बनारस का अनूठा रेस्टोरेंट, जहां स्वागत से लेकर मेजबानी तक करते हैं दिव्यांग
हम जिंदगी के बादशाह हैं और मेहनत हमारी ताकत
विजय विनीत
कैफेबिल्टी…! यह है बनारस का अनूठा रेस्टोरेंट। इस रेस्टोरेंट में प्रवेश करेंगे तो व्हीलचेयर पर बैठा कोई दिव्यांग मुस्कुराते हुए आपका इस्तकबाल करेगा। दरअसल, दिव्यांगों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के मकसद से इसे खोला गया है जिसे चलाने वाला पूरा स्टाफ दिव्यांग है। यहां कुकिंग से लेकर सर्विस तक का सारा काम दिव्यांग युवक और युवतियां संभालते हैं। वही दिव्यांग जिन्हें कभी लोग बेबस और बेकार समझते थे।
पूर्वांचल के कैफेबिलिटी रेस्टोरेंट ने समाज के सामने समानता का अनूठा उदाहरण पेश किया है। दिव्यांगों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए करीब चार साल पहले तीन दोस्तों ने कैफेबिलिटी के जरिए दिव्यांगों को बेचारगी से निकालने का जिम्मा उठाया। ये थे बिंस जॉन, सूरज मेथ्यू और साजी जोसेफ। तभी से यह रेस्टोरेंट चर्चा का विषय बना हुआ है। बनारस के मलदहिया स्थित विनायक प्लाजा में कैफेबिलिटी के डायरेक्टर सीजा जोसेफ पहले चेन्नई में एक यूनिवर्सिटी में पढ़ाते थे। वो बताते हैं कि इस रेस्टोरेंट में दिव्यांगों को पहले विधिवत ट्रेनिंग दी गई। बाद में समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के साथ ही आत्मनिर्भर बनाने के लिए उनके टैलेंट के हिसाब से नौकरी दी गई।
कैफेविल्टी रेस्टोरेंट में करीब बारह युवा दिव्यांग काम करते है। इन्हें समाज में एक नई पहचान मिली है। जोसेफ बताते हैं कि पीएम नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से प्रभावित होकर उन्होंने इस रेस्तरा की शुरुआत की। दिव्यांग युवाओं को छह महीने की ट्रेनिंग दी गई। जिसमें डिशेज बनाने से लेकर, सर्व करना, कॉफी, बेवरेज बनाना सभी चीजें सिखाई गईं। यहां के ट्रेंड बच्चे तो आज साउथ और रांची के कई रेस्टोरेंट में भी काम कर रहे हैं। विशेष बात यह कि इन सभी बच्चों को कॉफी बोर्ड ऑफ इंडिया सहित कई बड़ी प्रोफेशनल कंपनियों द्वारा ट्रेनिंग दी गई है। हमारे यहां ऐसी भी लड़कियां हैं जो एमबीए कर रही हैं। सभी बहुत खुश हैं आए दिन हमारे किचन की रसोई में नए नए प्रयोग होते हैं। सभी दिव्यांग सामान्य परिवार से हैं।
रेस्टोरेंट की दिव्यांग कर्मचारी ऋतू पटेल कहती हैं कि जो लोग अपनी जिंदगी से हार मानते हैं वो हमसे सीखें। पैरों में ताकत भले कम हो, लेकिन जज्बे और हिम्मत से हमने मंजिल का रास्ता तय किया। हम जिंदगी के बादशाह हैं और मेहनत हमारी ताकत है। कैफेविलिटी रेस्टोरेंट का डेकोरेशन खास थीम पर किया गया है। इसके नाम से ही लोग समझ जाते हैं कि यहां काम करने वाले लोग खास हैं। रेस्टोरेंट की दीवारें ही नहीं, डिनर टेबल तक पर दिव्यांगों की तस्वीरें नजर आती हैं।
रेस्टोरेंट में आने वाले ग्राहक मानते हैं कि दिव्यांगों को दया नहीं मौके की जरुरत है। वो अपनी पहचान खुद बना लेंगे। रेस्टोरेंट में आने वाले सुमित कहते हैं कि यहां काम करने वाले लोग दूसरे रेस्टोरेंट से खास हैं। हमें दिव्यांगों से जिस तरह की सर्विस मिलती है वो दूसरे रेस्टोरेंट से बेहतर है। कुदरत ने भले ही इन्हें दिव्यांग बनाया है, लेकिन हम यहां यह सोचकर आते हैं कि हम लजीज व्यंजन का लुफ्त उठाने के साथ समाज के एक ऐसे वर्ग की मदद भी कर देते हैं, जिन्हें समाज अक्षम समझता रहा है। बनारस के बाद मेरठ, मुंबई और जोधपुर में भी दिव्यांगों के रेस्टोरेंट खोले खुल गए हैं।