रिलेशनशिपः झूठे चेहरों की चमक में जब सच्चा दिल खो जाता है, बहकावे में चला जाता है ज़िंदगी भर का सुकून !
विजय विनीत
तेज़ रफ़्तार ज़िंदगी में, जहां हर कोई बस आगे बढ़ने की दौड़ में है, वहां अब किसी का रुककर यह पूछ लेना, “तुम ठीक हो न?”-किसी चमत्कार से कम नहीं लगता। इस दुनिया की सबसे कड़वी सच्चाई यही है कि जिन्हें आप अपना सबसे सुंदर एहसास देते हैं, वही लोग आपको सबसे गहरा ज़ख्म देकर चले जाते हैं। जिनके चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए आपने अपनी पीड़ा छिपाई, वही किसी दिन बेवजह आपकी आंखों में आंसू भर जाते हैं। जिनके लिए आप हर पल हाज़िर रहे, जिनकी हर मुश्किल में आप दीवार बनकर खड़े रहे, वही वक्त आने पर सबसे पहले मुंह मोड़ लेते हैं।
यही ज़िंदगी का विडंबना है जिन लोगों को आपने अपनी ज़िंदगी का सबसे अहम हिस्सा बना लिया, वही लोग एक दिन ये एहसास दिला देते हैं कि आपकी वैल्यू उनके लिए कुछ भी नहीं। जिन्हें आपने बिना सोचे हर खुशी दी, वही आपकी मौजूदगी को हल्का समझने लगते हैं। जिनके लिए आपने सारी हदें पार कर दीं, वही लोग वक्त आने पर आपको सिखा जाते हैं कि “हद में रहना” ही समझदारी है।
कभी-कभी लगता है, शायद गलती हमारी ही होती है। हम कुछ लोगों को उतनी जगह दे देते हैं, जितनी उन्हें कभी चाहिए ही नहीं होती। हम रिश्तों में उतने सच्चे होते हैं, जितनी दुनिया अब समझ ही नहीं पाती। यही ज़िंदगी है… यही लोग हमें सिखा जाते हैं कि किस पर भरोसा करना चाहिए और किसे सिर्फ वक्त की सीख मानकर छोड़ देना चाहिए? आख़िर में, वही लोग हमें ये एहसास दिलाते हैं कि हमारी पसंद कितनी सही थी या कितनी दर्दनाक ग़लती?
इस तेज़ रफ़्तार दुनिया में जहां हर कोई आगे निकलने की होड़ में है ऐसे ही समय में कुछ लोग हैं जो इस भीड़ में भी अलग खड़े नज़र आते हैं-बिना किसी मुखौटे के, बिना किसी स्वार्थ के। इन लोगों की पहचान उनके शब्दों से नहीं, उनके व्यवहार से होती है। वे किसी की मदद इसलिए नहीं करते कि समाज देखे, बल्कि इसलिए कि उनका दिल उन्हें ऐसा करने से रोक नहीं पाता। जब कोई दुखी होता है तो उनका मन अपने आप बेचैन हो उठता है।
दरअसल, ऐसे लोग अपनी अच्छाई का प्रदर्शन नहीं करते। उनकी सादगी में सच्चाई का सौंदर्य छिपा होता है। वे किसी की परेशानी सुनकर खुद की नींद खो देते हैं। किसी की मदद करने के लिए अपने सारे काम छोड़ देते हैं। उनके भीतर एक नरमी होती है जो किसी के दर्द को महसूस कर सकती है, एक ऐसी करुणा जो शब्दों से नहीं, कर्मों से बोलती है। उनकी चुप्पी में सुकून है। उनकी मुस्कान में दुआ है और उनके भीतर इंसानियत की सबसे खूबसूरत झलक।
उस शख्स का आना, फिर चले जाना
कभी-कभी ज़िंदगी के सफर में ऐसा कोई शख़्स मिलता है जो हमें भीतर से बदल देता है। वह आपका साथी नहीं, आपकी आत्मा का विस्तार बन जाता है। उसकी मौजूदगी आपके जीवन की धड़कन में समा जाती है। वह आपको इतनी गहराई से समझता है कि वो बिना कहे जान लेता है कि आपको क्या चाहिए? वह आपके डर, आपकी कमजोरी, आपके मौन को आसानी से पढ़ लेता है। वह आपके लिए वह करता है जो शायद किसी और ने कभी न किया हो। यही होता है “सोल कनेक्शन”…। ऐसा कनेक्शन जो आपकी आत्मा से बिना शब्दों के संवाद करती है।
वह शख्स आपसे कुछ नहीं मांगता। बस देता है-अपार स्नेह, विश्वास, समय और साथ। जब दुनिया आप पर उंगली उठाती है तब वह आपके लिए ढाल बनकर खड़ा होता है। जब आप चुप रहते हैं तो वह आपकी खामोशी में भी आपके दर्द को सुन लेता है। उसकी संवेदना किसी नदी की तरह होती है-गहरी, निर्मल और जीवनदायिनी। अक्सर हम ऐसे लोगों को नहीं समझ पाते। हम उनकी सादगी को कमजोरी समझने लगते हैं। उनकी सहनशीलता को डर और उनके मौन को उदासीनता मान लेते हैं।
धीरे-धीरे शिकायतें बढ़ने लगती हैं। वह जो कभी हमारी ताकत था तो वो हमें खटकने लगता है। हम उसकी अच्छाइयों में कमियां खोजने लगते हैं। जानते हैं क्यों? हमारी जिंदगी में चुपके से कोई तीसरा शख्स दाखिल हो चुका होता है-सुंदर, आकर्षक और मीठे झूठ के ताज से सजा हुआ। वह अपने शब्दों के जाल में हमें फंसा लेता है। उसकी बातें हमें यह यकीन दिला देती हैं कि सच्चा प्यार तो अब आया है। जो पहले था, वह बस एक समझौता था।
हम उस तीसरे इंसान की चिकनी-चुपड़ी बातों में आ जाते हैं और धीरे-धीरे उस सच्चे इंसान से दूर होने लगते हैं जो अब तक बस “देता” आया था-प्यार, दया, सुरक्षा और स्थिरता। वह जो कभी हमारी खुशी के लिए अपनी रातों की नींद कुर्बान करता था, अब हमारे आरोपों का निशाना बन जाता है। हम सोचते हैं कि हम सही हैं, क्योंकि नया चेहरा हमें चमकदार झूठ की दुनिया दिखा देता है। ऐसा चेहरा जिसकी चमक-दमक और उसकी रंगीन दुनिया में हम पूरी तरह खो चुके होते हैं।
ज्यादा देर नहीं टिकती झूठ की चमक
वक्त बहुत कठोर होता है। झूठ की चमक ज़्यादा देर नहीं टिकती। एक दिन उस ‘थर्ड परसन’ का असली चेहरा सामने आ ही जाता है। वो चेहरा जिसमें छिपी होती है मक्कारी, स्वार्थ, पूरी तरह खोखला और अज्ञानी। तब हम टूटने लगते हैं। तब एहसास होता है कि हमने उस सच्चे इंसान को क्यों खो दिया? वो इंसान जो हमारी आत्मा से जुड़ा था, जो हमारी हर धड़कन में बसता था, जो हमें बिना शर्त समझता था। वही था असली और अंदर से इंसान। अथाह ज्ञान से भरा हुआ और अहंकार से कोसों दूर।
दरअसल, हमें कोफ्त तब होता है जब हम अक्सर अज्ञानी को ज्ञानी समझ लेते हैं और सच्चे को झूठा। जब हमारी आंखों से अज्ञानता का पर्दा उठता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। सच्चे दिल वाला इंसान तब तक बहुत दूर जा चुका होता है। फिर अब लौटकर नहीं आता। उसने अपनी चुप्पी में सब कह दिया होता है। उसका मौन उस चीख से ज़्यादा गूंजता है जिसे किसी ने नहीं सुना। वह चला जाता है, क्योंकि उसकी आत्मा को ठेस पहुंच चुकी होती है। तब आप रह जाते हैं अपने पछतावे, अपने अपराधबोध और अपनी खाली रातों के साथ।
अब नींद गायब हो जाती है। हर सुबह आप खुद से सवाल करते हैं, “क्या वो सच में गलत था?” फिर दिल जवाब देता है, “नहीं… गलत तो तुम थे।” वह आपकी ज़िंदगी का आईना था। आपने उस आत्मा को तोड़ दिया जो आपके लिए दुनिया छोड़ सकती थी।जब वह सच्चा इंसान चला जाता है, तो सिर्फ एक सन्नाटा रह जाता है। अब कोई आपकी खामोशी नहीं समझता। आपकी थकान नहीं पहचानता। अब कोई नहीं पूछता, “खाना खाया?”
आपकी जिंदगी का वो तीसरा व्यक्ति जो मीठे झूठ की गठरी लेकर आया था, एक दिन गायब हो जाता है, क्योंकि उसके पास न दिल था और न ही संवेदना। वह बस आपकी दुनिया को तोड़कर चला जाता है और अपने पीछे छोड़ जाता है एक ऐसा खालीपन जो उम्रभर नहीं भरता।
ज़िंदगी की सबसे गहरी त्रासदी यह है कि हम झूठे चेहरों की चमक में सच्चे दिलों की रोशनी खो देते हैं। उस इंसान को ठुकरा देते हैं जिसने हमारे लिए खुद को भुला दिया था… जो हमारे आंसुओं को मुस्कान में बदल देता था ताकि हमें दर्द महसूस न हो। जब वह चला जाता है तब समझ में आता है कि वह सिर्फ एक इंसान नहीं था-वह हमारी आत्मा का वो हिस्सा था जो हमें पूरा बनाता था।
दोबारा नहीं मिलते सच्चे लोग
वह जिसने अपने रिश्ते को कभी कोई नाम नहीं दिया, जिसने कभी अपने लिए कुछ नहीं मांगा-बस “दिया”… प्यार, समय, समझदारी, अपनापन और एक ऐसी सच्ची देखभाल जो आज के दौर में दुर्लभ है। वह वही था जिसे ईश्वर ने हमारी ज़िंदगी में एक “लकी चार्म” की तरह भेजा था जो हमें हमारी बिखरी हुई दुनिया से मिलवाने आया था। उसने हमें महसूस करना सिखाया, भावनाओं को जीना सिखाया… और बदले में हमने उसे दिया-धोखा।
जब आप किसी सच्चे इंसान को धोखा देते हैं, तो आप सिर्फ एक व्यक्ति नहीं खोते, आप अपनी आत्मा का सबसे ईमानदार हिस्सा खो देते हैं। झूठे लोगों का साथ शुरू में भले ही रंगीन लगे, लेकिन जब सच्चाई सामने आती है तो नींद, मुस्कान और सुकून सब छिन जाता है। हर रात वही चेहरे, वही यादें, वही देखभाल आपकी रगों में टीस की तरह उतर जाती हैं। आप महसूस करते हैं कि उसकी चिंता, उसकी परवाह अब आपकी सबसे गहरी कमी बन चुकी है। और तब समझ में आता है कि ‘सोल कनेक्शन’ मिटते नहीं, बस अधूरे रह जाते हैं।
वह इंसान फिर कभी लौटकर नहीं आता। वह वहीं चला जाता है, जहां से उसे सिर्फ आपके लिए भेजा गया था-उस डिवाइन के पास। पीछे रह जाते हैं आप और आपकी अपनी अधूरी कहानी, अपने पछतावे और उस खामोश सजा के साथ जो उम्रभर चलती है। तब एहसास होता है कि सच्चे लोग दोबारा नहीं मिलते। वे आपकी ज़िंदगी के सबसे सच्चे पन्ने होते हैं, जिन्हें आप अपने ही हाथों से फाड़ देते हैं। और जो उन्हें खो देता है, वह ज़िंदगीभर रोता नहीं-भीतर-भीतर जलता रहता है। जब सच्चा इंसान चला जाता है तो ज़िंदगी तो चलती रहती है… पर सुकून हमेशा के लिए चला जाता है।
केयरिंग नेचर कोई सीखी जाने वाली कला नहीं है, यह एक दिव्य अनुभूति है जो सिर्फ उन्हीं दिलों में बसती है, जिनमें दूसरों के लिए जगह होती है। ऐसे लोग दूसरों के दर्द को महसूस करते हैं लेकिन जताते नहीं। वे जानते हैं कि किसी के आंसुओं को पोंछने से पहले उसे रो लेने का हक़ देना भी करुणा का ही हिस्सा है।
आज जब संवाद शब्दों तक सीमित हो गया है और रिश्ते औपचारिकताओं में कैद हैं, तब ऐसे सच्चे लोग उम्मीद बनकर सामने आते हैं। वे याद दिलाते हैं कि “इंसान होना” अब भी सबसे बड़ा धर्म है। उनके भीतर की सच्चाई, दूसरों की परवाह और बिना शोर किए अच्छाई फैलाने की प्रवृत्ति ही असली इंसानियत है।
दुनिया भले उन्हें कमज़ोर कहे, लेकिन सच यही है जो दूसरों का दर्द महसूस कर सकता है, वही सबसे मज़बूत होता है। सच्चा इंसान होना किसी उपलब्धि से बड़ा वरदान है। यह वो मौन शक्ति है जो समाज को जोड़ती है, रिश्तों को गहराई देती है और हमें भीतर से इंसान बनाए रखती है।
आज इस भागती-दौड़ती दुनिया को तकनीक की नहीं, संवेदना की ज़्यादा ज़रूरत है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता की नहीं, इंसानियत की ज्यादा जरूरत है। जब कभी कोई “अंदर से इंसान” मिलता है, तो लगता है कि अब भी उम्मीद बाकी है… अब भी इस दुनिया में दिल की धड़कनें ज़िंदा हैं… अब भी कोई है जो सच्चा महसूस करता है… सच्चा जीता है… और सच्चा प्यार करता है…।
(लेखक बनारस के वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक हैं)
