घर का जोगी-जोगड़ा, आन गांव का सिद्ध

घर का जोगी-जोगड़ा, आन गांव का सिद्ध

फोटो : बनारस के रामापुरा गलियों की देखिए हकीकत।

० संगीत के बनारस घराने को बड़ी पहचान देने वाले सिद्धपीठ रामापुरा की नहीं, सिर्फ कबीरचौरा की ब्रांडिंग

० दुनिया भर को दीवाना बनाने वाले रामापुरा के कलाकार अपने शहर में पहचान के लिए मोहताज

बनारस घराने के महान संगीतकारों की कर्मभूमि रामापुरा बदहाल है। इस मुहल्ले की जिन गलियों में तबला, वायलिन और सारंगी की तान गूंजती है उसमें कूड़े के ढेर और बजबजाती नालियों से बदबू का भभका उठता है। साथ ही दुनिया में नाम रौशन करने वाले कलाकारों के दिलों में उठता है बेहद पीड़ाकारी टीस। जानते हैं क्यों? बनारस घराने के इन दिग्गज कलाकारों को न नेता अहमियत देते हैं और न ही सरकारी मशीनरी। देश भर की चकाचौध सिर्फ कबीरचौरा के कलाकारों के घरों पर उतारी जा रही है। यहां कलाकारों के घरों पर चित्रकारी और सजावट देखकर कोई भी कह सकता है कि सिर्फ इसी मुहल्ले में विकास की गंगा बह रही है। रामापुरा तो पूरी तरह बदहाल है। कबीरचौरा के संगीतकारों से कमतर हुनर न रखने वाले रामापुरा के कलाकार पूरी तरह उपेक्षित हैं।

सिर्फ कबीरचौरा की ‘मार्केटिंग’, रामापुरा के कलाकारों को पीएम-सीएम जानते ही नहीं

बनारस के रामापुरा की गलियों की हकीकत तो देखिए

उत्तर भारत में वॉयलिन के जाने-माने कलाकार पंडित सुखदेव मिश्र इस बात से बेहद आहत हैं कि बदहाल और तंग गलियों में अपनी संगीत परंपरा को कितने दिन चला पाएंगे ? जगह-जगह गंदगी के ढेर और सड़ांध से बजबजाते उनके मुहल्ले आने के लिए विदेशी संगीत प्रेमी हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं। दुनिया भर के संगीत प्रेमी भले ही उनकी वायलिन के दीवाने हैं, लेकिन उनके साज की मोहक धुनों पर न अपने देश के नेता रीझ रहे हैं, न नौकरशाही। सारी खूबसूरती सिर्फ कबीरचौरा में उतारी जा रही है। रामापुरा वालों को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है। उनके आग्रह पर पद्मविभूषण पं. साजन मिश्र ने रामापुरा की तरक्की और कलाकारों को उचित फोरम व सम्मान दिलाने के लिए इलाकाई के विधायक का ध्यान खींचा, लेकिन उन्होंने उनकी पीड़ा पर मरहम लगाने की जरूरत नहीं समझी।

दुनिया के करीब दो दर्जन देशों में सारंगी की मोहक धुनों से लोगों को दीवाना बनाने वाले पं. संतोष कुमार मिश्र इस बात से आहत हैं कि नेता और अफसर उनके साथ अछूत की तरह बर्ताव करते आ रहे हैं। रामापुरा के अधिसंख्य कलाकार दुनिया भर के बड़े संगीत महोत्सवों में हिस्सा लेते रहे हैं, लेकिन अपने देश में उनकी ब्रांडिंग न होने के कारण हताश और निराश हैं। वे कबीरचौरा के कलाकारों के प्रभामंडल के साये में दबकर रहने के लिए अभिशप्त हैं। श्री मिश्र इस बात से भी आहत हैं कि इलाकाई नेताओं ने ही उन्हें तबज्जो नहीं दिया। इन्हें तो लगता है कि घर का जोगी-जोगड़ा, आन गांव का सिद्ध। ठुमरी सम्राट रहे पं. महादेव प्रसाद मिश्र के पुत्र सुपरिचित गायक पं. गणेश प्रसाद मिश्र कहते हैं कि अमेरिका जैसे देश के संगीतकार उनकी कला का लोहा मानते हैं, लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम योगी तक उनकी काबिलियत से अनजान हैं।

संगीत के धुनों के बीच कूड़े के ढेर और बजबजाती नालियों से उठता है बदबू का भभका

लक्सा इलाके के रामापुरा में सड़कें हर किसी को ठोकर मारती रहती हैं। कूड़े का अंबार और बदबू के चलते जो भी आता है भाग खड़ा होता है। इस मुहल्ले में कई तबेले हैं, जिससे लोगों का जीना दूभर है। स्ट्रीट लाइन रात में भले ही नहीं जलती, लेकिन दिन में उसकी रौशनी देखी जा सकती है। बनारस घराने के संगीत के नक्शे से नौकरशाही ने रामापुरा का नाम अब मिटा दिया है। कारण- अफसरों व नेताओं ने दुनिया भर में मशहूर कला साधकों के घरों पर जाने की जरूरत ही नहीं समझी। राजनीतिक दांव-पेच के हिसाब से आम आदमी की तरह इन्हें भी वोटबैंक के तराजू पर तौला जाता रहा है। रामापुरा के कलाकारों की खुद्दारी देखिए। वे कभी याचक नहीं बने। कबीरचौरा की चकाचौध भले ही उनके दिलों में चुभती है, लेकिन उन्होंने नेताओं और अफसरों का चारण नहीं किया। अपनी तरक्की और ब्रांडिंग के लिए भीख नहीं मांगी।

संगीतकारों की बात की जाए तो दुनिया भर में रामापुरा के कलाकारों की अलग पहचान रही है। भला कौन नहीं जानता कि ठुमरी सम्राट पं. महादेव प्रसाद मिश्र, तबला सम्राट पं. अनोखेलाल मिश्र, सुप्रसिद्ध सारंगी वादक पं. दाऊजी मिश्र और पं. नारायण मिश्र जैसे कला साधकों ने इसी मुहल्ले को अपनी साधना स्थली बनाया था। नई पीढ़ी इन विभूतियों की परंपरा को आगे बढ़ाने में रमी हुई हैं। मौजूदा समय में पं. ईश्वरलाल मिश्र, पं. सुरेंद्र मोहन मिश्र, पं. संतोष कुमार मिश्र, पं. गणेश प्रसाद मिश्र, पं. किशोर कुमार मिश्र, पं. सुखदेव मिश्र जैसे सुविख्यात कलाकार रामापुरा में रहकर अमेरिका, इंग्लैंड, आस्ट्रेलिया समेत तमाम देशों में अपनी शोहरत का झंडा बुलंद कर रहे हैं।

बनारस घराने के बड़े संगीतकारों की बात की जाए तो संतूर वादन से पूरी दुनिया में परचम लहराने वाले पद्मविभूषण पं. शिवकुमार शर्मा ने शुरुआती दौर में  रामापुरा के सिद्धपीठ से ठुमरी सम्राट पं. महादेव प्रसाद मिश्र से तबला वादन सीखा था। पं. मिश्र की परंपरा में गायिका स्व. पूर्णिमा चौधरी और वॉयलिन वादक पद्मभूषण डॉ. एन. राजम जैसे कलाकारों ने इसी मुहल्ले में रहकर दुनिया भर में धूम मचाई है।  पद्मभूषण पं. छन्नूलाल मिश्र आजमगढ़ के हरिहरपुर से बनारस आए तो रामापुरा ने ही उन्हें अलग पहचान दी। जाने-माने संगीतकार पं. गणेश प्रसाद मिश्र बताते हैं कि ‘मिश्रबंधु’ के नाम से सुविख्यात रहे पं. अमरनाथ मिश्र-पं. पशुपतिनाथ मिश्र पं. महादेव प्रसाद मिश्र के भाई गायक पं. बद्रीनाथ मिश्र के पुत्र थे। तीसरे भाई सितारवादक पं. शिवनाथ मिश्र भी दुनिया में किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। रामापुरा की मार्केटिंग न होने की वजह से ये संगीतकार अपने शहर में ही बेगानों की तरह जीने को अभिषप्त हैं।

रामापुरा के कुछ दिग्गज कलाकार

– स्व. पं. नाह्नकजी मिश्र (गायन) : पं. सुरेंद्र मोहन मिश्र (गायन), डॉ. रेवती साकलकर (गायन), डॉ. शारदा वेलंकर (गायन), महुआ बैनर्जी (गायन)।

– स्व. पं. महादेव प्रसाद मिश्र (ठुमरी सम्राट) : स्व. पूर्णिमा चौधरी (गायन), पद्मभूषण डॉ. एन. राजम (वॉयलिन), पद्मश्री कृष्णाराम चौधरी (शहनाई), पद्मभूषण प्रसन्ना (बांसुरी), पद्मविभूषण पं. शिवकुमार शर्मा (तबला, संतूर), स्व. अनंतलाल (शहनाई), पं. आनंद गोपाल बंदोपाध्याय (तबला), पं. गणेश प्रसाद मिश्र (गायन)।- स्व. पं. बद्रीनाथ मिश्र (गायन) : स्व. अमरनाथ मिश्र (गायन), स्व. पशुपतिनाथ मिश्र (गायन), शिवनाथ मिश्र (सितार), पं. बटुकनाथ मिश्र (सितार), पं. बलराम मिश्र (तबला), पं. कुबेरनाथ मिश्र, संजय मिश्र। – स्व. पं. दाऊजी मिश्र (सारंगी) : पं. ईश्वरलाल मिश्र (तबला), धनंजय मिश्र (तबला), आनंद मिश्र (सितार)।

– स्व. पं. अनोखेलाल मिश्र (तबला सम्राट) : स्व. रामजी मिश्र (तबला),काशीनाथ मिश्र (तबला), दीपक मिश्र (तबला), संजीव मिश्र (तबला), विजय मिश्र (सितार)।

– पं. शिवगुलाम मिश्र (सारंगी) : पं. वंशी मिश्र (सारंगी), पं. माधव प्रसाद मिश्र (सारंगी), पं. नरोत्तम मिश्र (सारंगी), पं. अच्छन मिश्र (सारंगी), पं. नारायण दास मिश्र (सारंगी), पं. भगवान दास मिश्र  (सारंगी), पं. मारकंडेय मिश्र (तबला), किशोर मिश्र (तबला), संतोष कुमार मिश्र (सारंगी), प्रमोद मिश्र (तबला), सोमनाथ मिश्र (गायन), सुखदेव मिश्र (वॉयलिन), संदीप मिश्र (सारंगी), संगीत मिश्र (सारंगी)।

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