बदलते दौर में संवैधानिक मूल्यों का प्रचार-प्रसार बेहद जरूरी: सुनील सहस्रबुद्धे

वाराणसी के भंदहांकला गांव में आयोजित होगा तीन दिवसीय संविधान उत्सव, चार दिवसीय संविधान प्रचारक प्रशिक्षण कार्यशाला में बालिकाओं को किया गया जागरूक
वाराणसी ! चौबेपुर क्षेत्र के सामाजिक संस्था आशा ट्रस्ट परिसर में आयोजित चार दिवसीय संविधान प्रचारक प्रशिक्षण कार्यशाला का रविवार को विधिवत समापन हुआ। इस प्रशिक्षण में देश के 7 राज्यों से आए 17 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया और सफलतापूर्वक प्रशिक्षण प्राप्त किया। समापन अवसर पर सभी प्रतिभागियों को सारनाथ स्थित धमेख स्तूप के निकट प्रमाण पत्र वितरित किए गए।

कार्यशाला के अंतिम सत्र में आशा ई-लाइब्रेरी और अध्ययन केंद्र की लगभग 60 छात्राओं को संविधान और उसके मूल्यों के प्रति जागरूक किया गया। रोचक गतिविधियाँ, गीत, खेल और संवाद के माध्यम से छात्राओं को संविधान की आवश्यकता, निर्माण प्रक्रिया और उसकी प्रमुख विशेषताओं के बारे में विस्तार से बताया गया। इस अवसर पर युवाओं को संविधान प्रचारक अभियान से जोड़ने का संकल्प भी लिया गया।
इस क्रम में निर्णय लिया गया कि आगामी नवम्बर माह में संविधान दिवस के अवसर पर भंदहांकला ग्राम में तीन दिवसीय संविधान उत्सव आयोजित किया जाएगा, जिसमें युवाओं को संविधान के प्रति संवेदनशील बनाने हेतु विभिन्न रचनात्मक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

कार्यक्रम के अध्यक्षीय उद्बोधन में वरिष्ठ गांधीवादी विचारक सुनील सहस्रबुद्धे ने प्रतिभागियों को शुभकामनाएँ देते हुए कहा, “आज के दौर में संवैधानिक मूल्यों के प्रचार-प्रसार की अत्यधिक आवश्यकता है। युवाओं को इस दिशा में जागरूक और सक्रिय होना चाहिए।”
इस कार्यक्रम में चित्रा सहस्रबुद्धे, नागेश जाधव, भारती खैरे, महेंद्र प्रसाद, वल्लभाचार्य पाण्डेय, राम जनम, डॉ. गिरिजा भास्कर शिंदे, नीतीश राज, प्रवीण कुमार, सुमेरा, बिक्रम झा, सारिका, विजय, आमेर, मिथिलेश दुबे, प्रीती, रमेश प्रसाद, बृजेश, दीन दयाल सिंह, प्रदीप सिंह और ज्योति सिंह सहित अनेक लोगों की सक्रिय सहभागिता रही।
यह कार्यशाला संवैधानिक चेतना के प्रसार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, जिससे आने वाले समय में सामाजिक न्याय, समानता और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा में युवा अपनी सकारात्मक भूमिका निभा सकें।