मॉनसून में वायरल बीमारियों से बचाव के उपाय: जानिए कैसे रहें सुरक्षित

मॉनसून में वायरल बीमारियों से बचाव के उपाय: जानिए कैसे रहें सुरक्षित

बारिश का मौसम अपने साथ ताजगी और ठंडक के साथ-साथ कई बीमारियाँ भी लेकर आता है। डॉक्टरों का कहना है कि बारिश के चलते जलभराव और गंदगी से मच्छर और ख़तरनाक बैक्टीरिया पैदा होते हैं, जो पानी और हवा के माध्यम से हमारे शरीर में प्रवेश कर हमें बीमार कर देते हैं। लेकिन, अगर थोड़ी सावधानी बरती जाए तो इन बीमारियों से बचा जा सकता है।

मॉनसून में बीमारियों का खतरा

बारिश के मौसम में जगह-जगह जलभराव और गंदगी के कारण मच्छरों और बैक्टीरिया का प्रकोप बढ़ जाता है। ये बैक्टीरिया पानी और हवा के माध्यम से हमारे भोजन और शरीर में प्रवेश कर जाते हैं, जिससे बुखार, फ्लू और अन्य वायरल बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

वायरल बुखार के प्रकार

बनारस स्थित त्रिमूर्ति मल्टी सुपर स्पेशियलटी संस्थान के प्रबंध निदेशक डॉ. राममूर्ति सिंह के अनुसार, मॉनसून में वायरल बीमारियों को तीन मुख्य श्रेणियों में बांटा जा सकता है:

  1. वायरल बुखार: वातावरण में कीटाणुओं के बढ़ने से होने वाला बुखार।
  2. फ्लू: सामान्य सर्दी-जुकाम और बुखार का रूप।
  3. डेंगू और चिकनगुनिया: मच्छरों के काटने से फैलने वाली बीमारियाँ।

वायरल बुखार के लक्षण

वायरल बुखार के लक्षण वायरस के प्रकार पर निर्भर करते हैं। इसमें आमतौर पर बुखार, खांसी और जोड़ों में दर्द शामिल हो सकते हैं। हालांकि, यह फ्लू, डेंगू या चिकनगुनिया से अलग होते हैं। बुखार तीन से सात दिनों तक रह सकता है और इसकी अवधि वायरस पर निर्भर करती है।

बनारस के त्रिमूर्ति मल्टी सुपर स्पेशियलटी संस्थान के प्रबंध निदेशक डा. राममूर्ति सिंह

सावधानी और बचाव के उपाय

डॉ. राममूर्ति सिंह के अनुसार, साफ-सफाई और सतर्कता ही मॉनसून में बीमारियों से बचने का सबसे अच्छा तरीका है। यहां कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं:

1. हाथ धोना

खाने से पहले और किसी भी कार्य के बाद हाथ धोना बेहद महत्वपूर्ण है। यह एक सरल उपाय है, लेकिन इससे बीमारियों का खतरा काफी हद तक कम हो सकता है।

2. ताज़ा और पौष्टिक आहार

अपने भोजन में ताज़ा फल और सब्जियों को शामिल करें। बाहर के खाने से बचें और बासी भोजन का सेवन न करें। अच्छा आहार आपकी प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाता है।

3. स्वच्छता बनाए रखें

अपने घर और आसपास के क्षेत्र को साफ-सुथरा रखें। पानी का जमाव न होने दें क्योंकि यह मच्छरों के प्रजनन का स्थल बन सकता है। कीटनाशक का उपयोग करें और नियमित रूप से सफाई करें।

4. मच्छरों से बचाव

मच्छरों से बचाव के लिए मच्छरदानी का उपयोग करें। पूरी आस्तीन के कपड़े पहनें और मच्छर भगाने वाले रासायनिक उत्पादों का इस्तेमाल करें।

5. हाइड्रेटेड रहें

मॉनसून में पर्याप्त मात्रा में पानी पीते रहें। यह आपके शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है और आपके स्वास्थ्य को बनाए रखता है।

विशेषज्ञ की सलाह

अगर आपको बुखार या फ्लू जैसे लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। खुद से इलाज करने की बजाय विशेषज्ञ की सलाह लेना बेहतर होता है।

निष्कर्ष

मॉनसून का मौसम कई प्रकार की बीमारियों को साथ लाता है, लेकिन थोड़ी सी सावधानी और स्वच्छता से इनसे बचा जा सकता है। अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें और डॉक्टर की सलाह का पालन करें। स्वस्थ रहें, सुरक्षित रहें।

अतिरिक्त सावधानियां: फ्लू और स्वाइन फ्लू

इस समय सबसे ज़्यादा फ़्लू देखने को मिलता है, जिसे इंफ़्लूएंज़ा भी कहते हैं। इसी दौरान स्वाइन फ़्लू भी फैलता है। यह फ़्लू का ही एक प्रकार है लेकिन यह ज़्यादा घातक होता है। जांच के बाद ही पता चल पाता है कि कॉमन फ़्लू है या स्वाइन फ़्लू। इसमें जुकाम, खांसी होती है, तेज़ बुख़ार आता है और जोड़ों में दर्द होता है। इसमें सांस की मशीनों की भी ज़रूरत पड़ जाती है। ज्यादातर लोग जुकाम और गले की परेशानियों को लेकर आते हैं जो कॉमन फ़्लू के भी लक्षण होते हैं। कॉमन फ़्लू पांच से सात दिनों तक रहता है। दवाई लेने के बाद भी ठीक होने में इतना समय लग जाता है। जुकाम, खांसी ठीक होने में 10 से 15 दिन भी लग जाते हैं। स्वाइन फ़्लू का बुख़ार भी इतने दिन चलता है लेकिन इसके निमोनिया बनने का ख़तरा रहता है।

वैक्सीन और बचाव के तरीके

डॉ. राममूर्ति सिंह कहते हैं कि फ़्लू से बचाव के लिए वैक्सीन लगवा सकते हैं। जैसे कि ये बीमारियां हर साल आती हैं तो वैक्सीन लगवाकर आप इससे बच सकते हैं। वैक्सीन के बावजूद भी अगर फ़्लू होता है तो उसका असर कम होता है। इसके अलावा इन दिनों में भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बच सकते हैं। ऐसी जगहों पर बीमार व्यक्ति के खांसने या छींकने से दूसरे लोग संक्रमित हो सकते हैं।

चिकनगुनिया और डेंगू से बचाव

चिकनगुनिया और डेंगू भी वायरस से होने वाली बीमारियां हैं, लेकिन ये वेक्टर बॉर्न डिज़ीज हैं जो मच्छर के काटने से होती हैं। इसमें जोड़ों में दर्द के साथ तेज़ बुखार आता है। साथ ही उल्टियां और सिरदर्द होता है। डेंगू में शुरुआत में तेज बुख़ार आता है। सिरदर्द और आंखों के पीछे दर्द महसूस होता है। चिकनगुनिया में जोड़ों में दर्द ज़्यादा तेज होता है लेकिन दोनों में ही शुरुआती दो या तीन दिन काफ़ी तेज बुखार रहता है। डेंगू में प्लेटलेट्स कम होने के कारण शरीर पर चकत्ते हो जाते हैं, जिन्हें रेशेज़ कहते हैं।

बचाव के उपाय

चिकनगुनिया और डेंगू के लिए भारत में कोई वैक्सीन नहीं है। विदेश में डेंगू के लिए वैक्सीन पर ट्रायल चल रहा है। घरों को साफ़ रखें, कूलर, चिड़िया के बर्तन, गड्ढे, गमलों और टायर आदि में ज़्यादा दिनों तक पानी न इकट्ठा होने दें। इनमें मच्छर पनपने लगते हैं। पूरी बाजू के कपड़े पहनें। खासतौर पर बच्चों के लिए इस बात का ध्यान रखें।

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