटी है
सरकार के पास लाठियां हैं
लेकिन भैंस कौन ले जायेगा, क्या गारंटी है
दो—-
मेरे पास पत्थर थे
लेकिन मैं पराजित हुआ
मेरे पास लाठियां थीं, तलवारें थी
लेकिन मैं पराजित हुआ
मेरे पास धनुष-वाण थे
लेकिन मैं पराजित हुआ
मेरे पास बंदूकें थीं, टैंक थे,
तोपें, मिसाइलें थीं
लेकिन मैं पराजित हुआ
मैंने छल, छद्म, झूठ और
पाखंड का चक्रव्यूह रचा
लेकिन तब भी मैं पराजित ही हुआ
जब भी युद्ध हुआ, निहत्थे
विजयी हुए
तीन—–
अब न रही कोई हैरानी
सियाराम मय सब जग जानी
इक राजा की बची कहानी
सियाराम मय सब जग जानी
भारी सब पर इक तूफानी
सियाराम मय सब जग जानी
लिखना-पढ़ना सब बेमानी
सियाराम मय सब जग जानी
गाओ मिल अब भजन मसानी
सियाराम मय सब जग जानी
आजादी की बात पुरानी
सियाराम मय सब जग जानी
याद सभी को आये नानी
सियाराम मय सब जग जानी
छापे, जांच और मनमानी
सियाराम मय सब जग जानी
हम सब कुछ दिन के सैलानी
सियाराम मय सब जग जानी
इधर ढहाना, उधर ढहानी
सियाराम मय सब जग जानी
गये अगर की आनाकानी
सियाराम मय सब जग जानी
लोकतंत्र की खत्म कहानी
लेखक परिचयः सुभाष राय एक हिन्दी साहित्यकार और पत्रकार हैं। इनका जन्म जनवरी 1957 में उत्तर प्रदेश में स्थित मऊ जिला के गांव बड़ागांव में हुआ। शिक्षा काशी, प्रयाग और आगरा में हुई। उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय के ख्यातिप्राप्त संस्थान के. एम. आई. से हिंदी साहित्य और भाषा में स्रातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। उत्तर भारत के प्रख्यात संत कवि दादू दयाल की कविताओं के मर्म पर शोध के लिए इन्हें डाक्टरेट की उपाधि मिली। ये कविता, कहानी, व्यंग्य और आलोचना में निरंतर सक्रिय हैं। उन्होंने अमृत प्रभात और अमर उजाला जैसे प्रतिष्ठित समाचारपत्रों में शीर्ष पदों पर काम किया है। ये फिलहाल लखनऊ से प्रकाशित होने वाले हिन्दी दैनिक जनसंदेश टाइम्स और हिन्दी मासिक पत्रिका समकालीन सरोकार के प्रधान संपादक हैं।