काशी में अपनी लोकेशन भी बताएगी शराब
शराब की बोतलों पर होगी बार कोडिंग, हो सकेगी असानी से पहचान
अभिवन प्रयोग
नकली शराब की बिक्री पर लगेगी लगाम, बढ़ेगा सरकारी राजस्व
शराब के दीवानों के लिए गुड न्यूज। काशी में नकली शराब की बिक्री नहीं हो सकेगी। वित्तीय वर्ष 2018-19 में जो शराब सरकारी ठेकों से बेची जाएगी उसपर बार कोड दर्ज होगा। होलोग्राम की बजाए, बोतलों पर बारकोड के साथ ही क्यूआर कोड डालकर बेचा जाएगा। दोनों कोड शराब का पता बताएंगे। साथ ही यह पहचान कराएंगे कि बोतल में बंद शराब किस फैक्ट्री में बनी है और उसकी गुणवत्ता क्या है?
जी हां! यूपी सरकार शराब माफिया गिरोहों की कमर तोड़ने में जुटी है। पहले ई-लाटरी के जरिए ठेका और अब थ्रीडी बारकोड वाली शराब की सप्लाई होगी। कम्प्यूटराइज्ड बार कोड को स्कैन करने के बाद ही बोतल की बिक्री की जाएगी। यूपी में पहली बार यह अभिनव प्रयोग किया जाएगा।
प्रदेश में पहले बोतलों पर जाली होलोग्राम चिपकाकर नकली शराब धड़ल्ले से बेची जाती थी। मदिरा प्रेमी समझ भी नहीं पाते थे कि शराब असली है अथवा नकली? अब फैक्ट्री में शराब की बोतलों पर थ्रीडी बारकोडिंग कर दी जाएगी। मोबाइल पर बारकोड एप लोड करके शराब की गुणवत्ता से लेकर उसका इतिहास खंगाला जा सकेगा। साथ ही यह भी पता किया जा सकेगा कि बोतल समेत शराब की कीमत कितनी है। मोबाइल पर बार कोड स्कैन करते ही साफ-साफ पता चल जाएगा कि शराब असली है अथवा नकली। शराब बनाने की तिथि से लेकर उसके निष्प्रयोज्य होने की तारीख का ब्योरा मिल जाएगा।
आधिकारिक जानकारी के मुताबिक आबकारी निदेशालय ने गहन मंथन करने के बाद नकली शराब की बिक्री पर अंकुश लगाने का सख्त निर्णय लिया है। बारकोडिंग के जरिए आबकारी विभाग के अधिकारी यह जान सकेंगे कि किस दुकान में असली शराब का कितना स्टाक है।
अब शराब तस्करों का तिलस्म तोड़ने में जुटा आबकारी महकमा
यूपी की प्रमुख सचिव (आबकारी) कल्पना अवस्थी के मुताबिक प्रदेश में अब शराब की बोतलों पर बारकोड के साथ ही क्यूआर कोड भी नजर आएगा। इसका मकसद शराब की सही कीमत और वैध शराब की पहचान कराना है। इससे न केवल होलोग्राम के डुप्लीकेट होने की समस्या दूर होगी, बल्कि ग्राहकों को भी बोतल की सही कीमत की जानकारी मिल सकेगी। शीघ्र ही बारकोड व क्यूआर कोड की रीडिंग के लिए मोबाइल एप भी बनाया जाएगा। फिलहाल मोबाइल फोन के समान्य बारकोड स्केनर के जरिए ग्राहक खुद भी शराब के बारे में जानकारी हासिल कर सकेंगे। बनारस समेत समूचे यूपी में शराब बेचने से पहले बार कोड को स्कैन करना अनिवार्य होगा। इस आदेश की अवहेलना करने पर दुकानदार का लाइलेंस निरस्त कर दिया जाएगा।
वाराणसी के जिला आबकारी अधिकारी करुणेंद्र सिंह ने बताया कि प्रदेश में अभी शराब की वैध बोतलों की पहचान के लिए होलोग्राम लगाए जाते थे। होलोग्राम बनाने के लिए बकायदा टेंडर निकाले जाते थे। अब नए वित्तीय वर्ष में होलोग्राम प्रणाली को प्रतिबंधित कर दिया गया है। शराब की बोतलों पर बारकोड दर्ज करने के निर्देश शासन स्तर पर दिए गए हैं। आबकारी विभाग ने शराब निर्माता कंपनियों को इस बारे में गाइड लाइन जारी कर दी है।
दरअसल, बारकोड प्रणाली पड़ोसी राज्यों में पहले से ही लागू है। इससे वहां के आबकारी महकमे के पास शराब के स्टाक आदि का पूरा ब्योरा रहता है। शराब की कीमतों को लेकर ठेकों पर लड़ाई नहीं होती। बारकोड को स्कैन करने के बाद ही शराब की बोतल की बिक्री से इसकी तस्करी रुकेगी। साथ ही अवैध शराब की बिक्री करने वालों पर शिकंजा कसेगा। इसके अलावा विभाग को यह जानने में आसानी होगी कि शराब की बोतल का मैनुफैक्चरर कौन है? किस तिथि में होलसेलर से लेकर कस्टमर शराब की बोतल पहुंची? किन दरों से पहुंची? यह सब कोड को स्कैन करने से पता चल जाएगा। दीगर बात है कि इस व्यवस्था को लागू करने में आबकारी विभाग के अफसरों के पसीने छूट रहे हैं।
2014 से शुरू हुई थी होलोग्राम प्रणाली
शासन ने 2014 की एक्साइज पॉलिसी में होलोग्राम के के प्रयोग को हरी झंडी दी थी।
ठेकेदारों को हिदायत दी गई थी कि केवल होलोग्राम वाली शराब की बोतलों की सेल ही सूबे में होनी चाहिए।
डिपार्टमेंट के सामने ऐसी शिकायतें आ रही थीं कि कागज के होलोग्राम को आसानी से एक बोतल से दूसरी बोतल पर चिपकाया जा रहा है।
अब नए बारकोड नुमा होलोग्राम लांच किए जाने की तैयारी की गई है।
नकली शराब का बड़ा है खेल
समूचे यूपी में नकली शराब का खेल धड़ल्ले से होता रहा है। नकली शराब बनाकर लाइसेंसी ठेकों पर उन्हें बेचा जाता रहा है। बनारस सहित पूर्वांचल में लाइसेंसी दुकानों पर बीयर, देसी व अंग्रेजी शराब की डुप्लीकेट ब्रांड बेची जाती रही है। धरपकड़ में कई बार इस बात का खुलासा हो चुका है। होलोग्राम के बजाय अब बार कोड से असली व नकली के बीच का फर्क समझना और शराब की ट्रैकिंग करना बेहद आसान होगा।