नाक-भौं सिंकोड़ने वालों को चिढ़ाती हुई बदलती है अखबारों की भाषा

नाक-भौं सिंकोड़ने वालों को चिढ़ाती हुई बदलती है अखबारों की भाषा

अखबारों की भाषा को व्याकरण की रस्सी से न बांधें झंडाबरदार
विजय विनीत

अखबार की भाषा को लेकर आए दिन विवाद उठता है। हिन्दी दिवस पर तो यह आरोप लगता ही है कि अखबारों ने भाषा भ्रष्ट कर दिया है। यह इल्जाम भी आम है कि हिंदी के अखबारों में अंग्रेजी और उर्दू शब्दों का मनमाने तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा है। अखबारों की भाषा पर नुक्ताचीनी करने वाले सनातन काल से यह नहीं समझ पाए कि अखबार आम आदमी तक पहुंच बनाने की कोशिश करता है, न कि एक वर्ग विशेष तक।

दुनिया भर के अखबारों में वही भाषा प्रयोग में लाई जाती है जो चलन में होती है। बेहतर होगा कि अब  हिंदी को ज्ञान-विज्ञान की भाषा बनाएं ताकि लोगों के लिए इन क्षेत्रों में संभावनाओं का विकास हो सके। मेडिकल, तकनीक और  वाणिज्य के क्षेत्रों में आगे बढ़ने के लिए हिंदी के साथ स्मार्ट लंग्वेज ही मदद कर सकती है। वेब और खबरिया चैनलों में एडीटर,  न्यूजमैन,  स्क्राइब,  जर्नलिस्ट शब्दों का प्रयोग होता है न कि संपादक, कलमघसीटू अथवा पत्रकार का। पूर्वग्रह और छद्म से परे हटकर अखबार की भाषा को समाज की भाषा से जोड़ने की जरूरत है। दूसरी भाषाओं के जो शब्द आम जन-जीवन में रच-बस गए हैं,  उन्हें स्वीकार करने में कोई हर्ज नहीं है। जब हम बदल गए तो भाषा भी क्यों न बदले?

आधुनिक और सर्वग्राह्य भाषा का इस्तेमाल करने से पहले हिन्दी की वर्तनी को बेहतर तरीके से जानना जरूरी है। यह जरूरी है कि अखबारों के पाठकों तक एकरूपता के साथ खबरें पहुंचे। वे बोलचाल की भाषा और आम प्रचलन वाले शब्दों के साथ खबर पढ़ें। खबरों में प्रचलित, सरल और रोज-रोज उपयोग में आने वाले शब्दों का उपयोग हो ताकि खबर को ज्यादा प्रभावी व धारदार बनाया जा सके।

कैसी हो अखबारों की भाषा, कैसी हो वर्तनी?

नवोदित पत्रकारों को चाहिए कि गरिष्ठ,  दुरूह,  बोझिल,  संस्कृतनिष्ठ व अंग्रेजी शब्दों के प्रयोग से बचें। बोलचाल की भाषा आमजन से जुड़े शब्द, मुहावरे व देशज शब्दों का अधिक से अधिक प्रयोग किया जाए ताकि खबर पाठकों से सीधा संवाद स्थापित करे। उसे शब्दों का अर्थ खोजने में न तो अटकना पड़े और न ही शब्दकोश का सहारा लेना पड़े।

भाषा में अकारण के चमत्कार से बचा जाए। भाषा के साथ प्रयोग उतना ही किया जाए जहां तक शब्द अपना असर बरकरार रखे। भाषा को जबरन प्रभावशाली बनाने के चक्कर में ऐसा न हो जाए कि खबर अप्रभावी, शब्द बोझिल और प्रयोग फूहड़ लगने लगे।-वर्तनी की शुद्धता और भाषा शुचिता पर खास ध्यान रखें।

कुछ शब्द जो ध्वनिमूलक हैं या ऐसे शब्द जो भ्रमवश लिखे जाते हैं वे ही सबसे ज्यादा अर्थ का अनर्थ करते हैं। उनसे हर हाल में बचना चाहिए। ऐसे शब्दों की सूची भी दी जा रही है। भाषा के प्रति सभी कर्तव्ययोगी सचेत रहें तभी अखबार में भाषा का अनुशासन भी दिखेगा और एकरूपता भी।

जरूरी सावधानियां

1-हिंदी के विभक्ति चिह्न सभी प्रकार के संज्ञा शब्दों में अलग लिखे जाएंगे। जैसे राम ने, राम को, राम से। सर्वनाम में से शब्द मिलाकर लिखे जाएंगे, जैसे उसने, उसको, उससे।

अपवाद-दो विभक्ति चिह्न रहने पर पहला मिलाकर और दूसरा अलग लिखा जाए, जैसे-उसके लिए, इसमें से।

2-हिंदी और आह, ओह, ऐ, अहा, ही तो, सो भी न, जब, तक, कब, कहां, वहां, यहां, सदा, क्या, श्री, जी, भर, मात्र, कि, किंतु, मगर, लेकिन, चाहे या अथवा तक, साथ, यथा, और आदि अव्यय भी अलग नहीं लिखे जाएंगे। जैसे-प्रतिदिन, प्रतिशत, मावनमात्र, निमित्तमात्र, एकमात्र, यथासमय, यथोचित आदि।

3-द्वंद समासों के पहले हाइफन रखा जाए, द्वंद समास को पहचानना बड़ा आसान है, क्योंकि इनके पदों के बीच ‘और’, ‘या’, ‘अथवा’ छिपा होता है। जैसे मान-मर्यादा, हाट-बाजार, दीन-दुखी, बल-वीर्य, मणि-मणिक्य, सेठ-साहूकार, सड़ा-गला, भूल-चूक, रुपया-पैसा, देव-पितर, भोग-विलास, राम-लक्ष्मण, हिसाब-किताब, देख-रेख, भूत-प्रेत, चमक-दमक आदि।

4-सा, से जैसा आदि के पूर्व हाइफन रखा जाए। जैसे तुम-सा, चाकू-से तीखे, राम जैसा आदि।

5-तत्सम शब्दों की वर्तनी में सामान्यत: संस्कृत रूप ही रखा जाए। परंतु जिन शब्दों के प्रयोग में हिंदी में हलंत चिह्न लुप्त हो चुका है, उसे फिर से लगाने का यत्न न किया जाए। जैसे-महान, विद्वान आदि में। लेकिन ब्रह्मा को ब्रम्हा, चिह्न को चिन्ह, ऋण को उरिण में बदलना उचित नहीं होगा, इसी प्रकार ग्रहीत, दृष्टव्य, प्रदर्शिनी, अत्याधिक, अनाधिकार आदि अशुद्घ प्रयोग हैं। अत: इनके स्थान पर क्रमश: गृहीत, द्रष्टव्य, प्रदर्शनी, अत्यधिक, अनधिकार ही लिखना चाहिए।

6-कुछ शब्द हिंदी रूप में (बिना नुक्ता के) ही स्वीकार किए जाएंगे। जैसे जरूर, कलम, किला, दाग आदि।

7-संस्कृत के जिन शब्दों में विसर्ग का प्रयोग होता है, वे यदि तत्सम रूप में प्रयुक्त हों तो विसर्ग का प्रयोग अवश्य करना चाहिए। जैसे प्रात:काल, प्राय:, क्रमश:, शतश:, शनै:, अध:, दु:खानुभूति आदि। परंतु यदि किसी शब्द के तद्भव रूप में विसर्ग का लोप हो चुका हो, तो उसमें विसर्ग के बिना भी काम चल जाएगा। जैसे सुख-दुख के साथी, सुखिया, दुखियारी, दुखियारिन आदि।

8-कार्यवाही और कार्रवाई दो अलग-अलग अर्थवाले शब्द हैं। ये क्रमश: अंग्रेजी के प्रोसिडिंग और एक्शन शब्दों के लिए प्रयुक्त होते हैं। अत: कार्यवाही का प्रयोग प्रक्रिया के अर्थ में किया जाना चाहिए जैसे सदन की कार्यवाही में तीन घंटे का व्यवधान होता रहा। दूसरी तरफ कार्रवाई का अर्थ कदम उठाने से है। जैसे जनता की शिकायत के बावजूद प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की।

9-अंगीभूत क्रियाएं अलग-अलग लिखी जाएं। जैसे पढ़ा करता है, आ सकता है, आ गया, चल पड़ा आदि।

10-जिन क्रियाओं का अंत ‘या’ से होता है, उनके स्त्रीलिंग और बहुवचन रूप में भी ‘य’ का प्रयोग किया जाए। जैसे-गया, गयी, गये आदि, जाये और जायेगा का ही प्रयोग करें, जाए और जाएगा का नहीं। इनके अतिरिक्त निम्नलिखित शब्दों में भी ‘य’ का ही प्रयोग किया जाए। जैसे-उत्तरदायी, धराशायी, स्थायी, न्यायी, विषायी, वाजपेयी, मितव्ययी, अनुयायी, अव्ययीभाव, भाषायी, दुखदायी, आततायी, फलदायी, विषयी आदि। कुछ शब्दों के बहुवचन बताने में भी ‘ई’ और ‘इ’ का और इ के बाद य श्रुति आ जाती है। जैसे-दवाई से दवाइयां, प्राणि से प्राणियों, लड़की से लड़कियां, कठिनाई से कठिनाइयां, दूरी से दूरियां, पूड़ी से पूड़ियां, नदी से नदियां, लड़ाई से लड़ाइयां, रानी से रानियां, पक्षी से पक्षियों, बधाई से बधाइयां, संन्यासी से संन्यासियों आदि।

11-बहुवचन का ‘ए’ और स्त्रीलिंग का ‘ई’ वहीं ठीक होता है, जहां एकवचन में आया हो। जैसे-हुआ, हुई, हुए आदि।

12-‘लिये’ और ‘लिए’: ‘लिये’ को लिया का बहुवचन रूप में मानें और ‘लिए’ को विभक्ति चिह्न जैसे मैने आपके 100 रुपये उधार लिये।

13-आदरार्थ आज्ञा के रूप में भी ‘ए’ लिखा जाए। इसी प्रकार दीजिए, पीजिए, लाइए, खाइए आदि लिखा जाए।

14-‘चाहिए’ और ‘चाहिये’ : इन दोनों में ‘चाहिए’ ही लिखा जाए। इसी प्रकार दीजिए, पीजिए, लाइए, खाइए आदि लिखा जाए।

15-पदनामों का स्त्रीलिंग रूप नहीं होता। उदाहरणस्वरूप भारत का प्रधानमंत्री कोई महिला हो जाए तो उसके लिए प्रधानमंत्रिणी लिखने की आवश्यकता नहीं है। भारत की प्रधानमंत्री लिख देने से ही महिला प्रधानमंत्री का बोध हो जाएगा।

16-कुछ शब्द ऐसे होते हैं, जिनका एकवचन और बहुवचन में एक ही रूप होता है। जैसे सामान, फर्नीचर, मशीनरी, एजेंडा आदि।

17-कुछ सामासिक शब्दों की वर्तनी गलत लिख दी जाती है। जैसे पक्षीगण, प्राणीवृंद, मंत्रीमंडल, योगीराज, संन्यासीवर्ग, मंत्रीगझा, योगीश्वर, गुणीगण, पक्षीराज, मनीषीगण, विद्यार्थीगण, स्वामीभक्ति अदि। यहां ध्यान रखना चाहिए कि समस्त पद होने पर भी दीर्घ का हृस्व हो जाता है। अत: इन शब्दों के शुद्ध रूप ये हैं- पक्षिगण, प्राणिवृंद, मंत्रिमंडल, योगिराज, संन्यासिवर्ग, मंत्रिगण, योगिश्वर, गुणिगण, पक्षिराज, मनीषिगण, विद्यार्थिगण, स्वामिभक्ति आदि।

18-हिंदी में कुछ शब्द ऐसे हैं, जो केवल बहुवचन में प्रयुक्त होते हैं। जैसे दर्शन, प्राण, हस्ताक्षर, नेत्र, आंसू, भाग्य, ओठ, अक्षत आदि। दर्शन का प्रयोग देखने के अर्थ में ही बहुवचन होता है, शास्त्र या सिद्धांत के लिए प्रयुक्त होने पर नहीं।

19-तिथि या तारीख के बाद ‘पर’ नहीं ‘को’ लगाना चाहिए। साल या महीने के साथ ‘में’ लगता है। जैसे 2004 में, जनवरी 2005 में, लेकिन 4 जनवरी 2004 को या सोमवार को लिखना चाहिए।

20-‘आदि’ के पहले ‘और’ नहीं लगाना चाहिए। जैसे-राम, श्याम और मोहन आदि मित्र हैं-लिखना गलत है। अत: इसे राम, श्याम, मोहन आदि मेरे मित्र हैं लिखना चाहिए।

21-याने, यानि लिखना गलत है, क्योंकि शुद्ध शब्द यानी है।

22-उर्दू, फारसी और अरबी शब्दों में प्राय: नुक्ता (नीचे की ओर बिंदु) न लगाएं, किंतु इन भाषाओं के उन शब्दों पर नुक्ता जरूर लगा सकते हैं जो हिंदी के शब्दों से हूबहू मिलते हों, लेकिन जिनके अर्थ अलग हों जैसे तर्क-छोड़ना, तोड़ना, और तर्क युक्ति, बहस, जीना-सीढ़ी और जीना-जिंदा रहना, खाना-घर और खाना-भोजन, राज-रहस्य और राज-हुकूमत, राज्य, फन-सांप का फन आदि। कई बार इस प्रकार के शब्दों में भी पूर्वा पर संबंध इतना स्पष्ट होता है कि नुक्ते की जरूरत नहीं रहती।

23-अंग्रेजी शब्दों में अर्धचंद्र का प्रयोग करें। जैसे डॉक्टर, नॉर्मल, आॅपरेशन, आॅन, हॉल, कॉल, बॉल आदि। यदि अन्य भाषाओं के शब्दों में अर्धाक्षर-पूर्णाक्षर में विभ्रम हो तो वहां अर्धाक्षर का प्रयोग करें। जैसे अंग्रेजी, अंगरेजी नहीं, गर्मी, गरमी नहीं, बर्दाश्त, बरदाश्त नहीं, उल्टा, उलटा नहीं, शर्म, शरम नहीं।

24-शब्दों में छुआछूत न चलाएं। भारतीय और विदेशी भाषाओं के शब्दों का हिंदीकरण करें और यदि वे सहज-भाव से आते हों तो उन्हें ले लें। जैसे लालटेन, रपट, कोट, कमीज, बटन, अल्मारी, कुर्सी, अचार, अस्पताल, कम्प्यूटर, टीवी, कार, खात्री, संडास, गम्मत, माहिती आदि।

25-आधा स्, जैसे… इस्लाम, मुस्लिम, इस्लामाबाद, इस्लामिक, मस्त, किस्त, आस्तीन, दस्त, दस्ता, दस्ताने, आस्ताने, नस्ल, हुस्र आदि।

26-‘भर’ तथा ‘जी’ आदि शब्दों को संबंद्ध शब्द के बिना मिलाए अलग-अलग लिखना चाहिए। जैसे पेट भर, रात भर, जी भर, श्याम जी आदि।

27-‘न’ के मध्य स्थिति के कारण भी योजक चिह्न के प्रयोग को स्वीकार किया गया है। जैसे, कोई-न-कोई, कहीं-न-कहीं आदि।

28-अभी का अर्थ होता है अब भी, इसलिए अभी के साथ भी का प्रयोग न करें।

29-‘ढ’ तथा ‘ढ़’ के रूपाकार से साम्यता के कारण कई बार इनका परस्पर दोषपूर्ण प्रयोग कर दिया जाता है। जैसे ढिल्लन के बदल ढ़िल्लन अथवा पढ़ना के बदले पढना। यहां यह ध्यान रखना चाहिए कि ढ प्राय: शब्द के प्रारंभ में आता है। जहांतक ढ़ के प्रयोग का प्रश्न है, यह सर्वदा शब्दों में मध्य में या अंत में आता है। आरंभ में कदापि नहीं। जैसे बुढ़ापा, पढ़पा, गढ़, ढिंढ़ोरा आदि।

30-हिंदी में संबोधन बहुवचन के रूप में ओकरान्त होते हैं, अर्थात् उनमें अनुस्वार का प्रयोग नहीं होता यथा- ‘भाइयों एवं बहनों…’ ‘मेरे जिगर के टुकड़ों’

31-असलहा शब्द का अर्थ होता है हथियारों का जखीरा या भंडार। अत: इसका भी बहुवचन भी नहीं बनाया जाना चाहिए। यानी असलहे और असलहों लिखना गलत है।

32-समान्यत: बहुवचन शब्दों में अनुस्वार लगाया जाता है। परंतु यह ध्यान रखना चाहिए कि अनुस्वार स्त्रीलिंग शब्दों पर ही लगाई जाती है, पुल्लिंग शब्दों पर नहीं। यथा-

स्त्रीलिंग-रातें, बातें, दुकानें, आंखें आदि। (अनुस्वारसहित)

पुल्लिंग-छोकरे, मोहरे, मुहल्ले, लड़के, पोते आदि। (अनुस्वाररहित)

नोट–‘दमा’ शब्द का जब बहुवचन बनाया जाता है तब उसमें अनुस्वार नहीं लगाया जाता है, अर्थात् उसे ‘दमे’ लिखा जाएगा।

33-प्रथम, पंचम, सप्तम एवं नवम की तर्ज पर सामान्यता ‘षष्टम’ लिख दिया जाता है। तद्भव शब्द छठा के लिए तत्सम शब्द ‘षष्ठ’ है न कि ‘षष्ठम’। इसके साथ ही यह भी ध्यातव्य है कि हिंदी में अनु्रम बताने के लिए पांचवां, सातवां आठवां आदि तो है पर छठवां नहीं। यह भी विदित है कि मगही एवं भोजपुरी क्षेत्रों में प्राय: ‘छठा’ का उच्चारण ‘छट्ठा’ के रूप में किया जाता है जो खड़ी बोली हिंदी में मान्य नहीं है।

34-एक गलत प्रयोग बहुतायत में हो रहा है जैसे छुरा मारना। शब्द छुरा घोंपना है। इसी संदर्भ में चाकू शब्द का भी प्रयोग हो रहा है, जो तकनीक रूप से गलत है।

35-संचालन व संचलन शब्दों का अंतर भी समझना चाहिए। संचालन बंद या जाम गलत है, होना चाहिए संचलन बंद।

36-‘पर’, ‘से’ का प्रयोग भी गड़बड़ हो रहा है। ‘खंडहर घाट पर नाव संचलन कई माह से बंद’ यह गलत है। होना चाहिए ‘खंडहर घाट से संचलन कई माह से बंद’।

37-आरोप लगाने वाला ‘आरोपी’ होता है और जिस पर आरोप लगाया जाता है वह ‘आरोपित’, लेकिन अक्सर आरोपित के स्थान पर आरोपी शब्द का गलत प्रयोग होता है।

38-आजकल आधे ‘न’ और आधे ‘म’ की जगह बिंदी का प्रयोग किया जाने लगा है पर यह ठीक नहीं है। एकबार आधे न की आवाज तो अनुस्वार यानी बिंदी से ली जा सकती है। आधे ण की आवाज भी अनुस्वार से ली जा सकती है। पर आधे म के लिए भी अनुस्वार का प्रयोग गलत है। हिंदी भाषा की एक विशेषता जैसा लिखना वैसा पढ़ना या जैसा बोलना वैसा ही लिखना है तो आधे म की जगह अनुस्वार का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए। अत: अन्त को अंत लिखा जा सकता है पर सम्वाद, मुम्बई, सम्पादक, कम्पनी, दम्पति, ओलम्पिक की जगह संवाद, मुंबई, संपादक, कंपनी, दंपति, ओलंपित लिखना गलत है।

39-जल्द क्रिया विशेषण है। जल्दी संज्ञा है। उदाहरण के तौर पर उसे किताब जल्द चाहिए। उसने जल्दी की।

40-भ्रम मिथ्या ही होते हैं, इसलिए मिथ्या भ्रम नहीं लिखना चाहिए।

41-‘इससे’ पहले होता है, ‘इसके’ पहले नहीं।

42-बीचोंबीच में अनुस्वार नहीं लगेगा, क्योंकि बीच का बहुवचन नहीं होता। रातोंरात और कानोंकान का अनुस्वार निश्चित है, क्योंकि रात और कान का बहुवचन होता है।

43-समाप्त प्राय: की जगह समाप्तप्राय होगा-यहां विसर्ग नहीं लगेगा।

44-बिल या विधेयक अधिनियम का पूर्व रूप है। पास होने के बाद अधिनियम बनता है।

45-अहम उर्दू शब्द है जिसका प्रयोग महत्वपूर्ण के लिए होगा। (इसमें म पर हलंत भी नहीं लगेगा) हिंदी में अहं इगो के लिए है।

46-लेकिन से पहले अर्धविराम नहीं लगेगा। साथ ही पूर्णविराम के बाद लेकिन का प्रयोग नहीं होगा।

47-एकमुश्त सही है, पर किश्त लिखना गलत है। किश्त का अर्थ होता है-खेती, जबकि किस्त का अर्थ है भाग, अंश या हिस्सा आदि। प्राय: किश्त अंश, भाग के स्थान पर लिख दिया जाता है, जो गलत है।

48-‘चार राउंड’ या ‘चार चक्र गोलियां चलायीं’ का प्रयोग गलत है। इसकी जगह ‘चार गोलियां चलायीं’। वास्तव में अंग्रेजी में लिखा जाता है पुलिस फायर्ड फोर राउंड्स। राउंड का मतलब होता है गोली। यह गलती नासमझी में अनुवाद करने से होती है।

49-तालिबान, मुजाहिदीन, उलेमा शब्द खुद ही बहुवचन है। तालिबानों, मुजाहिदीनों और उलेमाओं लिखना गलत है। तालिबेइल्म होता है छात्र और तालिबान का मतलब बहुत से छात्र।

50-प्राय: एकवचन सूचक शब्दों का प्रयोग बहुवचन के अर्थ में कर दिया जाता है। जैसे-प्रत्येक पुस्तकें, एक-एक सीढ़ियां चढ़कर, हर राष्टÑों के पास सेना है, में क्रमश: पुस्तक, सीढ़ी और राष्टÑ का प्रयोग होगा।

51-किंतु, परंतु, तथापि, कदापि, सदैव, कदाचित, प्राय:, प्रथम:, अथात्, पुन:, हेतु आदि ऐसे शब्द हैं, अखबारी भाषा में जिनके प्रयोग से बचना चाहिए। इनका प्रयोग अनिवार्य स्थिति में ही किया जा सकता है। आज ये शब्द वाक्यों की रूढ़ संरचना के प्रतीक माने जाने लगे हैं, इसलिए प्राय: इनके प्रयोग से बचा जाता है।

52-कुछ अंग्रेजी दां अंग्रेजी शब्दों को हिंदी में लिखते हुए हलंत लगाते हैं, जैसे कट्स, सैट्स वरना हिंदी में तो हलंत गायब ही हो गए हैं। लिखा जाता है कटों, सैंटों। पहले बहुत से शब्द हलंत के साथ लिखे जाते थे। जैसे परिषद्, चश्चात्, स्वयम्, भगवान्, श्रीमान्।

53-कुछ उर्दू शब्दों को अंग्रेजी लिपि से लेने के कारण हम गलत लिख रहे हैं। जैसे जश्न-ए-आजादी जबकि उर्दू में इस तरह हाइफन लगाकर नहीं लिखा जाता है, नून (न) पर जेर (ए की मात्रा) लगाकर सीधे लिखा जाता है जश्ने आजादी। इसी तरह फसाना-ए-आजाद को फसानाए आजाद लिखा जाना चाहिए।

54-पहले कुछ शब्द (समास) अलग-अलग लिखे जाते थे। जैसे आत्म हत्या, प्रति शत, यथा समय। पर अब इन्हें जोड़कर लिखा जाने लगा है। जैसे आत्महत्या, प्रतिशत, यथासमय।

55-क्या सारी संख्याएं शब्दों में लिखी जाएंगी या सिर्फ एक से नौ तक। इस बारे में वर्तनी में स्पष्ट निर्देश की जरूरत है।

‘की’ और ‘कि’ का प्रयोग

‘कि’ और ‘की’ के प्रयोग में ध्यान रखने की बात है कि ‘कि’ समुच्चयबोधक अव्यय है, जबकि ‘की’ संबंधसूचक शब्द। अत: जहां दो शब्दों के बीच संबंध बतलाना हो, वहां ‘की’ का प्रयोग होगा। जैसे-राम की बेटी, मोहन की पुस्तक आदि। यहां राम और बेटी तथा मोहन और पुस्तक के बीच में आया ‘की’ दोनों के बीच संबंध स्थापित करता है। अव्यय ‘कि’ क्रिया के बाद आता है और दो शब्दों के बीच नहीं बल्कि दो वाक्यों के बीच संबंध स्थापित करता है। जैसे-उन्होंने कहा कि मैं कल दिल्ली जाऊंगा। इस वाक्य को ‘कि’ के बिना लिखने पर योजक और अवतरण चिह्न (-) (‘‘ ’’) का प्रयोग किया जाएगा। जैसे-उन्होंने कहा-‘मैं कल दिल्ली आऊंगा’। इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि ‘की’ अंग्रेजी के आॅफ के लिए तथा ‘कि’ अंग्रेजी के दैट के लिए प्रयुक्त होता है। ‘की’ का प्रयोग क्रिया में भी किया जाता है। जैसे – यह कार्य करने की कृपा की जाए।

पुल्लिंग शब्द

1-‘अ’ प्रत्यय वाले संस्कृत शब्द-कौशल, शैशव, वाद, क्रोध, वेद, मोह, माया, पाक, त्याग, दोष, स्पर्श आदि। अपवाद-जय, पराजय, विजय, आय आदि। सहाय उभयलिंग है, लेकिन इसे पुल्लिंग माना जाए। इसी प्रकार विनय उभयलिंग है, लेकिन इसका प्रयोग स्त्रीलिंग में किया जाए।

2-‘अन’ प्रत्यय वाले संस्कृत शब्द-दान, बंधन, गठन, साधन आदि।

3-‘त्र’ प्रत्यय वाले संस्कृत शब्द-शास्त्र, शस्त्र, नेत्र, पात्र, चरित्र, चित्र, क्षेत्र आदि।

Ñ4-‘त’ प्रत्यय वाले संस्कृत शब्द-गणित, चरित, स्वागत, फलित, मत, गीरत आदि।

5-‘न’ प्रत्यय वाले संस्कृत शब्द-स्वप्न, प्रश्न, यत्न, पालन, दमन, वचन, नयन, गमन आदि।

6-‘व’ प्रत्यय वाली संस्कृत संज्ञाएं-कृतित्व, मनुष्यत्व, सतीत्व, गुरुत्व आदि।

7-‘य’ प्रत्यय वाली संस्कृत संज्ञाएं-कृत्य, कार्य, माधुर्य, धैर्य, सौंदर्य, वीर्य आदि।

8-‘ख’ से अंत होने वाले संस्कृत शब्द-दु:ख, सुख, मुख, लेख, नख, मख, शंख आदि।

9-‘ज’ से अंत होने वाले संस्कृत शब्द-अनुज, जलज, सरोज, मलयज, पिंडज आदि।

10-‘आ’ से अंत होने वाली हिंदी संज्ञाएं-आटा, कपड़ा, घड़ा, गन्ना, दरवाजा आदि।

11-‘आ’ प्रत्यय वाले शब्द-जोड़ा, झटका, बोझा, घेरा, फेरा, झगड़ा, रगड़ा आदि।

12-‘वाला’ लगे शब्द-टोपीवाला, झंडेवाला आदि।

13-‘आव’ प्रत्यय वाली हिंदी संज्ञाएं-बहाव, पड़ाव, घुमाव आदि।

14-‘आवा’ प्रत्यय वाली हिंदी संज्ञाएं-डरावा, भुलावा, बहकावा आदि।

15-‘ना’ प्रत्यय वाली हिंदी क्रियार्थक संज्ञाएं-चलना, तैरना, देना, लेना, सोना, जगना आदि।

16-‘पा’ प्रत्यय वाले हिंदी शब्द-बुढ़ापा, रंडापा आदि।

17-‘आन’ कृदंत प्रत्यय वाले हिंदी शब्द-खानपान, पिसान, मिलान, लगान आदि।

18-धातुओं के नाम-सोना, तांबा, लोहा, सीसा, कांसा, पारा, पीतल आदि।

19-रत्नों के नाम-हीरा, माणिक, मोतीर, मूंगा, पन्ना, नीलम आदि।

20-भोज्य पदार्थों के नाम-पुआ, पेड़ा, भात, रायता, लड्डू, हलुआ, समोसा, चॉकलेट आदि।

अपवाद-दाल, रोटी, तरकारी, सब्जी, पूड़ी, जलेबी, मिठाई आदि।

21-अनाजों के नाम-गेहूं, चना, जौ, चावल, बाजड़ा, उड़द, तिल आदि।

अपवाद-अरहर, मूंग, ज्वार, मकई, खेसारी आदि।

स्त्रीलिंग शब्द

1-‘अना’ प्रत्यय वाली संस्कृत संज्ञाएं-वंदना, सूचना, भावना, कल्पना आदि।

2-‘आ’ प्रत्यय वाली संस्कृत संज्ञाएं-कृपा, पूजा, क्षमा, सेवा, शिक्षा आदि।

3-‘इ’ प्रत्यय वाली संज्ञाएं-रुचि, कृषि, विधि, राशि, निधि, छवि आदि।

4-‘ति’ प्रत्यय वाली संस्कृत संज्ञाएं-जाति, तृप्ति, शक्ति, प्रीति आदि।

5-‘नि’ प्रत्यय वाली संस्कृत संज्ञाएं-ग्लानि, योनि, हानि आदि।

6-‘या’ प्रत्यय वाले संस्कृत शब्द-क्रिया, विद्या आदि।

7-‘सा’ प्रत्यय वाले संस्कृत शब्द-पिपासा, मीमांसा आदि।

8-‘इमा’ प्रत्यय वाले संस्कृत शब्द-गरिमा, महिमा, लघिमा आदि।

9-‘ता’ प्रत्यय वाले संस्कृत शब्द-एकता, गंभीरत, दरिद्रता, योग्यता आदि।

10(क)-ईकारांत हिंदी शब्द-गली, चिट्ठी, टोपी, चांदी, इमली आदि।

(ख)-ईकारांत भाववाचक उर्दू संज्ञाएं-गरीबी, गरमी, सरदी, बीमारी, चालाकी, तैयारी, नवाबी आदि।

(ग)-ईकारांत अंग्रेजी शब्द-असेंबली,कंपनी, केतली, कॉपी, गैलरी, डायरी, डिग्री, टाई, ट्रेजरी आदि।

11- नाकारांत संज्ञाएं-प्रार्थना, वेदना, प्रस्तावना, रचना, घटना आदि।

12-उकारांत संज्ञाएं-आयु, रेहणु, रज्जु, मृत्यु, वस्तु, धातु, ऋतु आदि।

अपवाद-मधु, अश्रु, तालु, मेरु, हेतु आदि।

13-नदियों और झीलों के नाम स्त्रीलिंग होते हैं। जैसे-गंगा, यमुना, सरस्वती, सतलज, रावी, महानदी, व्यास, कावेरी, चिल्का, सांभर आदि।

अपवाद-सोन, सिंधु, ब्रह्मपुत्र नदी।

14-नक्षत्रों के नाम स्त्रीलिंग होते हैं। जैसे-भरणी, अश्विनी, आद्रा, रोहिणी, अश्लेषा, चित्रा आदि।

अपवाद-अभिजित, पुष्प, हस्ति आदि।

15-‘इया’ प्रत्यय वाली हिंदी संज्ञाएं-खटिया, पुड़िया, डिबिया, लुटिया आदि।

16-‘ख’ अंत वाले हिंदी शब्द-आंख, कोख, परख, भूख, साख आदि।

17-‘अ’ प्रत्यय लगाकर हिंदी की धातुओं से बनी संज्ञाएं-अकड़, कड़ाह, ऊख, खोज, चहक, चोट, देखभाल, पकड़, पहुंच आदि।

18-‘अन’ प्रत्यय लगाकर हिंदी धातुओं से बने शब्द-लगन, जलन, उलझन, पहचान आदि।

19-‘ट’, ‘वट’ और ‘हट’ प्रत्यय वाली भाववाचक संज्ञाएं-झंझट, मिलावट, सजावट, आहट, घबराहट, चिल्लाहट आदि।

20-‘आई’ प्रत्यय वाली हिंदी संज्ञाएं-ऊंचाई, लंबाई, सिलाई, लिखाई, बनवाई आदि।

21-संस्कृत की प्राय: भाववाचक संज्ञाएं-कटुता, गरिमा, ऋद्धि, इच्छा, अर्चना आदि।

22-तिथियों के नाम-परिवा, द्वितीया, तीज, अष्टमी, अमावस्या आदि।

23-भाषाओं और बोेलियों के नाम-पंजाबी, उर्दू, रूसी, अंग्रेजी, हरियाणवी आदि।

24-कुछ ऐसे प्राणिवाचक शब्द हैं, जो केवल स्त्रीलिंग में प्रयुक्त होते हैं। जैसे चील, कोयल, बटेर, गिलहरी, मछली, मैना, मक्खी आदि।

25-वाहनों के अंग्रेजी नाम स्त्रीलिंग होते हैं। जैसे-ट्रेन, बस, जीप, कार, मेटाडोर, मोटरसाइकिल, साइकिल इत्यादि।

अपवाद-ट्रक, जहाज, स्कूटर, रिक्शा आदि।

इन शब्दों को ऐसे लिखें

नया, नयी, नये        (न कि नया, नई, नए)

गया, गयी, गये        (न कि गया, गई, गए)

आया, आयी, आये            (न कि आया, आई, आए)

घटाया, घटायी, घटाये   (न कि घटाया, घटायी, घटाये)

हुआ, हुई, हुए         (न कि हुआ, हुयी, हुये)

रुपया, रुपये, रुपयों           (न कि रुपया, रुपए, रुपओं)

इनसे बचें

हिंदी के कुछ ऐसे शब्द हैं, जिनकी वर्तनी दूसरे अधिक प्रचलित शब्दों से प्रभावित होने के कारण गलत हो जाती है। जैसे कुछ शब्दों की सूची यहां दी जा रही है-

अशुद्ध रूप                           शुद्ध रूप

सौहार्द्र-आर्द्र्र से                   सौहार्द

सोचनीय-सोच से                  शोचनीय

अंतर्ध्यान-ध्यान से                अंतर्धान

अनुशरण-शरण से                 अनुसरण

नर्क-स्वर्ग से                        नरक

अधिग्रहित-अतिक्रमण से        अधिग्रहीत

दिलाशा-आशा से                  दिलासा

लघुत्तम-महत्तम से               लघुतम

बीचोंबीच-कानोंकान से        बीचोबीच

सहस्त्र-अस्त्र से             सहस्त्र

गड़बड़ी किसी शब्द में ‘करण’ के जुड़ने से होती है। यहां ध्यान रखने की बात  है कि यह प्राय: विशेषण से जुड़ता है। कुछ उदाहरण ये हैं-

मानक से मानकी करण                  सुंदर से सुंदरीकरण

उदासीन से उदासीनीकरण                 सम से समीकरण

पवित्र से पवित्रीकरण                    संक्षिप्त से संक्षिप्तीकरण

नि:शस्त्र से नि:शस्त्रीकरण                स्पष्ट से स्पष्टीकरण

नव से नवीनीकरण                      राजनैतिक से राजनैतिकीकरण

विशेष से विशेषीकरण              आधुनिक से आधुनिकीकरण

नूतन से नूतनीकरण                     नवीन से नवीनीकरण

इसी प्रकार पुष्टिकरण, तुष्टिकरण, समष्टिकरण, सशक्तिकरण आदि लिखे जा  रहे हैं, क्योंकि इन्हें क्रमश: पुष्टि, तुष्टि, संतुष्टि, सशक्ति से लिया जाता है। जो लोग ऐसा लिखते हैं उन्हें लगता है कि इन्हें दीर्घ से लिख दिया जाए तो गलती हो जाएगी, जबकि ये शब्द पुष्ट, तुष्ट, प्रस्तुत, शुद्ध, संतुष्ट, समष्ट, सशक्त से बनें हैं और करण जुड़ने से इनका अंतिम वर्ण ईकार होकर शुद्ध रूप होगा पुष्टीकरण, तुष्टीकरण, प्रस्तुतीकरण, शुद्धीकरण, संतुष्टीकरण, सशक्तीकरण।

कुछ ऐसे शब्द हैं, जिनमें वर्तनी का थोड़ा अंतर हो जाने पर अर्थ बदल जाते हैं। ये शब्द हैं-

अंतर्                          अंदर

अंतर                          फर्क, दूरी

अंश                           हिस्सा

अंस                           कंधा

अता                           प्रदान करता

अदा                           चुकता करना

अहम्                          मैं, अहंकार

अहम                          खास

अरबी                          एक भाषा

अरवी                          एक सब्जी

अपकार                         बुराई

उपकार                         भलाई

अन्न                          अनाज

अन्य                          दूसरा

आदि                          आरंभ, इत्यादि

आदी                          अदरक, अभ्यस्त

कुल                           वंश, संपूर्ण

कूल                           किनारा

कर्म                           कार्य

क्रम                           सिलसिला

कटीली                         तीक्ष्ण, धारदार

कंटीली                         कांटेदार

कर्ता                           करनेवाला

उपेक्षा                          अवहेलना

अपेक्षा                         बराबरी में, उम्मीद

Ñअनुप्रास                       एक अलंकार

अन्नप्रास                       भोजन

आरति                         विरक्ति, दु:ख

आरती                         धूप-दीप दिखाना

अर्घ                           देवी देवताओं के आगे पूज्यव भवन से जल गिराना

अर्घ्य                          जो आदर, पूजा, भेंट या सत्कार का पात्र हो, पूजा विस्मयबोधक में                                  देने योग्य (जल, फूल, मूल आदि)

करता                          करने की क्रिया

करकट                         कूड़ा

कर्कट                          केंकड़ा

क्रीत                           खरीदा हुआ

कृत                           किया हुआ

कीर्तिवान                      यशस्वी

कीर्तिमान                       रिकार्ड

कलि                           कलियुग

कली                           अविकसित फूल

कास                           खांसी

काश                           एक घास विशेष

अनावृत्त                        जो दोहराया न गया हो

अनावृत                  जो ढका न हो

कोष                           भंडार, खजाना

कोश                           आवरण, गोलक

केशर                          एक सुगंधित पदार्थ

केसर                          शेर की गर्दन का बाल, अयाल

खोआ                          दूध से बना पदार्थ

खो                            खो गया

खाद                           उर्वरक

खाद्य                          खाने योग्य

खयाल                         एक राग

ख्याल                          विचार

अणु                           कण

अनु                           पीछे

निश्चल                         स्थिर

निश्छल                  छलरहित

दाई                           नौकरानी

दायी                           देने वाला

दिन                           रोज

दीन                           गरीब

दीया                           दीपक

दिया                           देना का भूतकाल

द्वीप                          टापू

द्विप                          हाथी

धराधर                         शेषनाग

धड़ाधड़                        जल्दी से

धान                           एक प्रकार का अनाज

अर्चन                          वंदना

अड़चन                   रुकावट

अरि                           शत्रु

अरी                           स्त्री के लिए संबोधन

अवधि                         समय

अवधी                          अवध की भाषा

उद्यत                         तैयार

उद्धत                          उद्दंड

गण                           समूह

गण्य                           गिनने योग्य

गरुड़                           एक पक्षी

गिन्नी                         चक्कर

गिनी                          सोने का सिक्का

गुड़                            शक्कर

गुर                            रहस्य

गुटका                          छोटी पुस्तक

गुटखा                          पान मसाला

गूंथना                          पिरोना

गूंधना                          सानना (आटा आदि)

गट्टा                           कलाई

गट्ठा                           गट्ठर

ध्यान                          चित्र की एकाग्रता

नियत                          निश्चित

नीयत                          इरादा

नारी                           औरत

नाड़ी                           नब्ज

निराश                         हताश

निरास                         रद्द करने का भाव (इसी से निरस्त बना है)

चिर                           पुराना

चीर                           कपड़ा

नीर                           जल

नीड़                           घोसला

पुरुष                           कठोर

पुरूष                           मर्द

पथ                            रास्ता

पथ्य                           रोगी का भोजन

परिताप                         दु:ख, संताप

प्रताप                          ऐश्वर्य, पराक्रम

परायण                         प्रवृत्त, लगा हुआ (धर्मपरायण)

पारायण                  समय बांधकर किया गया पाठ (रामायण पारायण)

जलद                          बादल

जलज                          कमल

फुट                           अकेला, माप की इकाई

फूट                           खरबूजा जाति का फल, अनबन

छात्र                           विद्यार्थी

क्षात्र                           क्षत्रिय का गुण

डीठ                           दृष्टि

ढीठ                           जिद्दी

तर्क                           बहस

तक्र                           मट्ठा

द्रव                            रस

द्रव्य                           पदार्थ

दारु                           लकड़ी, पीतल, उदार व्यक्ति

मंदी                           धीमी

मंडी                           हाट

बाड़                           सूखी झाड़ी, घेरा

बार                            दफा (जैसे-एक बार, दो बार)

गेय                            गाने योग्य

ज्ञेय                           जानने योग्य

चतुष्पद                        चौपाया, जानवर

चतुष्पथ                        चौराहा

चक्रवात                  बवंडर

चक्रवाक                        चकवा पक्षी

छत्र                           छाता

क्षत्र                           क्षत्रिय

जवानी                         युवावस्था

जबानी                         मौखिक

जगत                          कुएं का चबूतरा

जगत्                          संसार

जब                           समय सूचक

जव                           जौ (अनाज)

चीता                          एक जंगली जानवरी

चिता                          शव जलाने के लिए लकड़ी का ढेर

बगुला                          एक पक्षी

बगूला                          बवंडर

बैगन                          एक सब्जी

वैगन                          मालगाड़ी का डिब्बा

बहु                            बहुत

बहू                            पुत्रवधु

मल                           गंदगी

मल्ल                          पहलवान

मणि                           रत्न

मणी                           सर्प

मिट्टी                          माटी

मिट्ठी                          चुंबन

पीक                           थूक

पिक                           कोयल

मिश्र                           मिला हुआ

बासी                           रखा हुआ भोजन

वासी                           रहने वाला

मंशा                           आशय

मनसा                          मन से संबंधित

बंसी                           मछली फंसाने का कांटा

बंशी                           मुरली

बेग                            एक पदवी

वेग                            गति

बाद                           पश्चात, उपरांत

वाद                           मत

बाह्य                          बाहरी

वाह्य                          वहन करने योग्य

फूकना                         जलाना

फंूकना                     फूंकने की क्रिया

भांड़                           मसखरा

भांड                           बर्तन

बही                           हिसाब लिखने की कॉपी

वही                           पहले वाला

बाला                           लड़की

वाला                           धारक

बादी                           वायु विकार पैदा करने वाला पदार्थ

वादी                           न्यायालय में प्रथम पक्ष

बाढ़                           जलप्रवाहक का बढ़ना

वार                            आक्रमण, दिन (जैसे-सोमवार)

बोट                           नाव

वोट                           मत

बड़ी                           बड़ा का स्त्रीलिंग

बरी                            सजा से मुक्ति

बाकी                          शेष

बांकी                          तिरछी

मादा                           स्त्रीलिंग

मांदा                           थका-मांदा

मत                           सलाह, राय

मत्त                           मतवाला

मद                            अहंकार

मद्य                          शराब

पास                           नजदीक

पानी                           जल

पाणि                          हाथ

फन                           गुण

फण                           सांप की थुथनी

बात                           वचन

वात                           हवा

वहन                           ढोना

बहन                           सहोदरा

बदन                           शरीर

वदन                           मुख

बास                           गंध

वास                           निवास

बम                            विस्फोटक गोला

बम्                            शिव की अराधना का शब्द

बेला                           फूल की एक किस्म

वेला                           समय

बीर                            भाई

वीर                            बहादुर

बीबी                           बहन

बीवी                           पत्नी

बेताल                          गलत ताल

वेताल                          पिशाच

रुख                           दिशा

रूख                           पेड़

रद                            दांत, उल्टी

रद्द                            खारिज

लाड़                           दुलार

लार                           मुंह से निकलने वाला तरल

लक्ष                           लाख

लक्ष्य                          उद्देश्य

विष                           जहर

विश                           कमल का डंठल

विदुर                          पंडित

विधुर                          जिसकी पत्नी मर गई हो

व्यंग                           विकलांग

व्यंग्य                          ताना

विश्वस्त                       विश्वसनीय

विश्वस्थ                       विश्व में स्थित

शिरा                           नाड़ी

सिरा                           छोर

सादी                           सादा का स्त्रीलिंग

पाश                           बंधन

प्रणय                          प्रेम

परिणय                         विवाह

शप्त                           शापित

सप्त                           सात

सुत                           बेटा

सूत                           धागा, रथ हांकने वाला

शुल्क                          फीस

शुक्ल                          श्वेत

शौर्य                           वीरता

सौर्य                           सूर्य संबंधी

षष्ठी                          छह

षप्टि                          साठ

श्रवण                          कान, सुनना

श्रमण                          जैन भिक्षु, श्रम से

शर्मा                           उपनाम

शरमा                          लज्जित होना

शिया                          मुसलमानों का एक संप्रदाय

सिया                          सीता

लेश                           बहुत छोटा अंश

लेस                           लसीला पदार्थ

सुदेश                          सुंदर देश

सुदेस                          सुंदर

साह                           महाजन

शाल                           गर्म चादर

साल                           वर्ष

शाला                          घर

साला                          पत्नी का भाई

शील                           नैतिक आचरण, व्यवहार

सील                           मुहर, ठप्पा, नमी

सुधी                           विद्वान

सुधि                           स्मरण

श्रोत                           कान

साड़ी                           जनानी धोती

सारी                           समूची

शंकर                          शिव

संकर                          मिश्रित

सुबह                           प्रात:

सुवह                           आसानी से उठने वाला

Ñशीरा                          चाशनी

सीरा                           ठंडा

सुखी                           सुखपूर्वक

सूखी                           सूखा स्त्रीलिंग

शाख                           डाली, शाखा

साख                           धाक, प्रतिष्ठा

हूक                            पीड़ा

हुक                            कील

हार                            पराजय, माला

हाड़                            हड्डी

शादी                           विवाह

सादि                          जिसका प्रारंभ ज्ञात न हो (स+आदि)

शांत                           चुप

सांत                           अंत सहित (स+अंत)

शीशा                          दर्पण

सीसा                          रांगा

शिला                          पत्थर की चट्टान

सिला                          सिला हुआ, बादल

सूची                           लिस्ट, फेहरिस्त

सूचि                           सूई

सन्                           वर्ष

सन                           जूट

श्रोता                          सुनने वाला

सोता                          झरना, सोने की क्रिया, नदी की छोटी शाखा

शहर                           नगर

सहर                           सवेरा

शर                            बाण

सर                            तालाब

शाह                           सम्राट

साह                           महाजन

 इन शब्दों में परिवर्तन नहीं होता

पिता, विधाता, राजा, योद्धा, महात्मा, वक्ता, अधिवक्ता, नेता, अभिनेता, श्रोता, कर्ता, अभिकर्ताविक्रेता, विजेता, दाता, त्राता, भ्राता, युवा, परमात्मा, नाना, दादा, मामा, बाबा, चाचा, काका, पापा, लाला, फूफा, जीजा, हिया, जिया, मुखिया, रसिया, दरोगा, अब्बा, अल्ला, मौला, मियां, आका, आगा, दादरा, गामा, अल्फा, गुणा, मौसा, मौसिया आदि।

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