दूधियों की महत्वाकांक्षी योजना का बंटाधार

दूधियों की महत्वाकांक्षी योजना का बंटाधार

21 लाख 78 हजार खर्च करने के बावजूद चालू नहीं हुई दूध मंडी
विजय विनीत

वाराणसी के पहड़िया के लाल बहादुर शास्त्री सब्जी मंडी में दूधियों के लिए बनी इमारत बनी सफेद हाथी।

नौकरशाही ने वाराणसी जिले के दूधियों के सपनों पर अफसरों ने पानी फेर दिया। उनकी सुविधा के लिए उन्होंने पहड़ियां स्थित कृषि उत्पादन मंडी में अत्याधुनिक दूध मंडी बनावाई। सरकार के 21 लाख 78 हजार रुपये खर्च हुए, लेकिन मंडी चालू नहीं हुई। दरअसल मंडी के बनते ही सत्ता बदल गई और नौकरशाही भी। बसपा शासन आते ही दूध मंडी के चबूतरे पर उपले पाथे जाने लगे। तभी से यह सिलसिला जारी है। कमिश्नर से लेकर डीएम तक अत्याधुनिक दूध की बदहाली से वाकिफ हैं। किसी अफसर को न तो दूधियों की चिंता है और न ही सफेद हाथी बनी दूध मंडी की।

वाराणसी के ढाब इलाके में बड़े पैमाने पर पशुपालन होता है। इस इलाके के दूधिये पहड़िया से होकर पांडेयपुर और अर्दली बाजार जाते हैं। दोनों स्थानों पर सड़क के किनारे दूध मंडियां लगती हैं। पूर्व मंत्री वीरेंद ददद् सिंह जब सपा में थे तो उन्होंने ढाब क्षेत्र के दूधियों की सुविधा के लिए अत्याधुनिक दूध मंडी बनवाने के लिए पार्टी के सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव से आग्रह किया। श्री यादव ने अपने भाई शिवपाल यादव को दूध मंडी बनवाने का निर्देश दिया।

दूधियों के सपनों को पूरा करने के लिए अफसरों ने पहड़ियां फल-सब्जी मंडी में स्थान की तलाश की। उस समय अफसरों ने सरकार को यकीन दिलाया कि दूध मंडी बनने पर पांडेयपुर और अर्दली बाजार के दूधिये यहां आ जाएंगे। इससे उन्हें जहां बेहतर सुविधाएं मिलेंगी, वहीं सड़क जाम की समस्या भी हल हो जाएगी। तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का फरमान था। इसलिए आनन-फानन में प्रस्ताव तैयार किया गया। पहड़िया मंडी में साइकिल स्टैंड को हटाकर अत्याधुनिक दूध मंडी का निर्माण कार्य शुरू करा दिया गया।

मामला मुख्यमंत्री के सपनों और दूधियों के भविष्य से जुड़ा था, इसलिए तेजी से कार्य कराया गया। 23 नवंबर 2005 को पहड़िया मंडी में दूध मंडी बनकर तैयार हो गई। दूध मंडी के उद्घाटन से पहले ही मुलायम सिंह यादव की कुर्सी चली गई। बसपा सरकार आई तो अफसरों ने लाखों रुपये की इस योजना को भुला दिया। इसका नतीजा यह निकला कि स्थान खाली देखकर लोगों ने वहां उपला पाथना शुरू कर दिया। जिस स्थान पर दूध मंडी बनी है उधर से जिलाधिकारी और कमिश्नर नगिनत बार गुजर चुके हैं। जब से दूध मंडी बनी है तब से पहड़िया मंडी में कई बूार चुनावों में मतों की गिनती हो चुकी हैैै। वहां जाने का रास्ता दूध मंडी से होकर ही जाता है। फिर भी किसी अफसर का ध्यान दूध मंडी के आसपास पाथे जा रहे उपले की ओर नहीं गया। उल्लेखनीय यह है कि दूध मंडी चालू होने पर मंडी परिषद को फूटी कौड़ी नहीं मिलने वाली, क्योंकि दूध की बिक्री पर कोई टैक्स नहीं है।

‘अत्याधुनिक दूध मंडी के चालू होने पर मुख्य रूप से उस वर्ग को लाभ होता जो भाजपा और बसपा का वोटर नहीं है। इसीलिए योगी सरकार को दूध मंडी की चिंता है और न ही सत्ता के चापलूस अफसरों को। बनारस की नौकरशाही को दूधियों को लाभ पहूंचाने के लिए दूध मंडी को जल्द चालू करना चाहिए।’ – राजकुमार जायसवाल, शहर अध्यक्ष समाजवादी पार्टी-वाराणसी।

ऐसे बनी दूध मंडी

0 31 जनवरी 05 को अत्याधुनिक दूध मंडी का प्रस्ताव बना।
0 29 मार्च 05 को 21 लाख 79 हजार का टेंडर जारी किया गया।
0 30 अप्रैल 05 को दूध मंडी का निर्माण कार्य शुरू हुआ।
0 23 नवंबर 05 को पहड़िया में दूध मंडी बनकर तैयार हो गई।
0 25 मई 06, 16 जून 06, 21 जुलाई 06 और 4 सितंबर 06 को मंडी के उद्घाटन का प्रस्ताव मंडी निदेशक को भेजा गया।
0 बसपा सरकार आने के बाद अफसरों ने इस महत्वकांक्षी योजना को भुला दिया।

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