मोदी की काशी में जहरीली हुई हवाएं

मोदी की काशी में जहरीली हुई हवाएं

शहर में अब बिकेंगी हवाएं, एयर प्यूरीफायर के बगैर मुश्किल होगा सांस लेना

काशी की फिजा में जहर घुल रहा है। शहर धुंध और धुएं का गोला बनता जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के हालिया सर्वे के बाद जो रिपोर्ट प्रसारित की है, उसमें दुनिया में बनारस सर्वाधिक तीसरे प्रदूषित शहरों में शामिल है। हालात और भी ज्यादा गंभीर होते जा रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि बीमारियों की आगोश में छटपटा रहे शहर में अब हवाएं भी बिकेंगी। एयर प्यूरीफायर का धंधा फैलेगा। जो इग्नोर करेगा, बीमारियां उसे निगल जाएंगी। रोकथाम के इंजताम जल्द नहीं किए गए तो जीते जी मरेंगे लोग।

वाराणसी। जेनेवा स्थित विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्यालय से विश्व में वायु प्रदूषण के वर्तमान हालात पर एक व्यापक रिपोर्ट जारी की गयी। इस रिपोर्ट के आधार पर दुनिया के प्रदूषित शहरों का आंकड़ा जारी किया गया है। इस रिपोर्ट ने 2010 से 2016 तक तमाम शहरों में उपलब्ध पी एम 2.5 के आंकड़ों की आधार पर एक विस्तृत सूची बनायी गयी है, जिस के आधार पर विश्व के प्रदूषित शहरों की क्रमवार सूची तैयार की गयी है।

दुनिया की सर्वाधिक प्रदूषण वाली नगरी हैै काशी

इस रिपोर्ट के विस्तार से अध्ययन के आधार पर क्लामेट एजेंडा की मुख्य अभियानकर्ता एकता शेखर का कहना है कि डब्ल्यूएचओ की यह ताजा रपट भारत में वायु प्रदूषण का विस्तृत चित्रण करती है। 2010 से लेकर 2016 तक के आंकड़ों के आधार पर बनी इस रपट के मुताबिक वाराणसी दुनिया का तीसरा सबसे प्रदूषित शहर पाया गया है। इस लिस्ट में, शीर्ष 20 शहरों में उत्तर प्रदेश के कुल 6 शहर शामिल हैं। इनमें कानपुर, इलाहाबाद, लखनऊ, आगरा और फिरोजाबाद क्रमश: (विश्व में) दूसरे, चौथा, तेरहवां, पन्द्रहवां और बीसवें नंबर पर है।  कहा कि दुनिया भर में होने वाली 70 लाख मौतों में ज्यादातर मौतें भारत के इन चुनिन्दा शहरों में हो रही हैं। ऐसे में, अब यह एक स्वास्थ्य आपातकाल की स्थिति बन चुकी है।

अब तक नहीं बनाई गई ठोस कार्ययोजना

सौ प्रतिशत उत्तर प्रदेश अभियान व केयर 4 एयर की सचिवालय प्रभारी सानिया अनवर का मानना है कि विश्व के शीर्ष 20 प्रदूषित शहरों में उत्तर प्रदेश के 6 शहरों का शामिल होना क्लामेट एजेंडा की ओर से जारी रिपोर्ट एयर किल्स में दिए गए आंकड़ों की भयावहता को पुख्ता करता है। डब्ल्यूएचओ की ताजा रिपोर्ट यह साबित करती है कि दुनिया में उत्तर प्रदेश वायु प्रदूषण का एक बड़ा हब बन चुका है। समाधान के बारे में सुझाव देते हुए सुश्री अनवर ने कहा कि कचरे का वैज्ञानिक निस्तारण, स्वच्छ ऊर्जा का अधिकतम उपयोग और जीवाश्म ईंधन आधारित उद्योग धंधों को समयबद्ध तरीके से बंद करना ही भारत को स्वच्छ बना सकता है। पर्यावरण कार्यकर्ता सुनील दहिया का कहना है कि भारत में हालात इस रिपोर्ट में दर्शाए गए आंकड़ों से ज्यादा खराब हैं। केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित नेशनल क्लीन एयर एक्शन प्लान में लक्ष्य तो बड़े-बड़े रखे गए हैं, लेकिन उन्हें हासिल करने के लिए कोई भी ठोस कार्ययोजना नहीं बनाई गयी है, यह एक चिंताजनक तथ्य है।

मानसिक बीमारी से ग्रस्त हो सकते हैं बच्चे

शहर के प्रदूषण भरे वातावरण में पले- बढ़े बच्चों में मानसिक बीमारी का खतरा है। जर्मनी की यूनिवर्सिटी आॅफ उल्म और अमेरिका की यूनिवर्सिटी आॅफ कोलोराडो के वैज्ञानिकों ने पहली बार मानसिक स्वास्थ्य पर प्रदूषण के ेप्रभाव का अध्ययन किया। शोध के लिए 20 से 40 वर्ष के 40 स्वस्थ पुरुषों से मैथ के कठिन सवाल हल कराए गए। टास्क के दौरान उनके ब्लड और सलाइवा का सैंपल भी लिया गया। सैंपलों के अध्ययन से स्पष्ट था कि शहर के बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता कम होने के साथ आगे चलकर उनमें डिप्रेशन आदि से ग्रस्त होने का खतरा अधिक पाया गया।

धमनियों में घुलेगा जहर : डा. अग्रवाल

बीएचयू के प्रो. व श्वांस रोग विशेषज्ञ डा. एसके अग्रवाल ने बनारस में वायु प्रदूषण के बढ़ते हालात पर कहा कि यह स्थिति काफी गभीर है। यह समस्या अभी दो-तीन साल तक इसी तरह रहेगी। क्योंकि बनारस में सड़क का चौड़ीकरण चल रहा है। पेड़ काटे जा रहे हैं। इस समय सबसे जरुरी है कि पौधरोपण किया जाये। हर आदमी कम से कम पांच से दस पेड़ लगाये। अपने बचाव के लिए घर से निकाले गये कूड़ों को न जलाये। कहा कि प्रदूषण के लिए सिर्फ प्रशासन ही नहीं हम सब दोषी हैं। डा. अग्रवाल ने कहा कि हर आदमी सुबह उठने के बाद बासी मुंह आधा से पौन लीटर गुनगुना पानी का सेवन करे। इससे शरीर में जो खराब तत्व पहुंच चुके हैं वह शरीर से बाहर निकल जायेगा। कहा कि प्रदूषण से अस्थमा व सीओपीडी के रोगियों की बीमारी बढ़ेगी। यह प्रदूषण फेफड़ों को कमजोर कर रहा है। वायुमंडल में जो छोटे-छोटे कण होते हैं वह सांस के जरिये ब्लड में आ जाते हैंं और पूरे शरीर में फैल जाते हैं। इससे पूरा शरीर कमजोर हो जाता है। इससे दिल के मरीजों की संख्या बढ़े्गी। अधिक प्रदूषण फेफड़े को भी कमजोर कर रहे हैं। इससे आंखों पर भी असर पड़ेगा।

ये है प्रदूषित शहरों की लिस्ट

कानपुर फरीदाबाद वाराणसी गया पटना दिल्ली लखनऊ आगरा मुज्जफरपुर श्रीनगर गुड़गांव जयपुर पटियाला जोधपुर

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