बनारसी साड़ियों में खप रहा सरकारी कंडोम

बनारसी साड़ियों में खप रहा सरकारी कंडोम

मोदी की काशी में परिवार नियोजन अभियान को झटका

बुनकरों को सरकारी मशीनरी ही बेचती है फ्री वाला कंडोम

बनारसी साड़ी बनाने में रोजाना इस्तेमाल होता है लाखों कंडोम

विजय विनीत

क्या जानते हैं आप? विश्व प्रसिद्ध बनारसी साड़ियों का कंडोम से गहरा संबंध है। इन साड़ियों में हर रोज लाखों कंडोम खप जाते हैं। सरकारी मशीनरी की मिलीभगत से धंधा फल-फूल रहा है। कुछ साल पहले तत्कालीन कपड़ा मंत्री संतोष गंगवार के सामने बनारस के बुनकरों ने खुद यह राज खोला था। मंत्री बनारस के चोलापुर देवानंदपुर गांव में हथकरघा सुविधा केंद्र का उद्घाटन करने आए थे।

बुनकरों के मुताबिक सिल्क धागा, जरी और बॉबिन के साथ कंडोम भी अब बनारसी साड़ी उद्योग का एक अहम हिस्सा है। बनारसी साड़ियों में उस कंडोम का इस्तेमाल होता है जो बुनकरों को सरकार की ओर से जनसंख्या नियंत्रित करने के लिए फ्री में मिलता है। सरकारी मशीनरी ने अब इसे धंधा बना लिया है। बुनकरों को बेचा जाने लगा है। इसकी बड़ी वजह यह है कि बनारसी साड़ी उद्योग में रोजाना हजारों की संख्या में कंडोम की खपत होती है।

दरअसल बॉबिन को चिकना करने के लिए कंडोम के लुब्रिकेंट का इस्तेमाल किया जाता है। बनारसी साड़ी उद्योग में लगे काशी के बुनकरों को पहले फ्री कंडोम आसानी से मिल जाता था। शुरुआत में बुनकरों ने जुगाड़ के कंडोम का इस्तेमाल शुरू किया। बाद में यह साड़ी उद्योग का खास हिस्सा बन गया। हैरत की बात यह है कि ‘बुनकरों को कंप्यूटर से लैस किया गया। नए रंग और नई डाई खोजी गई, लेकिन बॉबिन को स्मूथ ढंग से चलाने की तरकीब नहीं ढूंढ़ी गई? अब तक ऐसा लुब्रिकेंट नहीं निकाला गया जो कंडोम का विकल्प बने?’

बताया जाता है कि बनारस के बुनकरों को सरकारी मशीनरी से मुफ्त का कंडोम मिलता है। जिनके कारखानों में ज्यादा कंडोम की खपत होती है वे स्वास्थ्य विभाग के कारिंदों से सस्ती दरों पर खरीद लेते हैं। बुनकरों के मुताबिक एक बनारसी साड़ी बुनने में हर रोज करीब चार से पांच कंडोम खपते हैं। पूरी साड़ी चौदह कंडोम की मदद से तैयार होती है। बनारस में एक लाख से ज्यादा करघे हैं। मोटे अनुमान के अनुसार बनारसी साड़ी उद्योग में रोजाना करीब छह लाख कंडोम खप जाता है। यह फोकट वाला वही कंडोम होता है जिसे केंद्र और राज्य सरकारें जनसंख्या नियंत्रण के लिए भेजती हैं। कंडोम का प्रयोग करना काशी के बुनकरों की मजबूरी है। इनके पास अभी तक इससे अच्छा कोई विकल्प नहीं है।

ऐसे होता है कंडोम का इस्तेमाल

चोलापुर के देवानंदपुर गांव में बनारसी साड़ी बनाने वाले एक कारीगर बदरुद्दीन के मुताबिक करघे पर काम करने वाले बुनकर कंडोम को बीच से काटते हैं और बाद में लुब्रिकेंट को  बॉबिन पर घिसते है। कंडोम में मौजूद लुब्रिकेंट बॉबिन को चिकना बना देता है, जिससे यह धागों के बीच काफी तेज गति से चलता है और बुनाई जल्दी-जल्दी होती है। बारिश के दिनों में बॉबिन धागों में अधिक फंसता है, जिससे बनारसी साड़ी की बुनाई में ज्यादा समय लगता है। बदरुद्दीन यह नहीं बता सका कि बनारसी साड़ी में कंडोम का इस्तेमाल करने की तकनीक किसने खोजी? जिन बुनकरों को सस्ता कंडोम नहीं मिलता वे बॉबिन को चिकना करने के लिए पॉड़्स का पाउडर भी इस्तेमाल करते हैं।

अफसरों ने बना रखा है व्यवसाय

बनारसी साड़ी बनाने के लिए बड़ी तादाद में कंडोम की आपूर्ति की कहानी हैरत में डालने वाली है। दरअसल स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने यहां मुफ्त बांटे जाने वाले कंडोम को व्यापार बना दिया है। काशी में कई ऐसी संस्थाएं हैं जो परिवार नियोजन का कार्यक्रम चलाती हैं। कुछ बुनकर यहां से मिलने वाले फोकट के कंडोम पर भी निर्भर हैं। कुछ बुनकर स्वास्थ्य कर्मचारियों से मिलकर अधिक मात्रा में फ्री कंडोम का जुगाड़ कर लेते हैं। सीधे तौर पर बुनकर कंडोम के इस्तेमाल को स्वीकार नहीं करते। इन्हें डर होता है कि बनारसी साड़ी खरीदने वालों को अगर यह पता चल गया कि उसे बनाने में कंडोम का इस्तेमाल किया जाता है तो उद्योग को झटका लग सकता है।

 

 

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