हिडेन मैरिज : परंपरा की जंजीरों को तोड़ता प्रेम का अनकहा बंधन !

हिडेन मैरिज : परंपरा की जंजीरों को तोड़ता प्रेम का अनकहा बंधन !

समाज की नज़रों से छिपा, खामोशी में सांस लेता, गहरे प्यार से बुना एक अटूट रिश्ता

@विजय विनीत

आज के दौर में रिश्तों की परिभाषा और मान्यताएं निरंतर बदल रही हैं। कभी विवाह केवल सामाजिक, धार्मिक और पारिवारिक दायरे की कठोर दीवारों में बंधा एक अनुबंध माना जाता था। सात फेरे और परिवार-समाज की उपस्थिति में लिए गए वचन ही इसकी असली पहचान हुआ करते थे। समय की गति ने अब इस अवधारणा को धीरे-धीरे ढीला करना शुरू कर दिया है। आधुनिक जीवन ने विवाह को एक नया रूप दिया है और इन्हीं रूपों में एक है हिडेन मैरिज (Hidden Marriage)-अर्थात ऐसा वैवाहिक बंधन, जिसे समाज और परिवार की नज़रों से छुपाकर निभाया जाता है।

बहुत से लोग इसे संदेह की दृष्टि से देखते हैं। उनके लिए यह छल, धोखा या जिम्मेदारी से भागने का पर्याय हो सकता है। वास्तविकता यह है कि कई बार यह विवाह आत्म-सुरक्षा, स्वतंत्रता और निजता की रक्षा का साधन भी बनता है। यह केवल दो व्यक्तियों का निर्णय नहीं, बल्कि आधुनिक समाज की उस गहरी हकीकत का आईना है, जहां प्रेम को सात फेरों की औपचारिकता से कहीं अधिक “साथ चलने का संकल्प” माना जाने लगा है।

प्रश्न यह उठता है कि क्या हिडेन मैरिज केवल कुछ लोगों की निजी मजबूरी है या यह समाज में हो रहे किसी गहरे परिवर्तन का संकेत है? दरअसल, हिडेन मैरिज वह स्थिति है, जब विवाह तो कानूनी तरीके से पंजीकृत हो जाता है, लेकिन उसका सामाजिक ऐलान नहीं किया जाता। पति-पत्नी अपने रिश्ते को गुप्त रखते हैं और कई बार वर्षों तक परिवार या समाज को इसकी भनक तक नहीं लगने देते।

साथ चलने का बंधन

शादी का पारंपरिक स्वरूप हमेशा सात फेरों और सामाजिक स्वीकृति से जुड़ा रहा है। असलियत यह है कि विवाह का आधार केवल रस्मों और रीति-रिवाजों से नहीं बनता। उसका मूल आधार है-परस्पर विश्वास, समझ और सुख-दुख में साथ निभाने की भावना। कोई रिश्ता तभी टिकता है, जब दोनों व्यक्ति एक-दूसरे के सुख-दुख में बिना स्वार्थ के खड़े हों।

सात फेरे समाज की नजर में वैधता प्रदान करते हैं, लेकिन जीवन की राह पर चलने की सच्ची कसौटी तो वही है जब दो लोग हर परिस्थिति में साथ बने रहें। हिडेन मैरिज इसी विचार को पुष्ट करती है। यदि दो लोग ईमानदारी और निष्ठा से एक-दूसरे के साथ जीना चाहते हैं, तो उनका संबंध समाज की स्वीकृति के बिना भी कहीं अधिक मजबूत हो सकता है।

हिडेन मैरिज केवल व्यक्तिगत घटनाएं नहीं हैं, बल्कि ये समाज में बदलते मूल्यों और संघर्षों का प्रतिबिंब हैं। यह प्रवृत्ति दिखाती है कि युवा वर्ग पारंपरिक सामाजिक बंधनों से बाहर निकलकर अपनी पसंद और स्वतंत्रता को महत्व दे रहा है। हालांकि इसके नकारात्मक पक्ष भी हैं, लेकिन यह निश्चित रूप से एक सामाजिक बदलाव का संकेत है, जहां विवाह अब केवल सामाजिक संस्था नहीं बल्कि व्यक्तिगत चयन और आत्मनिर्णय का अधिकार बनता जा रहा है।

हेलो अंगूठी का जादू

हिडेन मैरिज ही नहीं, हिडेन सगाई भी होने लगी है। अनकहे बंधन के साथ हेलो सगाई की ‘हेलो रिंग’ पहनाई जाती है जो कथित पति-पत्नी दोनों ही अपने भीतर एक गहरा प्रतीकवाद समेटे हुए होते हैं। हिडेन मैरिज समाज की नज़रों से छुपा हुआ वह बंधन है जो बाहर से भले ही अनदेखा रह जाए, लेकिन भीतर से सबसे मज़बूत और सबसे सच्चा होता है वैसे ही छिपी हुई हेलो अंगूठी भी अपने अंदर वही रहस्य और वही चमक छुपाए रहती है।

हिडेन सगाई की हेलो रिंग सिर्फ़ आभूषण नहीं, बल्कि दो आत्माओं के बीच वादे और विश्वास की गवाही होती है। पारंपरिक डिज़ाइन ऊपर से चमकते रत्नों को दिखाते हैं, जबकि छिपा हुआ हेलो उस रिश्ते की तरह है जो दुनिया की नज़रों से परे है, लेकिन फिर भी भीतर से रोशनी बिखेरता है।

हिडेन मैरिज की तरह हेलो रिंग हमें याद दिलाता है कि हर रिश्ते की असली ताक़त बाहर की भव्यता में नहीं, बल्कि भीतर की सच्चाई और समर्पण में होती है। यह दोनों ही हमें यह सिखाते हैं कि कभी-कभी सबसे खूबसूरत बातें दुनिया को दिखाने के लिए नहीं, बल्कि दिल में महसूस करने के लिए होती हैं।

हिडेन मैरिज के कारण

नए दौर में लोग इस राह की ओर क्यों बढ़ते हैं? इसके पीछे अनेक सामाजिक और व्यक्तिगत वजहें होती हैं-

परिवार का दबाव : जाति, धर्म या सामाजिक स्तर के कारण परिवार अक्सर ऐसे रिश्तों को स्वीकार नहीं करता।

करियर और पहचान : खासकर फिल्म इंडस्ट्री, मीडिया या राजनीति जैसे क्षेत्रों में लोग अपने करियर को विवादों से बचाने के लिए विवाह छुपाते हैं।

आर्थिक स्वतंत्रता : कई बार शादी का खुलासा होते ही महिलाओं की स्वतंत्रता और करियर पर रोक लग जाती है।

व्यक्तिगत निजता (Privacy) : कुछ लोग मानते हैं कि निजी जीवन उनकी व्यक्तिगत सीमा है, जिसे समाज में प्रदर्शित करना आवश्यक नहीं।

सुरक्षा का प्रश्न : जातिगत हिंसा या ऑनर किलिंग जैसे खतरों से बचने के लिए भी लोग विवाह को गुप्त रखते हैं।

हिडेन मैरिज के फायदे

हिडेन मैरिज की राह कठिन है, फिर भी इसमें कई ऐसे पहलू हैं जो इसे सार्थक बनाते हैं-

निजता की सुरक्षा-यह जोड़े को समाज के अनावश्यक हस्तक्षेप और तानों से बचाती है। इसमें मुहब्बत सर्वोपरि होती है और दोनों पक्ष एक दूसरे पर हमेशा जान छिड़कते हें और समान रूप से भावनाओं, विचारों, मूल्यों की कद्र करते हैं।

रिश्ते पर ध्यान-जब शादी छुपी रहती है, तो दोनों का ध्यान केवल अपने संबंध की मजबूती पर केंद्रित होता है। सुख-दुख में दोनों पक्ष एक दूसरे का अधिक ध्यान रखते हैं।

करियर और स्वतंत्रता-युवा अपने सपनों और करियर पर बिना सामाजिक दबाव के आगे बढ़ सकते हैं।

आर्थिक स्थिरता का समय-कई जोड़े विवाह का खुलासा तब तक नहीं करते जब तक कि वे पूरी तरह आत्मनिर्भर न हो जाएं।

सुरक्षा कवच-जातिगत पूर्वाग्रह वाले समाज और उम्र में अधिक अंतर वाले लोगों के बीच हिडेन मैरिज सुरक्षा का कवच बनता है।

सच्चे रिश्ते की कसौटी-यदि बिना सामाजिक मान्यता के भी विवाह टिकता है तो यह प्रमाण है कि रिश्ता केवल दिखावे पर नहीं, बल्कि प्रेम और विश्वास पर आधारित है।

चुनौतियां और कठिनाइयां

1-हिडेन मैरिज के अपने संघर्ष भी हैं। कई बार कानूनी अड़चन मुश्किलें पैदा करती है तो मामले में समाज। वो समाज जो आर्थिक संबल तो देता नहीं, सिर्फ अड़चने पैदा करता है।

2-समाज से छुपाकर रिश्ता निभाना हमेशा तनाव और असुरक्षा की भावना पैदा करता है। इसकी वजह यह होती है कि अगर रिश्ता जग-जाहिर होता है तो ‘क्या कहेंगे लोग’ की धारणा सामाजिक तौर पर हौसलों को तोड़ती है।

3-भविष्य में बच्चों की परवरिश और परिवार से जुड़ी मुश्किलें सामने आ सकती हैं।

4-यदि विवाह कानूनी रूप से पंजीकृत न हो तो संपत्ति और अधिकारों से जुड़ी जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं।

समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण

समाजशास्त्र में विवाह केवल दो व्यक्तियों का निजी संबंध नहीं, बल्कि एक सामाजिक संस्था है। यह समाज के ढांचे और नियमों का हिस्सा है। हिडेन मैरिज उन मान्यताओं को चुनौती देती है जिनमें विवाह को सार्वजनिक और पारिवारिक स्वीकृति से जोड़कर देखा जाता है। विवाह समाज की स्थिरता और अगली पीढ़ी के निर्माण का आधार माना जाता है। हिडेन मैरिज इस परंपरागत ढांचे को चुनौती देती है।

संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory) जब जाति, धर्म, वर्ग या लैंगिक असमानता जैसे संघर्ष सामने आते हैं, तब हिडेन मैरिज प्रतिरोध का रूप लेती है। इस स्थिति में पति-पत्नी अपने संबंधों के प्रतीकों को सार्वजनिक नहीं करते, जिससे निजी स्वतंत्रता और सामाजिक पहचान के बीच तनाव स्पष्ट होता है।

कारणों की पुनरावृत्ति और गहराई

जातिगत और धार्मिक भेदभावअंतर्जातीय या अंतरधार्मिक विवाह का विरोध युवा पीढ़ी को विवाह छिपाने पर मजबूर करता है।

परिवार की असहमतिमाता-पिता की प्रतिष्ठा या कठोर विरोध विवाह को गुप्त रखता है।

करियर और शिक्षायुवा चाहते हैं कि विवाह उनके पेशेवर सपनों में बाधा न बने।

सामाजिक प्रतिष्ठा और इमेजखासकर पब्लिक फिगर विवाह छुपाकर अपनी छवि सुरक्षित रखते हैं।

कानूनी या सामाजिक बंधनतलाकशुदा या विधुर/विधवा समाज की निंदा से बचने के लिए विवाह छुपाते हैं।

केस स्टडी 1 : पत्रकार और चित्रकार का हिडेन बंधन

बनारस के एक चर्चित पत्रकार ने इलाहाबाद की एक महिला चित्रकार से गुप्त विवाह किया। दोनों शादी-शुदा और बाल-बच्चेदार थे। पत्रकार उम्र में बड़ा था जिसकी जाति अलग थी। लेकिन संबंध इतना गहरा था कि चित्रकार ने अपनी पहचान और अपने भविष्य को दांव पर लगाकर भी इस रिश्ते को निभाया। आजाद खयालों वाली महिला चित्रकार शिक्षिका थी। पत्रकार की दुर्घटनावश मृत्यु के बाद भी महिला ने संपत्ति पर कोई दावा नहीं किया। उसने अंत तक इस विवाह को निभाया, मानो प्रेम की गरिमा उसकी अंतिम सांस तक जीवित रही हो।

केस स्टडी 2 : मध्यमवर्गीय शहर का अनुभव

वाराणसी के एक निजी कॉलेज में पढ़ने वाले लड़के-लड़की ने कोर्ट मैरिज कर ली। लड़की के माता-पिता कट्टर जातिवादी थे। विवाह का रहस्य तब उजागर हुआ जब लड़की गर्भवती हो गई। यह घटना साफ दर्शाती है कि कैसे सामाजिक दबाव और जातीय पूर्वाग्रह युवा पीढ़ी को हिडेन मैरिज की ओर धकेलते हैं।

हिडेन मैरिज और सामाजिक बदलाव

पारंपरिक विवाह संस्था को चुनौतीअब विवाह केवल परिवार की मंजूरी से नहीं, बल्कि व्यक्तिगत इच्छा से तय हो रहा है।

व्यक्तिवाद का उभारयह प्रवृत्ति इस बात का प्रतीक है कि युवा अपनी शर्तों पर जीवन जीना चाहते हैं।

शहरीकरण और आधुनिकताबड़े शहरों में रिश्तों को निजी मामला मानने की प्रवृत्ति अधिक है।

नए सामाजिक मूल्यधीरे-धीरे समाज विवाह को निजी स्वतंत्रता का हिस्सा मानने लगा है।

ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संदर्भ

भारतीय संस्कृति में प्रेम और विवाह का रिश्ता हमेशा खुलेपन और छुपाव के बीच झूलता रहा है।

मीरा बाई का प्रेम उनका कृष्ण से आध्यात्मिक विवाह सामाजिक मान्यताओं से परे एक छुपा, किंतु अमर मिलन था।

मध्यकालीन विवाह राजघरानों और आमजनों के बीच गुप्त विवाह सत्ता और परंपरा के दबाव का परिणाम थे।

आधुनिक उदाहरण

1-फिल्म जगत में कई सेलिब्रिटी जैसे श्रीदेवी और बोनी कपूर ने वर्षों तक विवाह छुपाए रखा।

2-राखी सावंत की छुपी शादी ने मीडिया में बड़ी चर्चा पैदा की।

3-धर्मेंद्र और हेमा मालिनी ने पहले हिडेन मैरिज की। सालों बाद उन्होंने अपने रिश्तों को सामाजिक पहचान दी।

दरअसल, आम जीवन में भी अंतरधार्मिक या अंतर्जातीय विवाह करने वाले जोड़े अपने रिश्ते को छुपाने को मजबूर रहते हैं।

हिडन मैरिज और कानूनी विश्लेषण

बदलते समय में “हिडन मैरिज” यानी विवाह का सार्वजनिक उद्घोषण किए बिना, निजी दायरे में रहकर शादी करने की प्रवृत्ति बढ़ी है। यह प्रवृत्ति आधुनिक व्यक्तिवाद, निजता की आकांक्षा और सामाजिक दबाव से मुक्ति की चाह का संकेत है। दिलचस्प यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने हाल के वर्षों में दिए गए अपने कई महत्वपूर्ण फैसलों से इस प्रवृत्ति को अप्रत्यक्ष ही सही, वैधता और संवैधानिक सुरक्षा प्रदान की है।

साल 2017 के ऐतिहासिक पूत्तास्वामी बनाम संघ फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ कर दिया कि निजता (Privacy) संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का मौलिक हिस्सा है। न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ ने स्पष्ट कहा कि विवाह, प्रजनन, यौन पहचान और घरेलू जीवन निजता के दायरे में आते हैं। इसका सीधा अर्थ है कि यदि दो वयस्क विवाह करना चाहते हैं और उसे सार्वजनिक नहीं करना चाहते तो यह उनका संवैधानिक अधिकार है।

शफीन जहां मामला (2018) और शक्ति वहिनी बनाम भारत संघ (2018) में सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया कि साथी चुनने का अधिकार मौलिक स्वतंत्रता है। किसी भी व्यक्ति को-चाहे परिवार हो या समाज-इस अधिकार में हस्तक्षेप का कोई अधिकार नहीं है। अदालत ने यहां तक कहा कि “ऑनर किलिंग” जैसी प्रवृत्तियां कानून के राज के विपरीत हैं। इसका मतलब यह है कि अगर कोई विवाह गुप्त रखा जाता है तो भी वह कानून की दृष्टि में वैध है, बशर्ते वह कानूनी रूप से पंजीकृत या मान्य हो। यह निर्णय इस बात को और पुष्ट करता है कि विवाह चाहे गुप्त हो या सार्वजनिक, उसमें निजता का सम्मान सर्वोपरि है।

अन्य महत्वपूर्ण निर्णय

उज्जवल बनाम हरियाणा राज्य में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विवाह का साथी चुनना अनुच्छेद 21 के अंतर्गत मौलिक अधिकार है और समाज या नैतिक दबाव इस पर वरीयता नहीं पा सकते। वहीं, जोसेफ शाइन बनाम भारत संघ (2018) में व्यभिचार को अपराध की श्रेणी से हटाकर अदालत ने विवाह को साझेदारों की स्वायत्तता का संबंध बताया।

भारतीय न्यायपालिका ने विवाह को केवल सामाजिक संस्था मानने की बजाय व्यक्तिगत स्वतंत्रता और निजता का मामला माना है। “हिडन मैरिज” इसी स्वतंत्रता का आधुनिक रूप है। यह न केवल व्यक्तिगत अधिकारों का प्रयोग है बल्कि सामाजिक बदलाव का भी संकेत है, जहां वैवाहिक जीवन को पारिवारिक नियंत्रण से हटाकर व्यक्तिगत स्वायत्तता और संवैधानिक सुरक्षा से जोड़ा जा रहा है।

सुप्रीम कोर्ट का दृष्टिकोण यह साबित करता है कि हिडन मैरिज किसी सामाजिक विद्रोह से ज़्यादा एक संवैधानिक रूप से संरक्षित अधिकार है, जिसे समाज को धीरे-धीरे स्वीकार करना होगा। हिडेन मैरिज केवल व्यक्तिगत घटनाएं नहीं हैं, बल्कि समाज में बदलते मूल्यों और संघर्षों का प्रतीक हैं। यह दर्शाती है कि युवा अब पारंपरिक बंधनों से बाहर निकलकर प्रेम और स्वतंत्रता को महत्व दे रहे हैं।

शादी गुप्त हो या सार्वजनिक, उसका मूल आधार एक ही है- प्रेम, विश्वास और साथ निभाने की प्रतिबद्धता। यह प्रवृत्ति हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि विवाह का असली उद्देश्य क्या है-समाज के सामने रस्मों की नुमाइश करना या जीवन की हर कठिनाई में किसी का साथ पाना? सच यही है कि हिडेन मैरिज प्रेम का वह अनकहा बंधन है जो दिखावे से परे, केवल आत्मीयता और विश्वास की रोशनी में पनपता है।

(लेखक बनारस के वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक हैं)

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