फूलन की तरह बीहड़ों से निकलकर नेता बनीं थी बासमती
सामंतों के जुल्म का बदला लेने के लिए उठाया था हथियार, बन गई थी नक्सली कमांडर
विजय विनीत
बेइंतहां जुल्म और ज्यादती झेलने के बाद जरायम की दुनिया में यूपी की जिन दो महिलाओं ने कदम रखा उनमें एक थीं फूलन देवी और दूसरी चंदौली के नौगढ़ की बासमती कोल। डकैत से सांसद बनीं फूलन का कत्ल 17 साल पहले हुआ और बासमती का साल 2018 में 11 मई को। फूलन देवी को दुनिया जानती है, लेकिन नक्सली कमांडर से नेता बनी बासमती कोल से कम लोग ही वाकिफ हैं। फूलन मल्लाह के घर जन्मी थी और बासमती का जुड़ाव कोल समाज से था। दोनों महिलाओं ने सामंतों का बेइंतहां जुल्म झेला। बागी बनीं और ज्यादती के खिलाफ बंदूक उठाई। डाकू बनने के बाद फूलन ने अपने दुश्मनों से चुन-चुनकर बदला लिया। कुछ इसी तरह की कहानी बासमती कोल ने भी दुहराई।
चंदौली जिले के नौगढ़ इलाके के सामंतों ने बासमती कोल के भाई देवनाथ और लालब्रत पर बेइंतहां जुल्म ढाया। प्रताड़ना और कष्ट झेलने के बाद बासमती ने अपने भाइयों का साथ दिया और नक्सलियों का एक गिरोह खड़ा कर लिया। नौगढ़ प्रखंड में नक्सली गिरोह एमसीसी की कमांडर बन गईं। एक जमाने में यूपी ही नहीं, बिहार तक के सामंत बासमती कोल से थर्राते थे। उसने भी जुल्म और ज्यादती की पटकथा लिखने वाले सामंतों से चुन-चुनकर बदला लिया।
दस्यु सुंदरी फूलन की तरह बासमती का भी हुआ दुखद अंत
नौगढ़ इलाके में बासमती को गरीबों का पैरोकार समझा जाता था। जिस तरह दस्यु सुंदरी फूलन ने आत्मसमर्पण कर जरायम की दुनिया को छोड़ दिया था, उसी तरह का कदम बासमती ने भी उठाया था। यूपी सरकार की अपील पर साल 1998 में बासमती कोल ने पुलिस अफसरों के सामने खुद को सरेंडर किया और समाज की मुख्य धारा से जुड़ गईं। साल 2001 में क्षेत्र पंचायत सदस्य का चुनाव जीतने के साथ ही ब्लॉक प्रमुख चुन ली गईं। साल 2001 से लेकर 2005 तक उन्होंने यूपी के सर्वाधिक पिछले और सुदूरवर्ती नौगढ़ प्रखंड के ब्लॉक प्रमुख पद का कार्यभार संभाला।
भला कौन नहीं जानता कि दस्यु सुंदरी फूलन देवी को संसद तक पहुंचाया था समाजवादी नेता मुलायम सिंह यादव ने। उन्होंने फूलन को टिकट दिया। चुनाव लड़ाया और सत्ता के सबसे बड़े गलियारे में पहुंचाया। साल 2005 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव नौगढ़ आए तो उन्हें बासमती कोल के संघर्षों की जानकारी मिली। नेताजी ने जनसभा दौरान ब्लाक प्रमुख बासमती कोल को मंच पर बुलाया और उन्हें अपनी दत्तक पुत्री घोषित किया। साथ ही उन्हें समाजवादी पार्टी में शामिल कर लिया। वक्त कोई भी रहा हो, मुलायम ने हर समय बासमती का साथ दिया। बेटी माना तो निभाया भी। साल 2012 में सपा की सरकार बनी तो मुलायम सिंह यादव ने अपने मुख्यमंत्री बेटे अखिलेश यादव को निर्देश देकर बासमती कोल को महिला आयोग का सदस्य बनवा दिया।
सौतन को डोली में बैैैैठाकर भेजा था अपने पिया के घर
फूलन की तरह बासमती की जिंदगी झंझावतों से भरी थी। उनकी शादी भी कम उम्र में हुई थी। अंतर सिर्फ इतना है कि पति ने फूलन को छोड़ा और बासमती ने सामंतों से बदला लेने के लिए अपने पति को। नौगढ़ के चकरघट्टा इलाके के मझगांवा निवासी मुराहू कोल की तीन बेटियों में बासमती सबसे बड़ी थीं। उसकी शादी मझगाईं गांव के राजकुमार कोल के साथ छोटी उम्र में हो गई थी। शादी के कुछ सालों बाद बासमती का पति से अनबन हो गया। वह मायके में रहने लगीं। सामंतों ने बासमती के भाई देवनाथ और लालब्रत पर जुल्म का पहाड़ तोड़ा उन्होंने भाइयों के साथ मिलकर लड़ने हौसला दिखाया। बंदूक उठा लिया। नौगढ़ के बीहड़ों में एमसीसी के नक्सलियों के एक बड़े गिरोह की अगुवाई करने लगी।
बासमती कोल यूपी में तब सुर्खियों में आईं जब साल 2004 में ब्लॉक प्रमुख पद पर रहते हुए अपने पति के लिए लड़की ढूंढा और उसकी शादी कराई। बासमती की ससुराल मझगाई में थी। अपने पति राजकुमार को लेहड़ा गांव की सुनीता के साथ नेह बंधन में जोड़ा। उन्होंने खुद अपनी सौतन को डोली में बैठाकर पति के साथ ससुराल भेजा। बासमती ने अपने पति की दूसरी शादी उस स्थिति में कराई जब राजकुमार से उसके दो बेटे लवकुश और राहुल जन्म ले चुके थे। वह कभी अपने बेटों से दूर नहीं रहीं। गाहे-बगाहे वह उनसे मिलने जाती रहीं। साथ ही पूर्व पति राजकुमार के हर दुख-सुख में शामिल होती रहीं।
बासमती कोल फिलहाल जयमोहनी रेंज के पथरकटिया जंगल में रिहायशी मड़ई बनाकर रह रही थीं। गांव के ही काशीनाथ कोल से उसके गहरे संबंध बन गए थे। पिछले 13 सालों से वह उन्हीं के साथ रह रहा था। बासमती ने ही इसे शिक्षामित्र बनवाया। बाद में उसने नौकरी छोड़ दी और उनके पैसों पर ऐश करने लगा। पुलिस बताती है कि काशी प्रायः रोजाना शराब पीकर बासमती को मारता-पीटता था। 50 वर्षीय बासमती उम्र से उस पड़ाव पर पहुंच गई थी जहां से वह न अपने मायके जा सकती थी और न अपने पूर्व पति के घर। इसी बात का फायदा उठा रहा था उसका मनबढ़ प्रेमी काशीनाथ। उसने अपनी पत्नी उर्मिला और चार बच्चों अरूणिमा, अविनाश, स्वर्णिमा व संपूर्णानंद को भगवान भरोसे छोड़ दिया था। 11 मई की रात पैसों को लेकर दोनों में विवाद हुआ। काशीनाथ ने लाठियों से उसका सिर फाड़ दिया। उपचार के दौरान चकिया के सरकारी अस्पताल में बासमती की मौत हो गई। दस्यु सुंदरी से सांसद बनी फूलन देवी की तरह ही नक्सली कमांडर से ब्लाक प्रमुख व उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की सदस्य बनी बासमती कोल का दुखद अंत हो गया।