बीजों का डीएनए प्रिंट रोकेगा ‘फार्मूले’ की चोरी

लोबिया, मटर, भिंडी, मिर्च के बीजों की हो रही है चोरी
विजय विनीत
वाराणसी स्थित दुनिया का जाना-मान भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (आईआईवीआर) अब अपने बीजों का डीएनए प्रिंट तैयार कर रहा है। इस तकनीक से वह यह पता लगाएगा कि बीज उत्पादन करने वाली कौन सी कंपनी उसके बीजों पर अपनी मुहर लगाकर बाजार में उत्पाद बेच रही हैं। डीएनए प्रिंट का इस्तेमाल पहले मनुष्यों के लिए ही किया जाता था। अब नई तकनीक पौध और बीजों के संरक्षण के लिए इस्तेमाल में लाई जा रही है।
आईआईवीआर ने अब तक सब्जियों की कुल 55 प्रजातियां विकसित की हैं और करीब दो दर्जन प्रजातियां संस्तुति के लिए तैयार हैं। इनमें बीटी बैगन और बीटी टमाटर की प्रजातियां भी शामिल हैं। इन प्रजातियों को शासन ने अभी तक हरी झंडी नहीं दी है। निजी क्षेत्र की कंपनियां आईआईवीआर की भिंडी, मिर्च, लोबिया और मटर की प्रजातियों के बीजों को अपना बताकर धड़ल्ले से बेच रही हैं। इस धोखाधड़ी को रोकने के लिए आईआईवीआर ने अपने सभी प्रजातियों का डीएनए प्रिंट तैयार करने शुरू कर दिया है। मटर, भिंडी और मिर्च की कई प्रजातियों के डीएनए प्रिंट तैयार कर लिए गए हैं। बाकी प्रजातियों के डीएनए फिंगर प्रिंट तैयार किए जा रहे हैं।
आईआईवीआर तैयार कर रहा है अपने बीजों का डीएनए प्रिंट
आईआईवीआर के प्रधान वैज्ञानिक डा.मेजर सिंह ने बताया कि बीजों के साथ ही उनके फामूले की चोरी रोकने के लिए डीएनए प्रिंट निकाला जा रहा है। किसानों के पास बीजों की कई ऐसी प्रजातियां भी हैं जिनका इस्तेमाल उन्नतशील प्रजातियों का बीज बनाने में इस्तेमाल किया जाता है। इन प्रजातियों का भी डीएनए प्रिंट तैयार कराया जा रहा ताकि इनका दुरुपयोग भी रोका जा सके। साथ ही किसान भी लाभान्वित हो सकें। उन्होंने बताया कि आईआईवीआर के बीजों की चोरी करने वाली कई कंपनियों का पता लगाया गया है। इनका नाम गोपनीय रखा गया है। इनके खिलाफ पौध किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण नई दिल्ली में शिकायत दर्ज कराई जाएगी। यह संस्था बीजों के फामूले का ब्योरा रखती है। डा.सिंह ने बताया कि आईआईवीआर से लाइसेंस लेकर कोई भी कंपनी बीज उत्पादन कर उनकी बिक्री कर सकती है, लेकिन उन्हें उनका शुल्क और रायल्टी चुकानी होगी। रायल्टी देने के बचने के लिए ही कंपनियां अवैध तरीके से आईआईवीआर के बीजों पर अपनी मुहर ठोककर धड़ल्ले से बेच रही हैं।