जेल जाने का डर, पर जमीन कब्जाने का नहीं

जेल जाने का डर, पर जमीन कब्जाने का नहीं

 

मनबढ़ अतिक्रमणकारियों ने बढ़ाई जेल प्रशासन की मुश्किल

‘ जब नींद खुली तो लुट चुका था कारवां ‘ यह लाइन वाराणसी जिला जेल प्रशासन पर एकदम सटीक बैठती है। दरअसल, कैदियों को रखकर उन्हें अनुशासन का पाठ पढ़ाने वाले इस विभाग की अपनी ही जमीन सुरक्षित नहीं है। हुकुलगंज मार्ग पर खाली पड़ी जिला जेल की जमीन पर आउट साइडरों की काली निगाह गड़ चुकी है। जहां धीरे- धीरे बाहरी तत्वों का कब्जा होता चला जा रहा है।

कई हेक्टेयर में फैले इस जमीन पर एक मल्टी लेवल बैरक बनाने की योजना है, इसकी घोषणा दस महीने पहले सीएम योगी की सरकार ने की थी। लम्बा समय गुजर गया फिर भी यह योजना फाइलों से बाहर नहीं निकल पायी। लिहाजा इसका फायदा बाहरी तत्वों को मिल रहा है। आलम यह है कि आस पास रहने वाले लोगों ने जिला जेल की जमीन पर अपने मकान का दायरा बढ़ाना शुरु कर लिया है। जो बाहर से कई फीट तक अंदर आ चुके है। इतना ही नहीं, हुकुलगंज- पाण्डेयपुर मार्ग पर जेल की खाली पड़ी जमीन को लोगों ने चारागाह भी बना लिया है, जो सुरक्षा की दृष्टि से काफी अहम है।

कुछ लोगों द्वारा जेल की जमीन पर कब्जा करने की सूचना पर पिछले दिनों अपर नगर मजिस्ट्रेट के नेतृत्व में एक टीम ने वहां पैमाइश करने पहुंची थी। वहां पाया कि गंदे पानी की निकासी की व्यवस्था न होने से बड़े हिस्से में पानी जमा है। इसके अलावा 15 ट्रक से ज्यादा कूडा भी डंप है। इसे साफ करने के लिए नगर निगम से सहयोग भी मांगा गया था। इसी जगह नई बैरक बनाने की योजना बनाई गयी थी। लेकिन कुछ दिनों बाद सारा मामला ठन्डा हो गया। इसके बाद किसी ने भी इस जमीन पर झांकने की भी जहमत नहीं उठाई।

क्षमता से ज्यादा बंद है कैदी

 

जिला जेल में कैदियों को रखने की कम क्षमता का मुद्दा कई बार उठाया जा चुका है। यहां तक मानवाधिकार आयोग ने भी स्थानीय प्रशासन से इस बाबत रिपोर्ट मांगा था। सूत्रों की माने तो यहां करीब 900 बंदियों के रहने की क्षमता है जबकि इस समय 1890 से ज्यादा बंदी हैं। बंदियों की संख्या दोगुना होने को देखते हुए जेल प्रशासन ने दो साल पहले ही सपा के कार्यकाल में बैरकों की संख्या बढ़ाने का प्रस्ताव मुख्यालय को भेजा था।

मल्टी स्टोरी बैरक का प्लान

कैदियों को रखने की क्षमता के अनुरुप बैरक की संख्या बढ़ाने के लिए जिला जेल को दूसरे स्थान पर शिफ्ट करने की योजना थी। किन्तु लैंड के अभाव में तत्कालीन सपा शासनकाल में संभव नहीं हो सका। लिहाजा, हुकुलगंज- पाण्डेयपुर मार्ग पर जिला जेल की खाली पड़ी जमीन पर मल्टी स्टोरी बैरक बनाने पर सहमति बन गयी।   यहां आधुनिक मॉडल वाली नई बैरक तीन मंजिला होंगी। कुल दस बैरक बनाए जाने का प्लान है। एक बैरक निर्माण के लिए 70 गुणा 20 मीटर जमीन की आवश्कता होगी।

जिला जेल की जमीन पर जल्द ही कब्जे को मुक्त कराया जाएगा। मौके पर टीम भेजकर मुआयना कराया जाएगा। आवश्यकता पड़ी तो जिला प्रशासन के सहयोग से कार्रवाई भी की जाएगी।

विंध्याचल यादव, डीआईजी जेल

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