कलम, कूची और कंठ की जादूगर डॉ. छवि ने रचा “मिराज, मृगतृष्णा, माया” का संसार

कलम, कूची और कंठ की जादूगर डॉ. छवि ने रचा “मिराज, मृगतृष्णा, माया” का संसार

0 चेन्नई की लेखिका डॉ. कालरा की पुस्तक का लोकार्पण, समारोह में शामिल हुई हस्तियां

विजय विनीत

चेन्नई शहर की चित्रकार, कवियत्री, लेखिका, सिंगर और रेकी ग्रैंड मास्टर डॉ. छवि कालरा से आप मिलेंगे, तो उनकी मुस्कान और आत्मीयता से आप तुरंत प्रभावित हो जाएंगे। मल्टी टैलेंटेड बूमेन डॉ. छवि के दिल में एक बड़ा इतिहास रचने की खदबदाहट है। जिस ऊंचाई पर वह आज खड़ी हैं, वहां पहुंचकर उन्होंने अपने लिए नहीं, दुनिया को बदलने के लिए बड़ा ख्वाब बुना है। शायद यही वजह है कि कुछ ही वर्षों में उन्हें अनेक पुरस्कारों से नवाज़ा गया। डॉ. छवि की पुस्तक “मिराज, मृगतृष्णा, मायाः आई एम क्रिएटिड टू क्रिएट” इन दिनों चर्चा में है। यह पुस्तक न केवल साहित्यिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसमें प्रस्तुत विचार और भावनाएं पाठकों के दिल और दिमाग पर गहरा प्रभाव छोड़ने में सक्षम हैं।

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डॉ. छवि कालरा ने 22 अगस्त 2024 को एक सादे समारोह में खुद अपनी पुस्तक “मिराज, मृगतृष्णा, मायाः आई एम क्रिएटिड टू क्रिएट” विमोचन किया। इस मौके पर उनके मित्र और परिवार के सदस्य मौजूद थे। मिराज, मृगतृष्णा, माया एक ऐसी कृति है, जिसमें डॉ. छवि कालरा ने जीवन के विभिन्न पहलुओं को सजीव रूप में प्रस्तुत किया है। पुस्तक का नाम ही इसकी गहराई और विविधता को दर्शाता है—’मिराज’ और ‘मृगतृष्णा’ जीवन के उन क्षणों की ओर संकेत करते हैं, जो हमें भ्रम में डालते हैं, और ‘माया’ उस संसारिक मोह-माया को रेखांकित करती है जो हर व्यक्ति को किसी न किसी रूप में बांधती है। “मिराज, मृगतृष्णा, मायाः के विमोचन के मौके पर दर्शकों ने उनसे सवाल किए और डॉ. छवि ने हर किसी का सधे अंदाज में जवाब दिया।

डॉ. छवि, “कला और साहित्य गढ़ा नहीं जाता, स्वतः अवतरित होता है। ईश्वर ने मुझे शक्ति दी। अपनी मधुर आवाज़ से हम दुनिया को रुबरु करने की कोशिश कर रहे हैं। अगर आपके अंदर आला दर्जे का ज्ञान और मंच पर मंत्रमुग्ध कर देने वाली दिव्य योग्यता मौजूद हो तो मंजिल तक पहुंचना आसान हो जाता है। संगीत और जीवन दो अलग-अलग चीज़े नहीं हैं। बस जरूरत होती है प्रवाह के साथ ढलने की। मेरे मन में किसी तरह की कोई सीमा नहीं है। स्वर और राग, कला और शब्द गढ़ती चली गई। दो बरस तक हमने बहुत मेहनत की और आज हमारी नई कृति “मिराज, मृगतृष्णा, माया” सबके सामने है।“

डॉ. छवि का कला संसार

डॉ. छवि कालरा की प्रतिभा को देखकर लगता है कि उन्हें इंसान ने नहीं, ईश्वर ने गढ़ा है। डॉ. छवि में समाज को एक अलग दृष्टिकोण से देखने की प्रतिभा जन्मजात थी। उन्होंने अपनी कलाकृति में एक नई शैली विकसित की। यही वजह है कि बिना किसी औपचारिक प्रशिक्षण के, उन्होंने तेल चित्रकला में महारत हासिल की और उनके काम को न केवल पुरस्कारों से नवाज़ा गया बल्कि मीडिया में भी सराहना मिली। इनमें से एक विशेष पेंटिंग, “अनाथ मातृत्व,” एक सच्ची घटना पर आधारित है, जिसने उन्हें गहराई से प्रभावित किया। यह पेंटिंग उस महिला की कहानी कहती है, जिसने गैंगरेप के बाद सड़क के किनारे एक बच्चे को जन्म दिया और एक रिक्शा चालक द्वारा सहानुभूतिपूर्वक ढके जाने की घटना को चित्रित करती है। यह पेंटिंग इंसानियत के गहरे एहसास को उजागर करती है और कला के माध्यम से समाज के अनकहे दर्द को सामने लाती है।

लॉकडाउन के कठिन समय में, जब दुनिया ठहर गई थी, डॉ. छवि ने खुद को प्रेरित किया और अपने भीतर की संवेदनाओं को शब्दों में ढालकर संगीत में पिरोया। उनके लिखे और गाए गए गीत “नज़र” और “जन्नत” ने न केवल दिलों को छुआ, बल्कि उन्हें अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भी पहचान दिलाई। इन गीतों ने उन्हें इंडिया सिने फिल्म फेस्टिवल और दुबई बिजनेस लीडरशिप अवार्ड्स में ‘बेस्ट मल्टी-टैलेंटेड आर्टिस्ट इन सिंगिंग एंड पेंटिंग’ का पुरस्कार दिलाया। इस कठिन दौर में, कला और संगीत उनके लिए एक ऐसी राह बन गए, जिसने न केवल उन्हें बल्कि दूसरों को भी संबल प्रदान किया।

डॉ. छवि के पियानो बजाने की कला से तो बहुत लोग परिचित हैं, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि उन्होंने सितार बजाने में भी विशेषता हासिल की है। उनकी संगीत यात्रा न केवल उनके आत्मिक संतुलन को दर्शाती है, बल्कि उनके रचनात्मक और आध्यात्मिक पक्ष को भी उजागर करती है।

बचपन से ही उन्हें ईश्वरीय शक्तियों का आशीर्वाद प्राप्त था, और आगे चलकर उन्होंने रेकी ग्रैंड मास्टर के रूप में इसे आत्मसात किया। इन दिव्य शक्तियों का उपयोग करते हुए, डॉ. छवि हीलिंग और परामर्श के माध्यम से न केवल खुद को शांति और संतोष प्रदान करती हैं, बल्कि दूसरों की मदद भी करती हैं। उनकी यह यात्रा कला और सेवा का एक ऐसा संगम है, जो लोगों को प्रेरित करने के साथ-साथ एक नए दृष्टिकोण से जीने का मार्ग भी दिखाती है।

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आभार: आत्म-साक्षात्कार की कुंजी

डॉ. छवि कालरा सिर्फ लेखक, कलाकार और सिंगर ही नहीं, जीवन के तत्व ज्ञान को वह जितना अच्छी तरह से समझती हैं, शायद ही कोई समझ पाता होगा। वह जिस किसी इंसान से कोई भी ज्ञान आर्जित करती हैं, आभार जरूर व्यक्त करती हैं। वह कहती हैं, “आभार, एक ऐसी भावना है जिसे अक्सर हम अनदेखा कर देते हैं, लेकिन इसकी ताकत हमारी जिंदगी को बदलने में अहम भूमिका निभाती है। आभार न केवल एक सकारात्मक सोच का प्रतीक है, बल्कि यह आत्म-साक्षात्कार की कुंजी भी है। जब हम आभार व्यक्त करते हैं, तो हम उन छोटी-छोटी खुशियों और उपकारों को पहचानते हैं, जो हमारे जीवन को समृद्ध बनाती हैं। यह हमें अपनी जिंदगी में अधिक संतोष और शांति प्राप्त करने में मदद करता है।”

“आत्म-साक्षात्कार का अर्थ है स्वयं के वास्तविक स्वरूप को पहचानना और स्वीकार करना। यह एक ऐसा मार्ग है जो हमें अपनी आत्मा के गहरे स्तर तक पहुंचने और हमारे अस्तित्व के मूल उद्देश्य को समझने में सहायता करता है। जब हम आभार व्यक्त करते हैं, तो हम अपने अस्तित्व के महत्व को पहचानते हैं। हम समझते हैं कि हर अनुभव, चाहे वह अच्छा हो या बुरा, हमारे विकास और प्रगति के लिए आवश्यक है। आभार हमें यह सिखाता है कि हम अपनी वर्तमान स्थिति में जो कुछ भी है, उसके लिए कृतज्ञ रहें। जब हम आभार व्यक्त करते हैं, तो यह हमें हमारी स्थिति और जीवन के प्रति एक सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने में मदद करता है।”

डॉ. छवि यह भी कहती हैं, “आभार हमें मानसिक और भावनात्मक रूप से अधिक सशक्त बनाता है, जिससे हम जीवन की चुनौतियों का सामना अधिक धैर्य और साहस के साथ कर पाते हैं। आभार की भावना हमें यह महसूस कराती है कि हम केवल अपनी परिस्थितियों का शिकार नहीं हैं, बल्कि हम अपने जीवन की कहानी के लेखक हैं। यह हमें यह सिखाता है कि कठिनाइयों के बावजूद, हमें अपनी यात्रा में जो मिला है, उसके लिए आभारी होना चाहिए। जब हम इस दृष्टिकोण को अपनाते हैं, तो आत्म-साक्षात्कार की दिशा में हमारे कदम मजबूत होते हैं। हम अपने जीवन के उद्देश्य को समझने लगते हैं और उसे पूर्ण करने के लिए प्रेरित होते हैं।”

डॉ. छवि की यह प्रेरक यात्रा हमें बताती है कि सच्ची प्रतिभा और सेवा का संगम न केवल व्यक्तिगत उन्नति का साधन है, बल्कि यह समाज के लिए एक बड़ी प्रेरणा भी बन सकता है। उनके जीवन का हर पहलू, चाहे वह कला हो, संगीत हो, या हीलिंग हो, एक ऐसी गहरी संवेदनशीलता को उजागर करता है, जो आज के समय में अत्यंत महत्वपूर्ण है।

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(लेखक विजय विनीत बनारस के वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक हैं)

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