शब्दों की मोहताज नहीं होती तस्वीरें

शब्दों की मोहताज नहीं होती तस्वीरें

खुद अपनी जुबां रखती हैं तस्वीरें

विजय विनीत

फोटोग्राफी संचार का ऐसा माध्यम है, जिसमें भाषा की जरूरत नहीं होती। तस्वीरें खुद अपनी जुबान रखती हैं। ये शब्दों की मोहताज नहीं होतीं। एक फोटो हजार शब्दों के बराबर होता है। जो शब्दों के द्वारा नहीं कहा जा सकता उसे फोटो के माध्यम से व्यक्त किया जा सकता है। किसी भी घटना का प्रभाव उसके वर्णन के बजाए तस्वीरों के जरिए अधिक होता है। यही कारण है कि संचार माध्यमों में विजुअल्स को सबसे प्रभावी माना जाता है। एक फोटो किसी की जिंदगी भर की याद बन जाती हैं, तो किसी के इंसाफ का जरिया।

आज के समय में फोटोग्राफी के मायने बदल गए हैं। कुछ लोगों के लिए फोटोग्राफी का जुनून ऐसा होता है कि वे अपने पैशन को पूरा करने के लिए मीलों का सफर तय कर डालते हैं। बस एक क्लिक के लिए ये घंटों भूखे प्यासे बैठे रहते हैं। मौजूदा समय में यू-ट्यूब, फेसबुक, ह्वाट्सएप जैसे कई सशसक्त माध्यम हैं जिसमें वीडियो अथवा तस्वीरें साझा की जा सकती हैं।

फोटो पत्रकारिता

फोटोग्राफ खबरों में जान फूंकती है। उसकी अहमियत को बढ़ाती है। तस्वीरें सत्य और शुद्ध सत्य बोलती हैं। इन्हें झुठला पाना आसान नहीं होता है। समाचार को पढ़ने अथवा सुनने में समय लगता है, लेकिन उम्दा तस्वीर पल भर में घटना का पूरा खाका खींच देती है। तस्वीरों की भाषा अनपढ़ भी समझ लेता है। कंप्यूटरयुग में तस्वीरों के मूल स्वरूप को बदलने की सुविधा जरूर है, लेकिन समाचारों की अपेक्षा तस्वीरों की विश्वसनीयता कम संदिग्ध होती है। तस्वीरों की भाषा खबरों की अपेक्षा ज्यादा ग्राह्य है। कोई खबर पढ़े अथवा न पढ़े, लकिन तस्वीर अवश्य देखता है। यही वजह है कि अब पत्रकारिता में फोटो को अधिक महत्व दिया जाने लगा है।

खबरिया चैनल अथवा अखबारों के फोटोग्राफरों को बेहद जोखिम में काम करना पड़ता है। रिपोर्ट्स की कलम झूठ बोल सकती है, लेकिन फोटोग्राफर के कैमरे को झूठ नहीं बोलवाया जा सकता। कैमरे की गवाही काटना मुश्किल होता है। यही वजह है कि फोटोग्राफर से सभी भयभीत रहते हैं। वह आंख के कांटे की तरह चुभता है। कई बार पुलिस और अपराधियों के गुस्से का कोपभाजन भी बनता है। रिपोर्टर खबरों का कवरेज करते हुए आसानी से निकल जाता है। फोटोग्राफर पर हमला होता है तो उसका हथियार कैमरा छीन लिया जाता है। तस्वीरें मिटा दी जाती हैं। रिपोर्टर की रपटों का खंडन हो सकता है, लेकिन तस्वीरों का नहीं। जाहिर है कि नाजायज काम करने वालों को फोटोग्राफर फूटी आंख नहीं सुहाते। फोटोग्राफी उसी को चित्रित करती है, जिसका अस्तित्व होता है। यह वर्तमान को रिकार्ड करती है। किसी भी घटना की तस्वीरों सालों-साल तक ताजा रहती हैं। फोटोग्राफी धरती पर न रहने वाले लोगों के अस्तित्व को भी स्वीकार करती है।

अनुभूतियों की कला

फोटोग्राफी एक लोककला हो गई है। मोबाइल फोन के कैमरे ने भले ही हर किसी को फोटोग्राफर बना दिया है। लेकिन उत्तम फोटोग्राफी बहुत बड़ी कला है। खासतौर पर पत्रकारिता के क्षेत्र में। अच्छी तस्वीरें वे हैं जो घटनाक्रम को साक्षात सामने ला दे। घटना अवधि की तस्वीरें उतारने में चूकने पर फोटोग्राफर को हाथ मलने के अलावा कुछ भी हासिल नहीं होता।

फोटोग्राफी वह सभी काम करने में सक्षम है, जिसमें लेख, विचार अथवा समाचारों का प्रयोग किया जाता है। संपादकीय, रिपोर्ताज, समीक्षा, व्यंग्य आदि विधाओं में फोटोग्राफ जान फूंकने में समर्थ होता है। जनसाधारण को युद्ध, दंगा, हिंसा और विवाद से बचाने में फोटो ने जितना काम किया है उतना खबरों व लेखों से नहीं हो पाया। युद्ध की दहला देने वाली तस्वीरों ने वियतनाम युद्ध पर विराम लगाया था।

फोटोग्राफी और अनुसंधान

आपराधिक घटनाओं के अनुसंधान के दौरान फोटोग्राफी के महत्व मायने रखता है। अपराध अपराध अनुसंधान में इसकी बड़ी उपयोगिता है। फोटोग्राफ एक ऐसा साक्ष्य है जिसे झूठलाया नहीं जा सकता है। यह अपराधियों की पहचान सुनिश्चित करता है। इन दिनों किसी भी आपराधिक घटना के बाद घटना स्थल पर रवाना होने से पूर्व अनुसंधान करने वाले पुलिस अफसर फोटोग्राफरों के साथ पहुंचते हैं।  कैमरे की किट, फोटोग्राफिक ऐंगल, फोटोग्राफ का चयन और फोटो संरक्षित रखने की तैयारी पुलिस अफसरों व जासूसों का काम आसान करती है। दरअसल, सत्य के निर्णय में फोटो का दस्तावेजी महत्व है। कई बार यह फैसला करना मुश्किल होता है कि क्रिकेट में कौन आउट हुआ। आंखें जब चूक जाती हैं तो कैमरे की आंखें फैसला करती हैं। विवादास्पद मुद्दों पर तीसरी आंख की अभिव्यक्ति निर्णायक होती है।

अच्छा फोटोग्राफर कौन

अच्छा फोटोग्राफर जो देखता है उसे ज्यों का त्यों हर किसी को दिखाना चाहता है। अगर वह चूक जाता है तो असफल समझा जाता है। एसे फोटोग्राफरों को नौकरी में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। कई  बार नौकरी से भी हाथ धोना पड़ जाता है। फोटोग्राफरों को घटना के भावुकता के जाल में फंसने से बचना चाहिए। जो खुद को वश में नहीं रख पाएगा, वह एतिहासिक क्षणों को अपने कैमरे में कैद नहीं कर पाएगा। सफल फोटोग्राफर वही है जो अपनी संवेदनशील अनुभूतियों को यथार्थ रूप में आमजन तक पहुंचा सके। सत्य का संप्रेषण ही फोटोग्राफरों की कला का प्राण-तत्व है।

फोटो जर्नलिस्ट की उपयोगिता

मीडिया में फोटो जर्नलिज्म की उपयोगिता दिनों-दिन बढ़ती जा रही है और आगे भी बढ़ती रहेगी। यदि किसी में कल्पनाशीलता है और घटना के महत्व को तुरंत समझ सकते हैं, तो उसके लिए फोटो जर्नलिज्म का कोर्स करना बेहतर हो सकता है। कोई विशेष घटना, प्राकृतिक आपदा, युद्ध, ग्लैमर न्यूज, कठिन से कठिन परिस्थितियों में घटनास्थल की पूरी कहानी अपने कैमरे में कैद कर लाखों करोड़ों लोगों तक तस्वीरों को पहुंचाना ही फोटो जर्नलिस्ट का कार्य है।

पाठ्यक्रम और योग्यता

आज से कुछ वर्ष पहले तक कोर्स करना जरूरी नहीं समझा जाता था, लेकिन अब एक फोटो जर्नलिस्ट के तौर पर काम करने के लिए कोई कोर्स करना या औपचारिक रूप से ट्रेनिंग लेना फायदेमंद माना जाता है। कुछ संस्थान फोटो जर्नलिज्म में डिप्लोमा या सर्टिफिकेट कोर्स कराते हैं या मास मीडिया के अंतर्गत फोटो जर्नलिज्म से संबंधित विषय पढ़ाते हैं। मुख्यत: यह कोर्स जर्नलिज्म व मास कम्युनिकेशन के अंतर्गत कराया जाता है। इसमें प्रवेश के लिए किसी भी विषय में स्नातक की डिग्री जरूरी है। ज्यादातर संस्थान विद्यार्थियों का चयन लिखित परीक्षा और साक्षात्कार के आधार पर ही करते हैं। इसके अलावा किसी प्रोफेशनल फोटो जर्नलिस्ट से ट्रेनिंग भी ली जा सकती है।

व्यक्तिगत गुण

इसमें सफल होने के लिए जरूरी है कि तुलनात्मक रूप से नजर पारखी हो तथा कल्पनाशक्ति मजबूत हो। इसके अलावा कठिन परिस्थितियों में भी हमेशा बेहतर करने की कला हो। नित नई-नई तकनीक के साथ-साथ विज्ञान में हो रहे फेरबदल के हर पल की जानकारी जरूरी है।

बहुत हैं अवसर

फोटो की भूमिका प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया दोनों में है। कुशल व प्रशिक्षित फोटो जर्नलिस्ट की पहले से ही जरूरत है। भविष्य में भी बनी रहेगी। इस कारण इस क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं। फोटो जर्नलिस्ट स्थानीय अथवा राष्ट्रीय स्तर के समाचार पत्रों, चैनलों, मैगजीनों के अलावा पोर्टल में रोजगार प्राप्त कर सकते हैं। समाचार पत्रों, चैनलों, पत्रिकाओं आदि में जो लोग फोटो जर्नलिस्ट का काम करना चाहते हैं, उनके वेतन पद और संस्थान के आधार पर तय होते हैं। इन संस्थानों में फ्री लांसर के तौर पर भी कार्य कर सकते हैं। फ्री लांसिंग के काम में आमदनी की कोई सीमा नहीं होती।

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