भाव और भावुकता की कहानियां…!

भाव और भावुकता की कहानियां…!

समीक्षा: “मैं इश्क लिखूं, तुम बनारस समझना”

#लेखक: विजय विनीत

@ पंकज सक्सेना, रिटायर्ड पब्लिक रिलेशन ऑफिसर एनटीपीसी

बनारस के वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक श्री विजय विनीत जी का कहानी संग्रह “मैं इश्क लिखूं, तुम बनारस समझना” भाव और भावुकता का अद्भुत संगम है, जो पाठकों को गहरे जज्बातों की दुनिया में ले जाता है। यह संग्रह सिर्फ कहानियों का समूह नहीं, बल्कि उन भावों का प्रतीक है, जो बनारस जैसे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध शहर के जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं। लेखक ने अपनी लेखनी से उन भावनाओं को बखूबी उकेरा है, जो प्रेम, त्याग, और रिश्तों, जिम्मेदारियों के साथ-साथ जीवन के विभिन्न पहलुओं से गहराई से जुड़े हुए हैं।

इस संग्रह की सबसे बड़ी खूबी इसकी गहरी भावुकता और मानवीय संवेदनाओं का सूक्ष्म चित्रण है। पाठक हर कहानी में उन भावनाओं को महसूस करता है, जो प्रेम, विश्वास, अविश्वास, और जीवन के संघर्षों के बीच निरंतर बहती रहती हैं। यहां इश्क सिर्फ एक रिश्ते तक सीमित नहीं, बल्कि एक ऐसी भावना है, जो जीवन की हर छोटी-बड़ी अनुभूति को घेर लेती है। प्रेम, जहां एक ओर मोहब्बत की मिठास है, वहीं दूसरी ओर अविश्वास और बिछड़ने का दर्द भी है।

संग्रह में त्याग की भावना भी बार-बार उभरकर सामने आती है। प्रेम और जिम्मेदारियों के बीच झूलते पात्रों की भावनाएं यह बताती हैं कि कभी-कभी इंसान को अपने जज्बातों को पीछे छोड़कर अपने कर्तव्यों की ओर ध्यान देना पड़ता है। इसमें मोहब्बत के साथ-साथ वह दर्द भी है, जो रिश्तों की जटिलताओं में छिपा रहता है।

इंसानी रिश्तों की नाजुकता और उनकी जटिलताएं इस संग्रह के केंद्र में हैं। हर भावना, चाहे वह प्रेम हो, या किसी के प्रति निष्ठा, उसमें एक गहरी भावुकता छिपी है। लेखक ने बड़ी सूक्ष्मता से यह दिखाया है कि रिश्तों में न सिर्फ प्यार और मोहब्बत होती है, बल्कि कई बार त्याग, दर्द, और कुर्बानी भी देनी पड़ती है। “मैं इश्क लिखूं, तुम बनारस समझना” उन भावनाओं को उजागर करता है, जो किसी के दिल में धीरे-धीरे घर कर जाती हैं और पूरी जिंदगी उस व्यक्ति को प्रभावित करती हैं।

सादगी और गहराई से भरी भाषा विजय विनीत की कहानियों की एक और विशेषता है। लेखक ने भावनाओं को व्यक्त करने के लिए सरल शब्दों का प्रयोग किया है, लेकिन उन शब्दों में इतनी गहराई है कि वे सीधे दिल को छूते हैं। बिना किसी भव्यता के, भावनाओं की सादगी और उनके भीतर छिपी संवेदनशीलता कहानियों को और भी खास बना देती है।

यह कहानी संग्रह “मैं इश्क लिखूं,तुम बनारस समझना”उन लोगों के लिए है, जो मानवीय भावनाओं की गहराई को समझते हैं और उनके विभिन्न रूपों को महसूस करना चाहते हैं। इसमें प्रेम, त्याग, विश्वास, और इंसानियत की भावना का खूबसूरत मिश्रण है, जो पाठक के मन में एक गहरा प्रभाव छोड़ता है।

“मैं इश्क लिखूं, तुम बनारस समझना” सिर्फ कहानियों का संग्रह नहीं, बल्कि जीवन के जटिल भावों और अनुभवों का प्रतीक है। इस कहानी संग्रह की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इस संग्रह की सभी कहानियों में ‘नायक’ खुद लेखक है। कोई भी कहानी पढ़ेंगे तो लगेगा कि आप परदे पर कोई फिल्म देख रहे हैं…!

पंकज सक्सेना, रिटायर्ड पब्लिक रिलेशन ऑफिसर एनटीपीसी

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