एमसीआई नहीं, यहां डा.दीपिका का चलता है कायदा-कानून

बीएचयू के न्यूरोलाजी विभाग के डीएम पाठ्यक्रम में गजब का गोरखधंधा
वाराणसी के काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के न्यूरोलाजी विभाग में डाक्यूरेरस मेडिकुरेरस (डीएम) की डिग्री सिर्फ उन्हें की मिल पाती है जिनके सिर पर प्रो. दीपिका जोशी का हाथ होता है। प्रो.जोशी इस विभाग की प्रमुख है। बीएचयू के न्यूरोलाजी विभाग में मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया (एमसीआई) की गाइडलाइन नहीं चलती।
अगर किसी का चलता है तो सिर्फ प्रो.दीपिका का। डीएम पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए एमसीआई मान्यता दे अथवा न दे,डा.जोशी मनमाने ढंग से दाखिला ले रही हैं। इनकी ताकत के आगे बीएचयू प्रशासन भी बौना साबित हो रहा है। हैरत यह है कि डीएम पाठ्यक्रम में दाखिले पर एमसीआई, बीएचयू और न्यूरोलाजी विभाग की हेड, तीनों की राय जुदा-जुदा है।
डीएम न्यूरोलाजी पाठ्यक्रम में दलितों व पिछड़ों के लिए बंद हैं दरवाजे
चिकित्सा शिक्षा में डाक्यूरेरस मेडिकुरेरस (डीएम) की डिग्री सर्वोच्च मानी जाती है। एमसीआई इस डिग्री की मान्यता तभी देती है जब कोई मेडिकल कालेज अथवा रिसर्च इंस्टीट्यूट उसके कड़े मानकों पर खरा उतरता है। गहन पड़ताल और सुविधाओं का मूल्यांकन करने के बाद एमसीआई डीएम पाठ्यक्रम संचालित करने की अनुमति देता है। बीएचयू के न्यूरोलाजी विभाग मुखिया एमसीआई की गाइडलाइन को मानते ही नहीं। हाल के सालों में स्थिति और भी ज्यादा गंभीर हुई है।
आंकड़े देखिए। साल 2012-13 से साल 2016-17 तक बीएचयू के न्यूरोलाजी विभाग में डीएम पाठ्यक्रम में 13 अभ्यर्थियों को दाखिला दिया गया। विगत पांच सालों में एससी-एसटी का एक और ओबीसी के दो अभ्यर्थी प्रवेश ले सके। बाकी दस सीटों पर सिर्फ अगड़ों को दाखिला दिया गया। अगड़ों में भी एक खास जाति के अभ्यर्थियों को तबज्जो दी गई।
सिर्फ अगड़ों और जाति विशेष के अभ्यर्थियों का होता है प्रवेश
आरटीआई एक्टिविस्ट संजय सिंह ने बीएचयू और एमसीआई से न्यूरोलाजी विभाग में डीएम पाठ्यक्रम की सीटों के बारे में जानकारी मांगी तो इस मुद्दे पर अलग-अलग जानकारी मिली। न्यूरोलाजी विभाग की हेड डा.दीपिका जोशी ने 19 जनवरी 2017के पत्र में बताया है कि साल 2012-13 और 2013-14 में डीएम पाठ्यक्रम की दो-दो सीटों पर दाखिला हुआ। साल 2014 से2017 तक हर साल क्रमशः तीन-तीन अभ्यर्थियों को प्रवेश मिला। महज साल 2015-16 में दलित वर्ग के एक अभ्यर्थी को डीएम पाठ्यक्रम में प्रवेश मिल पाया। डीएम की बाकी डिग्रियां अगड़ों की झोली में चली गईं।
भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद (एमसीआई) ने 12 अप्रैल 2018को आरटीआई के जवाब में साफ-साफ कहा है कि साल 2017के लिए बीएचयू के न्यूरोलाजी विभाग में डीएम के सिर्फ एक सीट की मान्यता दी गई है। एमसीआई की मान्यता और गाइडलाइन पर ही देश भर में मेडिकल की पढ़ाई और परीक्षा होती है। एमसीआई के संयुक्त सचिव एवं पीआईओ डा.राजेंद्र वाबले ने साफ तौर पर कहा है कि बीएचयू सिर्फ एक सीट पर ही प्रवेश लेने के लिए अधिकृत है। बाकी दो सीटों पर क्यूं, कैसे और किसकी अनुमति से दाखिला लिया गया? इसका जवाब बीएचयू की हेड डा.दीपिका जोशी देने के लिए तैयार नहीं हैं। वह सालों से एमसीआई की गाइडलाइन को ताक पर रखकर मनमाने तरीके से डीएम पाठ्यक्रम में प्रवेश ले रही हैं। मनमानी का आलम यह है कि ये एमसीआई की गाइडलाइन को मानती ही नहीं है। मनचाहे तरीके से दाखिला लेती हैं और डिग्रियां भी बांट देती हैं। सूत्र बताते हैं कि इस खेल में बीएचयू के आईएमएस के निदेशक, डीन और कई आला अफसर शामिल हैं। गड़बड़झाला इस कदर है कि हर कोई गोलमोल जवाब देकर इस बड़े खेल पर पर्दा डालने की कोशिश करता है।
एमसीआई से मान्यता एक सीट की, दाखिला दिया गया है तीन को
हासिल जानकारी के मुताबिक डीएम न्यूरोलाजी पाठ्यक्रम में साल 1979 में दो सीटों पर दाखिला शुरू हुआ था। साल 2003में सीट की संख्या घटाकर एक कर दी गई। साल 2006-2007में दाखिला हुआ ही नहीं। साल 2011 में फिर दो सीटों पर दाखिला शुरू हुआ। एमसीआई से मान्यता लेने के लिए बीएचयू ने कई बार प्रयास किया, लेकिन मानक पूरा न होने के कारण सफलता नहीं मिल सकी। इस विभाग के हेड रहे डा.वीएन मिश्र ने पुरानी डिग्रियों को मान्यता दिलाने के लिए एमसीआई से काफी दिनों तक पत्राचार किया और जरूरी अभिलेख भी मुहैया कराए। डा.मिश्र दावा करते हैं कि काफी जद्दोजहद के बाद एमसीआई ने 32 साल पुरानी डिग्रियों को मान्यता दे चुकी है। एमसीआई ने ताकीत किया था कि भविष्य में डीएम पाठ्यक्रम में मनमाने ढंग से प्रवेश कतई न लिया जाए। इससे उलट न्यूरोलाजी विभाग में मनमाने तरीके से दाखिले शुरू हो गए। सिलसिला आज तक जारी है।
मान्यता तीन सीटों की हैः प्रो.दीपिका
वाराणसी। एमसीआई की ओर से दिए गए जवाब में भले ही डीएम न्यूरो पाठ्यक्रम में एक सीट की मान्यता मिली है,लेकिन विभागाध्यक्ष डा.दीपिका जोशी का दावा उलटा है। इनका कहना है कि तीन सीटों पर एमसीआई की मान्यता मिली है। दो और सीटों पर मान्यता दिलाने के लिए एमसीआई को खत भेजा गया है। एमसीआई ने सिर्फ एक सीट पर ही मान्यता दी है,इस बारे में आरटीआई का दस्तावेज देखने के बाद ही कुछ कह पाएंगी।